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आगमन के आन्दोलन का उदाहरण 1SG 115

मैंने कई एक दल में लोगों को देखा जो एकता के सूत्र में बाँधे हुए सा दिखाई दिये। इनमें से बहुत लोग पूरा अंधकार में थे। उनकी गति पृथ्वी के नीचे की ओर जा रही थी या पतन की ओर और यीशु के साथ उनका कोई सम्बन्ध न था। मैंने कुछ लोगों को झुंडों में भी देखा जिनके चेहरे प्रकाशमान थे और आँखें स्वर्ग की ओर उठी थीं। सूर्य की रोशनी के समान उन्हें यीशु से मिल रही थी। इस समय बुरे दूत जो अन्धकार में थे उन्हें घिरे हुए थे। मैंने स्वर्गदूत को बड़े जोर से शब्द करते सुना कि परमेश्वर से डरो और उसकी महिमा करो क्योंकि उसके न्याय का समय आ गया है। 1SG 115.1

जो लोग संवाद को ग्रहण करते थे उन्हें महिमा की ज्योति ने प्रकाशमान कर रखा था। कुछ लोग जो अन्धकार में थे उन्हें भी ज्योति मिली और वे भी खुश थे। पर दूसरों ने कहा कि यह हमें धोखा में डालने के लिये अगुवाई कर रहा हैं उनके बीच से प्रकाश बूत गया और वे अंधकार में पड़े रहे। जिन लोगों ने यीशु से ज्योति पाई वे इस बात से आनन्द करने लगे कि उन्हें बहुमूल्य ज्योति मिल गई है। उनके चेहरे पवित्र आनन्द से तथा खुशी से चमक उठे। उनको बहुत आनन्द से स्वर्ग की ओर यीशु को ताकने कहा गया। स्वर्गदूतों की आवाज के साथ उनकी आवाज भी सुनाई दी। ईश्वर से डरो और उसकी महिमा करो क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ गया है। जैसे यह आवाज हो रही थी तो मैंने उन लोगों को देखा जो अंधकार में थे। वे अपने सिरों और पैरों को पटक रहे थे। बहुत लोग जो पवित्र ज्योति से बाँधे हुए थे, खुश नजर आ रहे थे। वे अंधकार में रहने वालों से नाता तोड़ कर अलग हो गए। जब लोग अंधकार रूपी रस्सी की बंधन को तोड़ कर अलग हो रहे थे तो ये लोग जो अंधकार ही में रहना पसन्द करते थे वे जाने वाले लोगों के पास जा-जा कर मीठी भाषा से कहते थे कि मत जाओ। पर दूसरे लोग घुड़कते थे, गुस्सा चेहरा बना कर देखते और डरवाते थे। वे यह देख रहे थे कि उनका दल कमजोर पड़ रहा है। वे सान्तवना देकर कहते थे कि ईश्वर हमारे साथ है, हम सच्चाई में हैं, हमारे पास ज्योति है तुमलोग क्यों भाग रहे हो? तब मैंने पूछा कि ये कौन लोग है? तब मुझे बताया गया कि ये पादरी प्रचारक और लोगों के नेता हैं जिन्होंने प्रकाश को इन्कार कर दूसरों को भी ग्रहण करने नहीं दिया। मैंने देखा कि जो लोग प्रकाश को चाह रहे थे वे बहुत रूचि के साथ स्वर्ग की ओर देख कर यीशु के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। उसी समय एक बादल उड़ता हुआ आया और उनकी दृष्टि को ढ़ाँक दिया तो वे बहुत उदास हो गए। मैंने बादल आने का कारण पूछा। मुझे दिखाया गया कि यह बादल नहीं पर उनका निरूत्साह था। जिस समय यीशु को आने की बाट जोह रहे थे और वह नहीं आया। घोर निराशा उनके मन में छा गया। जिन प्रचारक और नेताओं के विषय मैंने पहले पूछा था वे लोग तो बहुत खुश हो रहे थे। जिन्होंने ज्योति को इन्कार किया था वे शैतान के साथ विजय मना रहे थे और बहुत खुश थे। 1SG 115.2

तब मैंने दूसरे दूत को यह कहते सुना कि गिर पड़ा वह बड़ा बाबुल गिर पड़ा। फिर से उन उदास में पड़े हुए लोगों के चेहरे में ज्योति चमकी और वे पुनः जोश के साथ यीशु को स्वर्ग से आते हुए देखने की इच्छा करने लगे। मैंने दूसरा दूत के साथ बहुत सारे दूतों को बातें करते हुए देखा। वे सब मिल कर दूसरा दूत के साथ चिल्लाने लगे “बड़ा बाबुल गिर पड़ा”। यह आवाज चारों ओर सुनाई पड़ी जिन लोगों ने संवाद को ग्रहण किया था उन पर और अधिक तेज से चमकने लगा। वे स्वर्गदूतों के साथ मिल कर बड़े जोर के शब्दों से पुकारने लगे। ये लोग जो ज्योति को ग्रहण करना नहीं चाहते थे उन्होंने इनको कोसना और हँसी मजाक करना शुरू कर दिया। परन्तु ईश्वर के दूतों ने इनके ऊपर अपने पँखों को पसारे हुए था जब कि शैतान और बुरे दूत इन्हें अंधकार ही में डाले रहना चाहते थे। वे इन्हें स्वर्ग की ज्योति को ग्रहण करने देना नहीं चाहते थे। 1SG 116.1

जिन लोगों पर हँसी-मजाक हो रही थी उनको कहा गया कि उनके बीच से निकल आओ और उन अशुद्ध वस्तुओं को मत छुओ। तब एक दल के लोग जिन्होंने इस आवाज को सुनकर यीशु के आगमन को ग्रहण किया था, अंधकार का बन्धन को तोड़ कर, उन्हें छोड़ कर उन लोगों में शामिल हुए जो आनन्द के साथ यीशु की ज्योति पायी थी। मैंने उन लोगों की वेदनापूर्ण प्रार्थना भी सुनी जो अब तक अंधकार का दल में से निकल कर आना चाहते थे। पदारी और प्रचारक लोग इनके दलों में घूम-घूम कर इसी दल में रहने के लिये अर्जी करते थे। पर जो निकल कर आना चाहते थे उनकी गिड़गिड़हाट प्रार्थना को मैंने सुना। मैंने फिर देखा कि ये प्रार्थना करने वाले दल उनसे सहायता माँगने लगे जो ईश्वर के साथ रह कर आनन्द कर रहे थे। तब उनके लिये स्वर्ग से जबाब आया कि तुम लोग उनमें से निकल आओ। स्वतन्त्रता के लिये जो संघर्ष कर रहे थे वे अन्त में बड़ी भीड़ का मोह छोड़कर निकलने में सफल हुए। अंधकार में रहने के लिये जो जकड़ा हुआ बन्धन था उसे तोड़ डाले। लोगों के कहने पर कि ईश्वर हमारे साथ है, सच्चाई इसमें है, उसकी परवाह न की वे अन्त में निकल कर चले ही आये और उस दल में शामिल हो गए जहाँ सच्चाई की ज्योति चमक रही थी। वे अपने सिरों को स्वर्ग की ओर उठा कर ईश्वर की महिमा के गीत गाते थे। ईश्वर की आत्मा उनके साथ थी। वे एकता के बन्धन में थे और स्वर्ग का प्रकाश से प्रकाशमान थे। इस दल के आस-पास भी कुछ लोग तो आये पर उन्होंने इनके साथ शामिल होना न चाहा। क्योंकि उन पर स्वर्गीय ज्योति का कुछ प्रभाव नहीं पड़ा था। जिन्होंने नई ज्योति को पसन्द किया था, वे ऊपर की ओर ताकने लगे। यीशु ने उन पर सहानुभूति दिखाई। वे यीशु को पृथ्वी में आने की बाट जोह रहे थे। वे पृथ्वी की ओर अपना मन लगाना नहीं चाहते थे। फिर मैंने इन प्रत्याशियों के ऊपर एक उड़ता हुआ बादल देखा जो आकर उनकी नजरों को छिपा दिया। तब मैंने देखा कि उन्होंने अपनी थकी-मन्दी आखों को नीचे झुका दिया। इस बदलाहट का कारण मैंने पूछा। मेरा स्वर्गदूत ने बताया कि वे फिर अपनी आशा पूरी होते न देखकर उदास हो गए। अब तक यीशु पृथ्वी में नहीं आया था। उन्हें यीशु के लिये दुःख सहना था और कड़ी परीक्षाओं से गुजरना भी था। उन्हें लोगों की ओर से दी गईं गलतियों और परम्परा की दस्तूरों को छोड़ना था और सम्पूर्ण रूप से ईश्वर और उसके वचन पर समर्पित हो जाना था। उन्हें शुद्ध और पवित्र होना था जैसा सफेद वर्फ होती है। जो लोग इस कड़वी सताहट से होकर गुजरेंगे उन्हें ही अनन्त विजय प्राप्त होगी। 1SG 117.1

यीशु पृथ्वी पर मन्दिर को आग से शुद्ध करने नहीं आया जैसा कि आनन्द से बाट जोहने वाले लोग चाह रहे थे। वे भविष्यवाणी की घटना का हिसाब करने में तो गलत नहीं कर रहे थे। पर घटना का नामकरण करने में चूककर रहे थे। भविष्यवाणी के मुताबिक समय १८४४ ई. में पूरा हो रहा था। उनकी जो गलती थी वह यह है कि पवित्र स्थान क्या है? और इसकी शुद्धि कैसे की जाए? यीशु का महापवित्र स्थान में, समय का पूरा होने पर प्रवेश करने जा रहा था। मैंने फिर उन हतास-नीरस लोगों को देखा तो वे उदास दिखाई दिये। उन्होंने अपना विश्वास की जाँच की और भविष्यवाणी का समय का हिसाब लगाने को दुहराया और फिर भी गलती नहीं मिली। समय तो पूरा हो गया था पर अपना त्राणकत्र्ता को नहीं पाया। वह गया तो कहाँ गया। 1SG 118.1

उनकी उदासी की तुलना उस समय से की जा सकती है जब यीशु कब्र से जी उठा तो उन्होंने उसे वहाँ नहीं पाया, और मरियाम बोलने लगी वे मेरे प्रभु को कहाँ उठा कर ले गये, मैं नहीं जानती कि उन्होंने उसे कहाँ रखा? स्वर्गदूत आकर बोला कि यीशु जी उठा है और वह गलील गया है। 1SG 119.1

मैंने देखा कि यीशु उदास करने वालों को बड़ी सहानुभूति से देखा और उसने दूतों को भेज कर बताया कि वे कहाँ उसे पायेंगे और उसके पीछे चलेंगे। उन्हें समझा दो कि पृथ्वी में पवित्र स्थान अब नहीं है। वह स्वर्ग के महापवित्र स्थान को शुद्ध करने गया है। इस्त्राएलियों के लिये वहाँ वह विचवाई करेगा और अपने पिता से राज्य प्राप्त करेगा। इसके बाद वह पृथ्वी पर आकर अपने लोगों को ले जायेगा। वहाँ वे सदा उसके साथ रहेंगे। मैंने उस दृश्य को भी देखा जब यीशु विजयपूर्वक गधी का बच्चा पर चढ़कर यरूशलेम गया था। यीशु के चेले सोच रहे थे कि यीशु उस वक्त पृथ्वी पर राज्य करेगा। उन्होंने यीशु को बहुत आनन्द के साथ, साथ दिया था। वे पेड़ की डालियाँ काट कर रास्ते पर बिछा रहे थे और कोई अपने कपड़े भी डाल रहे थे। बहुत जोश के साथ उसके पीछे-पीछे जा रहे थे और साथ में चिल्ला भी रहे थे - होशाना, दाऊद का पुत्र की होशाना बोल रहे थे। धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, उसकी सबसे ऊँचे स्थान में होशाना हो। इस चिल्लाहट से फारसी लोग घबड़ा गये। उन्होंने यीशु को इन्हें चुप कराने को कहा। उसने उन्हें उत्तर दिया यदि वे चुप रहेंगे तो पत्थर इनके बदले चिल्ला उठेगा। जकर्याह की यह भविष्यवाणी पूरी हुई। मैंने चेलों को निराशा में डूबा हुआ देखा। कुछ समय पहले वे यीशु के क्रूस तक गये थे। वहाँ उन्होंने यीशु को क्रूस पर बड़ी क्रूरता से क्रूसघात करते हुए देखा था। उसकी दयनीय मृत्यु को वे देख चुके थे और उन्होंने उसे कब्र में रखा था। उनका मन शोक से डूबा हुआ था। उनकी आशा यीशु की मृत्यु के बाद खत्म हो चली थी। परन्तु यीशु जी उठ कर अपने चेलों को दिखाई दिया और उनके साथ रोटी तोड़ी तो उनकी आशा लौट गई। उन्होंने यीशु को खोया था पर पुनः मिल गया। 1SG 119.2

मैंने दर्शन में देखा कि १८४४ ई. में जो लोग हतास नीरस हुए थे उसकी तुलना में चेलों का उदास कम था। पहिला और दूसरा दूतों के मुताबिक भविष्यवाणी पूरी हुई। ईश्वर का काम पूरा करने के लिये उन्हें ठीक समय पर संवाद दिया गया। 1SG 120.1