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साक्षियों का गलत प्रयोग ककेप 145

साक्षियों की पहिली मुद्रित प्रति में परमेश्वर के लोगों को दिये गए प्रकाश के अनुचित उपयोग के विरुद्ध चितावनी अंकित है. मैं ने उसमें वर्णन किया कि कुछ लोगों ने मुर्खता का मार्ग अपनाया है;जब उन्होंने अपने विश्वास का वर्णन अविश्वासियों से किया और जब उन से विश्वास के लिए प्रमाण पूछा गया तो उन्होंने बजाय बाइबल से सबूत देने के मेरे लेखों से पढ़कर सुनाया. मुझे दिखलाया गया कि उनकी यह कार्यवाही न्यायसंगत न थी इससे अविश्वासियों में सत्य के विरुद्ध पक्षपात की भावना उत्पन्न हो जाती है. जो लोग साक्षियों की भावनाओं से अनभिज्ञ है उनके लिए उनके हृदय में कोई स्थान नहीं है.ऐसा परिस्थिति में उल्लेख करना उचित नहीं हैं. ककेप 145.4

समय समय पर साक्षियों के उपयोग के सम्बंध में अन्य चेतावनियां इस प्रकार दी गई है ककेप 145.5

“कुछ उपदेशक बहुत पीछे हैं. वे दी गई साक्षियों पर विश्वास व्यक्त करने का दावा करते हैं और कुछ उन्हें उन लोगों के लिए जिनका साक्षियों के विषय में कोई अनुभव नहीं कई नियम बनाते हुए हानि पहुँचाते हैं, परन्तु स्वयं उनको पालन करने में असफल रहते हैं.बार-बार उनको साक्षियाँ दी गई परन्तु उन्होंने उनका सर्वथा अनादर ही किया.ऐसों का व्यवहार अनुचित है.’‘ ककेप 145.6

“मैं ने देखा कि परमेश्वर ने जो कुछ दूसरों के अपराधों तथा पापों के विषय में बतलाया है उससे फायदा उठाया है. जो कुछ दर्शन में बतलाया गया उसका उन्होंने अति उग्र अर्थ लिया है और उसको ऐसा कुचला है कि लोगों का विश्वास परमेश्वर के दिए हुए दर्शन पर निर्बल हो गया है, और मण्डली को भी निरुत्साह तथा निराश कर दिया है.’‘ ककेप 146.1