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अध्याय 22 - जगत में पर जगत के नहीं ककेप 153

मुझे संप्रदाय के रुप में हमारा बड़ा खतरा दिखलाया गया कि हम बजाय मसीह के स्वरुप में बदलने के संसार के अनुकूल बनते जा रहे हैं. उस समय हम अनन्त लोक की सीमा ही पर पहुंच गये है,परन्तु शत्रु का ध्येय यह दिखाना है कि अंत काल बहुत दूर है.शैतान जहां तक संभव है उन पर आक्रमण करेगा जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने का दावा करते हैं और हमारे प्रभु के स्वर्ग के बादलों में पालन करने का दावा करते हैं और हमारे प्रभु के स्वर्ग के वादलों में सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ आने की बाट जोह रहे हैं, वह जितना सम्भव हो उतने लोगों की अगुवाई करेगा कि उस भयानक दिन को स्थागित करते रहे और संसार की रीतियों का अनुसरण करते हुये उसी के रंग में रंग जाये. ककेप 153.1

जब मैं ने बहुत से सत्य के मानने का दावा करने वालों के मन व हृदय पर संसार की भावना को नियंत्रण करते देखा तो मैं चौंक पड़ी. वे अपस्वार्थ और आत्मतृति का पोषण करते हैं परन्तु खरी भक्ति और शुद्ध सत्यशीलता का उपार्जन नहीं करते. ककेप 153.2