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आत्मा-नियंत्रण को क्षीण करने के लिए शैतान का प्रयत्न ककेप 193

वैवाहिक सम्बन्ध में प्रवेश करने वालों की पवित्रता के स्तर और उनके आत्म नियंत्रण को दुर्बल करने में शैतान सर्वदा प्रयत्नशील है.वह जानता है कि कामुकता की प्रचुरता के फलस्वरुप मनुष्य का नैतिक बल निरन्तर गिरता जाता है,आत्मिक उन्नति के प्रति वह उदासीन हो जाता है.शैतान जानता है कि माता-पिता की सन्तान को उसके घृणित सांचे में ढालने के लिए अन्य कोई उपयुक्त साधन नहीं है.वह जानता है ऐसा करने से वह माता-पिता के चरित्र पर प्रहार करने की अपेक्षा सन्तान के चरित्र को आसानी से अपनी इछानुसार ढाल सकेगा. ककेप 193.1

पुरुष स्त्रियों, एक दिन आप सीख लेंगे कि काम तृप्ति का परिणाम क्या है.निम्न लालसाओं की पूर्ति जिस प्रकार स्त्री-पुरुष के अनैतिक संबंध में विद्यमान हैं उसकी प्रकार उनका वैवाहिक जीवन में भी पाया जाना सम्भव है. ककेप 193.2

निम्न कामुक भावनाओं को निरंकुश छोड़ने का क्या परिणाम होता है? शयनकक्ष,जहां परमेश्वर के दूत का सभापतित्व होना चाहिए, क्या अपवित्र कार्यों द्वारा अपवित्र किया जा रहा है?जहां लज्जात्मक पाश्विक सामाज्य है वहां शरीर का विनाश हो जाता है.घृणित व्यवहार के परिणाम स्वरुप घृणित रोग हो जाते हैं.जो देह परमेश्वर ने आशीष स्वरुप प्रदान की थी वह स्त्राप बन जाती है. ककेप 193.3

दाम्पत्य असंयम, भक्ति भाव के प्रति प्रेम का विनाशक है.इसके द्वारा,मस्तिष्क के उसत्तव का क्षय होता है जो दैहिक पोषण के लिए बहुमूल्य हे,इससे दैहिक बल जाता रहता है.कोई पत्नी इस आत्मविनाशक कार्य में अपने पति को सहयोग न दे.बुद्धिमत्ता पत्नी जो अपने पति से प्रेम करती हो कदापि यह न करेगी. ककेप 193.4

पाश्विक लालसाओं की पूर्ति के लिए ज्यों-ज्यों अवसर दिया जावे वे प्रबल होकर मनुष्य को अपनी ओर अत्यधिक आकर्षित करती जाएंगी.परमेश्वर का भाय मानने वाले पुरुष-स्त्रियां अपने के प्रति सजग हो जावे.असंयम के साथ इस दिशा में प्रगतिशील होकर कई नाम मात्र के मसीही स्नायु या मस्तिष्क के पक्षाघात के शिकार हो गए हैं. ककेप 193.5