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घर का साज-समान साधारण और कम खर्ची हो. ककेप 207

अपने घर की सजावट साधारण एवं आडम्बर रहित हो.वस्तुएँ टिकाऊ,आसानी से साफ की जाने वाली तथा ऐसी हो कि टूटने-फूटने से सरलतापूर्वक बदली जा सकें.यदि कुटुम्ब में प्रेम एवं सन्तोष है तो अल्प प्रयत्न ही से आप साधारण को ही आकर्षक बना सकेंगे. ककेप 207.4

खोखले आडम्बर में आनन्द नहीं पाया जाता.कुटुम्ब का प्रबन्ध जितना सरल एवं सुव्यवस्थित हो उतना ही वह सुन्दर बनेगा. बालकों को सन्तोष एवं आनन्द प्रदान करेन के लिए कीमती एवं दिखाऊ वस्तुएं ही आवश्यक नहीं है. माता पिता को बालकों के प्रति नम्र प्रेम एवं दयालुता पूर्ण मनोभाव अत्यावश्यक है. ककेप 207.5

अपने घर को सद्व्यवहार का प्रतीक बनाने के लिए माता-पिता परमेश्वर के सामने उत्तरदायी है.स्मरण रखिए कि स्वर्ग में व्यवस्था की प्रधानता है इस कारण आप का पार्थिव घर भी एक स्वर्ग है.यह बात भी स्मरण रखिए कि दिन प्रतिदिन घर की छोटी-छोटी बातों को विश्वस्तता पूर्वक करके मसीही चरित्र निर्माण में ईश्वर के सहयोगी हैं. ककेप 207.6

माता-पिताओं स्मरण रखिए कि आप अपने बालकों की मुक्ति के लिए कार्य कर रहे हैं.यदि आप की आदतें शुद्ध हैं,यदि आप स्वच्छता,सद्गुण, धार्मिकता एवं सुव्यवस्था,आत्मा,शरीर,प्राण का पवित्रीकण प्रकट कर रहे हैं तो आप अपने उद्धारकर्ता के इस कथन की पूर्ति कर रहे हैं,’’तुम जगत का प्रकाश हो.’‘ ककेप 207.7

बच्चों को अपने कपड़े संभालने की शिक्षा जल्दी हो आरम्भ कर देना चाहिए.उन्हें अपनी वस्तुएं व्यवस्थित रुप में संभालने की शिक्षा की शिक्षा दी जावें. यदि आप उनके लिए कोई मामूली अलमारी न खरीद सकें तो एक लकड़ी के बक्स में खाने लगा कर सुन्दर फूलदार लगा कर परदा दीजिए,बालकों को प्रतिदिन स्वच्छता की शिक्षा देने का प्रबन्ध किया जावे.यह बालकों के भविष्य को उज्वल बनाने में सहायक होगा और इससे आप निश्चित होकर समय की बचत करेंगे. ककेप 207.8

कुछ माता-पिता अपने बालकों को तोड़-फोड़ की वस्तुएं छूने की आदत में पड़ने देते हैं और उन वस्तुओं जिन को छूना नहीं चाहिए उनके साथ उन्हें खेलने देते हैं.उनको शिक्षा दी जावे कि अन्य व्यक्तियों की वस्तुओं पर हाथ न लगावें.उन्हें परिवार के आराम और आनन्द के हेतु स्वामित्व संबंधी नियम पालन करने की शिक्षा दी जावे.जब बालकों को जो हर एक चीज देखते हैं उन्हें छूने देते हैं तो उनको अधिक आनन्द नहीं होता. ककेप 208.1

यदि तुम्हे वस्तुओं की रक्षा करने की शिक्षा न दी जावे तो उन में विनाशकारी विध्वंशात्मक भावना का प्रादुर्भाव होगा. ककेप 208.2

सहज टूटने वाली वस्तुएं बालकों को खिलौनों के रुप में काम में लाने के लिए नहीं देना चाहिए.ऐसा करने से विध्वंशकारी मनोभाव उत्पन्न करने में प्रोत्साहन मिलता है.उन्हें कुछ ऐसे खिलौने दीजिए जो मजबूत एवं टिकाऊ हों.यह परामर्श हल्के से क्यों न पतित हों बच्चों के प्रशिक्षण में सार्थक होंगे. ककेप 208.3