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दर्शन जिसका वर्णन नहीं किया जा सका ककेप 24

सन् 1890 ई. के नवम्बर मास में जब सालेमंका न्यू यार्क में सभाओं का सिलसिला जारी थी और मिसिज व्हाइट सार्वजनिक सभा में उपदेश दे रही थीं तो बहुत कमजोर हो गई. क्योंकि यात्रा में उनको जोर से सर्दी लग गई थी. वह मीटिंग से निरुत्साह तथा अस्वस्थ-सी होकर अपने कमरे को चली आई. वह अपने को परमेश्वर के सामने बिड़गिड़ा कर प्रार्थना करने तथा अनुग्रह, स्वास्थ्य और बल के लिये सोचने लगी थी. कुर्सी के पास वुटने टेक कर झुकी फिर जो कुछ हुआ उन्होंने अपने शब्दों में कहाः ककेप 24.4

” मैं एक शब्द भी न कहने परई थी कि समस्त कमरा रोशनी से जगमगा गया और निरुत्साह व निराशा के बादल दूर हो गये. मेरा मन शांति और आशा-यीशु की शांति से भर गया. फिर उसको एक दर्शन दिया गया. दर्शन के बाद उन्होंने न सोना चाहा और विश्राम करना . वह स्वस्थ हो गई और विश्राम भी मिल गया.” ककेप 24.5

प्रात: को निर्णय जरुरी देना था. क्या वह उस स्थान को जा सकेंगी जहाँ मीटिंग अब शुरु होगी या अपने घर बैटल क्रीक को लौट जावेंगी. एल्डर एन्टी, राबिनसन जो काम के जिम्मेदार थे और मिसिज व्हाइट के पुत्र एल्डर विलियम व्हाइट उनके कमरे में उत्तर जानने के लिए आये कि उनका क्या उत्तर होगा. उन्होंने उसे सुन्दर वस्त्र पहिने और स्वस्थ दशा में पाया जैसा कि वह कहीं जाने को तैयार थी. उन्होंने अपने चंगे होने का वर्णन किया. उन्होंने दर्शन का भी वर्णन सुनाया. कहने लगीं मैं आप लोगों को बतलाना चाहती हूँ कि मुझे कल रात क्या क्या दिखलाया गया. दर्शन में बैटल क्रीक पहुँची प्रतीत हुई. स्वर्गदूत ने कहा मेरे पीछे हो लो.’‘ इतना कहकर वह जरा हिचकिचाई और याद न कर सकी. दोबारा उन्होंने बतलाने की कोशिश की परन्तु जो कुछ उन्हें दिखाया गया था याद न कर सकीं. कुछ दिनों के बाद उन्होंने इस दर्शन को लिखा. यह दर्शन धार्मिक स्वतत्रंता नामक पत्र के लिये बनाई जा रही योजनाओं के बारे में था जिसको उन दिनों ” अमेरिकन सेन्टीनल’‘ कहते थे. ककेप 24.6

” रात के दर्शन में मैं कई सभाओं में उपस्थित हुई थी. वहाँ मैं ने प्रभावशाली लोगों के मुंह से बारबार ये शब्द सुने, यदि अमेरिकन सेन्टीनल अपने (कलम ) स्तंभ से सेवथ डे. ऐडवेनटिस्ट शब्दों को निकाल दे और ” सब्बत’ के विषय में मोन रहे तो संसार के बड़े-बड़े लोग इसको अपनाने लगेंगे और यह पत्र ख्याति प्राप्त करेगा और एक भारी काम करने योग्य होगा. यह सलाह उन्हें बहुत पसन्द आई.” ककेप 25.1

” मैं ने देखा कि उनके मुखड़े प्रसन्न हो गए. वे ऐसी युक्ति निकालने लगे थे जिससे ‘सेन्टीनल’ सफलता प्राप्त करे, यह सारा मामला ऐसे लोगों ने प्रस्तुत किया जिन्हें स्वंय अपने ह्दय तथा आत्मा में सच्चाई की आवश्यकता थी.’‘ ककेप 25.2

यह स्पष्ट है कि मिसिज व्हाइट ने एक समुदाय को इस पत्र की सम्पादकीय नीति के विषय में वादविवाद करते देखा. जब जनरल कानफ्रेंस मार्च सन् 1891 में एकत्र हुई तो मिसिज व्हाइट से निवेदन किया कि वह कर्मचारियों को साढ़े पाँच बजे व्याख्यान दें और चार हजार व्यक्तिायों को भरी कानफ्रेंस को सब्बत की शाम को उपदेश दें. उनके शास्त्र का पाठ सब्बत की शाम यह थी वैसे ही तुम्हारा प्रकाश मनुष्यों के आगे चमकें करें.’‘ सम्पूर्ण उपदेश सेवंथ-डे ऐडवेनटिस्ट लोगों के प्रति एक अपील थी कि वे अपने विश्वास के विशेष सिद्धान्तों को थामे रहे. व्याख्यान के मध्य में तीन बार उन्होंने सालेमका के दर्शक का वर्णन करना शुरु किया परन्तु प्रत्येक बार वह रुक रुक गई. दर्शन की घटनाएं स्मरण शक्ति से जाती रहीं. तब उन्होंने कहा, ” इसके बारे में मैं बाद में अधिक वर्णन करूंगी.’‘ उन्होंने अपने व्याख्यान को एक ही घंटे के अन्दर सुन्दरता से समाप्त कर दिया और मीटिंग का अन्त हुआ. सब को यह बात प्रत्यक्ष हो गई कि वह दर्शन को स्मरण करने के अयोग्य हैं. ककेप 25.3

जनरल कानफ्रेंस के प्रेजीडेन्ट ने आकर उनसे विनती की कि वह सुबह की मीटिंग का नेतृत्व करे.उन्होंने कहा, ‘‘ नहीं मैं थक गई हूँ, मैं अपनी साक्षी दे चुकी; आप सुबह ही मीटिंग का कुछ और प्रबंध करें. ‘‘ अत: दूसरे प्रबंध किये गये . ककेप 25.4

जब मिसिज व्हाइट अपने घर लौटी तो उसने परिवार के सदस्यों से कहा कि वह सुबह की सभा में सम्मिलित न हो सकेगी. वह पूर्ण विश्राम लेना चाहती थीं. वह इतवार की सुबह तक सोना चाहती थीं. तदनुसार ऐसा बन्दोबस्त किया गया. ककेप 25.5

उसी रात कनफ्रेंस की बैठक के समाप्त होने पर, एक छोटे दल को रेव्यु एण्ड हेरल्ड भवन के किसी दफ्तर से बैठक हुई.उस मीटिंग में छापे खाने की ओर से ‘अमेरिकन सैन्टीनल ‘पत्रिका के तथा रिलीजस लिबर्टी एसोसियेशन के प्रतिनिधि उपस्थित थे.वे एक पेचीदा प्रश्न पर वाद-विवाद तथा निर्णय करने को इकट्टे हुए थे अर्थात अमेरिकन सेन्टीनल की सम्पादकीय नीति पर. अब तो दरवाजे बन्द कर दिये गये और सब ने निश्चय किया कि जब तक प्रश्न तय न हो तब तक दरवाजा न खोला जाए. इतवार की सुबह तीन बजे से थोड़ा पहले सभा समाप्त हुई. परन्तु किसी निर्णय को न पहुँच सकी....मामला ज्यों का त्यों हो रहा. उसमें रिलीजस लिबर्टी के प्रतिनिधियों की ओर से यह संकेत था कि जब तक पैसिफिक प्रेस उनकी मांग पूरी न करे और पत्रिका के स्तम्भ में ‘सेवंथ डे-ऐडवेनटिस्ट ‘ और सब्बत को निकाल न दे, वे उसको रिलिजस लिबटी, ऐसोशियेसन का अंग मान के कभी उपयोग में न लायेंगे. इसका अर्थ पत्रिका की हत्या करना था. उन्होंने दरवाजे खोले और लोग अपने कमरों में जाकर सो गये. ककेप 25.6

परन्तु परमेश्वर ने जो न कभी उंघता न सोता है अपने दूत को एलन व्हाइट के कमरे में तीन बजे सुबह को भेजा, उनको नींद से जगाया और आदेश दिया कि वह कर्मचारियों की सभा में साढ़े पांच बजे हाजिर हों और सालेमंका के दर्शन का वर्णन करें. कपड़े पहन कर वह अपने दफ्तर को गई और उस पत्रिका को साथ लिया जिसमें उन्होंने सालेमंका के दर्शन का उल्लेख किया था. जब दृश्य उनकी आँखों के सामने स्पष्टता से आये तो उन्होंने उसमें और वृद्धि की जो उससे सम्बंधित था. ककेप 26.1

पादरी लोग प्रार्थना से उठ ही रहे थे कि मिसिज़ व्हाइट हस्तलिखित पुस्तकें बगल में दबाये दरवाजे के अन्दर आती दिखाई दीं. जनरल कानफ्रेंस के प्रेजीडेण्ट उस सभा के वक्ता थे उन्होंने उनसे निवेदन किया: ककेप 26.2

“बहन व्हाइट, हम आपको देखकर अत्यन्त हर्षित है’‘ उन्होंने कहा, ‘‘ क्या आपके पास हमारे लिये कोई सन्देश है?’‘ ककेप 26.3

उन्होंने उत्तर दिया, “बेशक, मेरे पास सन्देश है, यह कहकर वह सामने गई. तब उन्होंने उसी जगह शुरु किया जहाँ पहिले दिन छोड़ दिया था. उन्होंने कहा, आज तीन बजे सुबह उनकी नींद से जगाया गया था और आदेश दिया गया कि साढ़े पांच बजे की मीटिंग में हाजिर होकर सालेमंका के दर्शन को पेश करो.” ककेप 26.4

उन्होंने कहा,” दर्शन में ऐसा ज्ञात हुआ कि मैं बैटल क्रीक में हूँ. मुझको रिव्यु एण्ड हेरल्ड के दफ्तर को ले जाया गया और सन्देश देने वाले दूत ने मुझे आज्ञा की कि, मेरे पीछे पीछे चले आओ.’ “मुझे उसे कमरे में लाया जहाँ एक समुदाय अति उत्सुक्ता से एक विषय पर वाद-विवाद कर रहा था. उनमें उत्साह था पर ज्ञान के अनुसार नहीं.’‘ उन्होंने बतलाया कि अमेरिकन सेन्टीनल’ की सम्पादकीय नीति पर ये लोग किस प्रकार बहस कर रहे थे; उन्होंने यह भी कहा कि मैं ने एक व्यक्ति को सेन्टीनल’ की प्रति को अपने सिर से ऊपर उठाकर यह कहते देखा कि, जब तक सब्बत और दूसरे आगमन जैसे लेख इस पत्रिका से न निकाल दिये जाएं इस पत्रिका को रिलिजस लिबर्टी एसोसियेशन एक अंग के रुप में प्रयोग नहीं कर सकते., एलन व्हाइट एक घंटे तक व्याख्यान देती रही और उस मीटिंग का वर्णन करती रही जो दर्शन में कई महीने पहले दिखलाई गई थी और उसी प्रकाश के आधार पर परामर्श देती रहीं. इतना कहकर वह बैठ गई. ककेप 26.5

जनरल कानफ्रेंस के प्रेजीडेन्ट इसके विषय में कुछ विचार न कर सके. उन्होंने तो ऐसी मीटिंग का कभी नाम तक नहीं सुना था. परन्तु उनको इस बात को समझने में ज्यादा देर नहीं लगी क्योंकि एक व्यक्ति कमरे के पिछले भाग में खड़ा होकर कहने लगा,” कल रात मैं उस भीटिंग में उपस्थित था.” बहिन व्हाइट, कल रात ! कल रात? दर्शन से मुझे ऐसा लगा कि यह सभा कई महीने पहिले बैठ चुकी थी. उस व्यक्ति ने कहा, कल ही रात मै उस बैठक में उस बैठक में उपस्थित था और मैं हो वह व्यक्ति हूँ जिसने उस पत्रिका को सिर से ऊपर उठाके उसके विषयों की आलोचना की थी. मुझे खेद के साथ कहना पड़ता है कि मैं गलत रास्ते पर था परन्तु मैं इस अवसर को मूल्यवान समझ कर अपने को सत्य मार्ग पर लाता हूँ. यहकहकर वह बैठ गया. ककेप 26.6

दूसरा व्यक्ति उठ खड़ा. वे रिलीजस लिबर्टी एसोसियेशन के सभापति थे.उनके शब्दों पर ध्यान दीजिए: ‘’मैं उस बैठक में था. कल रात कानफ्रेंस के समाप्त होने के बाद हममें से कई एक रिव्यु आफिस के एक कमरे में जमा हुए थे. और दरवाजा बन्द करके हम उन प्रश्नों तथा मामलों पर वादविवाद करते रहे थे जो आज सुबह हमारे सामने उपस्थित किये गये. इस कमरे में हम सुबह की तीन बजने तक रहे. यदि मैं उन घटनाओं का और कुछ लोगों की व्यक्तिगत भावनाओं का वर्णन सुनाने लगूं तो मैं ऐसे सही ढंग से कभी वर्णन नहीं कर सकता जिस प्रकार बहिन व्हाइट ने बतलाया है. मैं अभी देखता हूँ कि मैं गलती पर था, और मेरे उस समय के विचार ठीक नहीं थे. इस दृश्य पर जो प्रकाश आज दिया गया है उससे प्रभावित होकर मैं इस बात को स्वीकार करता हूँ कि मैं ने गलत राह अपनाई थी.’‘ ककेप 27.1

उस दिन और लोग भी बोले. पिछली रात जितने उस बैठक में थे.प्रत्येक ने उठकर अपनी-अपनी साक्षी दी और एलन व्हाइट ने उस सभा का और उस कमरे के उपस्थित लोगों की भावनाओं का सहीसही वर्णन किया है. उस इतवार की सुबह की मीटिंग समाप्त होने से पूर्व रिलीजस लिबर्टी के दल ने जमा होकर पांच घंटे पूर्व स्वीकृत प्रस्ताव को रद्द किया. ककेप 27.2

यदि मिसिज़ व्हाइट को रोका न जाता और यदि वह सब्बत की शाम को उस दर्शन का वर्णन कर दिया होता तो उनके सन्देश से मनोरथ पूरा न हो पाता जिसे परमेश्वर चाहता था क्योंकि वह बैठक तो अभी हुई भी न थी. ककेप 27.3

तौभी जो साधारण परमर्श उस सब्बत के अपराह को दिया गया था. लोगों ने उस पर ध्यान नहों दिया. जैसे आज लोग करते हैं वैसा उन लोगों ने अपने मन में तर्क किया होगा, ‘’अरे यह समय है बहन व्हाइट नहीं समझी अथवा ‘‘ आज तो जमाना ही और है या वह परामर्श विगत समय के लिए उपयुक्त रहा हो. परन्तु इस समय के लिए उचित नहीं.,जो शैतान इन दिनों में हमारे कान में फुसफुसाता है उसी प्रकार के विचारों से उसने 1891 में उन आदमियाके को आजमाया था. परमेश्वर ने अपने ही समय पर अपने ही ढंग से स्पष्ट कर दिया कि यह उसका काम है; वह पथ-प्रदर्शन कर रहा है, वह रक्षा कर रहा है; उसका हाथ पतवार के ऊपर है. मिसिज़ एलन व्हाइट हमको बतलाती हैं कि परमेश्वर मामलों को विकट अवस्था तक पहुँचने देता है ताकि उसका आक्षेप प्रत्यक्ष दिखाई पड़े. फिर उसने इसको प्रत्यक्ष करके दिखला दिया कि इस्राएल में एक परमेश्वर है. ककेप 27.4