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“सूअर तुम्हारे लिये अशुद्ध है’‘ ककेप 288

सूअर की जातियों में ढेर परजीवी पाये जाते हैं.सूअर के विषय में परमेश्वर ने कहा, ‘’वह तुम्हारे लिये अशुद्ध है सो न तो इन का मांस खाना और न इनकी लोथ छूना.’‘ (व्यवस्थाविवरण 14:8)यह आज्ञा इस लिये दी गई क्योंकि सूअर का मांस खाने के लिये अशुद्ध है. सूअर मैले की सफाई करने वाले हैं और वे इस काम के लिये बनाये हैं.मानव उनका मांस किसी भी हालत में न खायें. किसी भी जीवित पशु के मांस का स्वस्थ्य होना असम्भव है जब कि गंदगी उसका प्राकृतिक तत्व है और प्रत्येक घृणित पदार्थ पर गुजर बसर करता है. ककेप 288.1

सूअर का मांस,यद्यपि यह एक आम आहार बन चुका है बहुत ही हानिकारक है.परमेश्वर ने इब्रियों को सूअर का मांस खाना केवल अपना इख्तियार दिखलाने को वर्जित नहीं किया परन्तु इस लिये कि वह मनुष्य के लिये उचित खाद्य पदार्थ नहीं था.उससे देह में कण्ठमाला ( क्षयरोग की ग्रंथियां)उत्पन्न हो जाती है और विशेषकर उसे गर्म जलवायु में तथा विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर देता है.ऐसो आबहवा में उसका असर देह ऊपर ठंडे मौसम की अपेक्षा अधिक हानिकारक पड़ता है.सूअर का मांस दूसरे मांसों की अपेक्षा रक्त को दृषित कर देता है.जो सूअर का मांस बेरोकटोक खाते हैं सिर्फ बीमारी की आशा कर सकते हैं. ककेप 288.2

मस्तिक की महीन, सूक्ष्मग्राही वाहिनियाँ निर्बल तथा ऐसी धूमिल हो जाती हैं कि पवित्र चीजों का कोई ज्ञान नहीं रहता बल्कि उनको हटाकर सामान्य वस्तुओं के बराबर समझा जाता है. ककेप 288.3

जो लोग घर से बाहर काम करते हैं सूअर के मांस खाने के बुरे परिणामों को महसूस नहीं करते जिस प्रकार वे महसूस करते हैं जिनका काम घर ही घर में होता है और जिनका काम कुर्सी पर बैठ के किया जाता है तथा जिनका,कार्य दिमागी होता है. ककेप 288.4