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ऐसा कार्य जिससे सब को संयुक्त होना चाहिए ककेप 316

सुसमाचार के अध्यक्षों को चिकित्सा सम्बन्धी कार्य को संयुक्त करना चाहिए, यह मुझ को ऐसा दिखलाया गया कि इससे वह द्वेष की दीवाल गिराई जायगी जो सत्य के विरुद्व संसार में खड़ी है. ककेप 316.2

सुसमाचार को अध्यक्ष अपने काम में दुगुनी सफलता प्राप्त करेगा यदि वह रोग की चिकित्सा करना समझता है. लोगों को ठीक उसी जगह लेना है जहां वे हैं, जो कुछ उनकी स्थिति हो जिस हालत में वे हों और उनकी जहां तक सम्भव है सहायता करना सुसमाचार की सेवाकार्य ही है.शायद अध्यक्ष की बीमारों के घर में जाने की आवश्यकता पड़े और यह कहे,“मैं आप की सहायता करने को तैयार हूँ,और मै जो कुछ कर सकेंगा करुंगा. मैं डाक्टर नहीं हूँ, मैं तो अध्यक्ष हूँ परन्तु मैं रोगियों तथा दु:खियों की सेवा करना चाहता हूँ. जो शारीरिक रुप में बीमार रहते हैं वे आत्मा से प्राय: सर्वदा दु:खी रहते हैं और जब आत्मा रोग ग्रस्त होती है तो देह भी दु:खी हो जाती है.” ककेप 316.3

अध्यक्ष के काम और चिकित्सा सम्बन्धी कार्य में कोई विभाजन नहीं होना चाहिए. चिकित्सक को अध्यक्ष के साथ समान रुप में आत्मा के त्राण के तथा देह की रोगनिवृति के लिए इतने ही उत्साह और पूर्णता से कार्य करना चाहिए.कुछ लोग जो युवकों के मस्तिष्क और देह दोनों का चिकित्सक होने में कोई लाभ नहीं देखते, कहते हैं कि दशमांश के द्वारा चिकित्सक के काम को मदद नहीं करनी चाहिए क्योंकि वे अपना सारा समय बीमारों की चिकित्सा हो में व्यतीत करते हैं.ऐसी उक्तियों के उत्तर में मुझे आदेश मिला है कि मस्तिष्क को इतना तंग नहीं करना चाहिए कि वह सत्य को न कबूल कर सके.सुसमाचार का अध्यक्ष जो चिकित्सा सम्बन्धी मिशनरी भी है और जो दैहिक रोगों की चिकित्सा भी कर सकता है वह उससे अधिक योग्य कर्मचारी है जो इस काम को नहीं कर सकता.उसका काम अध्यक्ष के रुप में और भी सम्पूर्ण है. ककेप 316.4

परमेश्वर ने घोषित किया है कि सुशिक्षित चिकित्सक हमारे नगरों में अच्छी तरह कबूल किया जायगा जब कि दूसरे लोग असर के साथ चिकित्सक और सुसमाचार के अध्यक्ष दोनों का काम संयुक्त कर सकता है उसमें योग्यता और शक्ति है.उसका काम लोगों को समझ में अच्छा जाँचता है. ककेप 316.5

इस प्रकार हमारे चिकित्सकों को मेहनत करनी चाहिए.जब वे उपदेशक के रुप में परिश्रम कर रहे हैं जब वे लोगों को आदेश दे रहे हैं कि आत्मा किस प्रकार यीशु के द्वारा चंगा हो सकती है तो वे परमेश्वर का काम कर रहे हैं.प्रत्येक चिकित्सका को जानना चाहिए कि बीमारों के लिए विश्वास के साथ प्रार्थना किस प्रकार करनी चाहिए और यह भी कि उचित चिकित्सा कैसी करनी चाहिए.साथ ही साथ उसको परमेश्वर के सेवक की भांति पश्चाताप तथा मन फिराव और व देह के त्राण के बारे में शिक्षा देनी चाहिए.परिश्रम को इस प्रकार संयुक्त करने से उसका विस्तृत होगा जिससे उसका प्रभाव अत्यधिक बढ़ जायगा. ककेप 316.6