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राजनीतिक सम्बंध में उत्तेजना ककेप 322

जो अध्यापक हमारी मंडलियों तथा स्कूलों से धर्मपुस्तक सिखाते हैं वे अपने को राजनैतिक व्यक्तियों अथवा कारवाई के प्रति अथवा विरुद्ध निर्णय देने को स्वतंत्र न समझे क्योंकि ऐसा करने से वे दूसरे के मन को उभाड़ते हैं और प्रत्येक की अपनी ही दिल पसंद कल्पना की पैरवी करने में नेतृत्व करते हैं.वर्तमान सत्य के इकरार करने वालों में कुछ हैं जो इस प्रकार अपनी भावनाओं तथा राजनैतिक ग्राह्यता की व्यक्त करने की यहां तक उसकसाये जाते हैं कि कलीसिया में भी फूट पड़ जाती हैं.. ककेप 322.1

परमेश्वर चाहता है कि उसके लोग राजनैतिक प्रश्नों को गाड़ दें.इस प्रसंग में खामोशी ही उत्तम है मसीह अपने अनुयायियों को बुलाहट देता है कि वे खालिस सुसमाचार के सिद्धान्तों में जो परमेश्वर के वचन में स्पष्टता दशति गये हैं संयुक्त हों.हम सुरक्षा की भावना लेकर राजनैतिक दलों के लिये मत नहीं दे सकते क्योंकि हम नहीं जानते कि हम किसके लिये मत दे रहे हैं.हम किसी राजनैतिक योजना में सुरक्षा की भावना लेकर भाग नहीं ले सकते. ककेप 322.2

जो वास्तविक मसीही हैं वे असली दाखलता की डालियां होनी,और अंगूर ही का फल लाएंगी.वे मेलमिलाप से मसीही संगत में क्या करेंगे. वे राजनैतिक बिल्ला नहीं किन्तु मसीह क्या बिल्ला लगायेंगे. ककेप 322.3

फिर हम क्या करें? राजनैतिक प्रश्नों को अलग ही रहने दें. ककेप 322.4

एक बड़ा अंगूरिस्तान है जिसमें पौधे लगाने हैं परन्तु जब मसीही लोग के बीच काम कर रहे हैं तो उन्हें सांसारिक लोगों की भांति नहीं दिखाई देना चाहिये.उनको अपने समय में राजनैतिक विषयों पर न तो बातचीत करनी चाहिये औरहिस्सा लेना चाहिये ऐसा करने से वह शत्रु को मौका देते हैं कि अन्दर आकर भिन्नता और विरोध पैदा करे. ककेप 322.5

परमेश्वर की संतान अपने को राजनीति से पृथक रखें.किसी राजनैतिक झगड़े में भाग न लें. दुनिया से अलग रहो और कलीसिया स्कूल में झगड़े तथा गड़बड़ी के ख्याल न लगाए.फूट एक नैतिक विष है जिसने स्वार्थी लोग अपनी शरीर में लेते हैं. ककेप 322.6