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अध्याय 60 - शैतान के झूठे अद्भुत कार्य ककेप 335

मेरा ध्यान धर्मपुस्तक के इस वाक्य की ओर आकर्षित किया गया कि यहाँ आधुनिक प्रेतवाद की ओर संकेत करता है:कुलुसियो 2:8 ‘चौकस रहो कि कोई तुम्हें उस तत्व ज्ञान और व्यर्थ धोखे के द्वारा अहेर न कर ले, जो मनुष्यों के परंपराई मत और संसार की आदिशिक्षा के अनुसार नहीं.’‘ मुझे दिखलाया गया कि विज्ञान तथा मैस्मेरिजम के द्वारा हजारों बर्बाद हो गये ओर नास्तिक हो गये.यदि मस्तिष्क इस दिशा की ओर फिरने लगा तो प्राय: निश्चित रुप में वह अपना संतुलन खोकर दुष्टात्मा के कबूजे पड़ जाएगा, बेचारे नश्वरों का मन ‘’व्यर्थ धोखे से भर जाता है.वे सोचते हैं कि उनमें बड़े-बड़े काम करने की ऐसी शक्ति आ गई, कि अब उन्हें उच्चतर शक्ति की कोई आवश्यकता नहीं है.उनका सिद्धान्त और विश्वास ‘’मनुष्यों की परम्पराई के अनुसार और संसार की आदि शिक्षा के अनुसार है,पर ख्रीषट के अनुसार नहीं है. ककेप 335.1

उनको यह तत्वज्ञान मसीह ने नहीं सिखलाया.इस प्रकार की कोई भी बात उसकी शिक्षा में नहीं पाई जाती.उसने लाचार नश्वरों का ख्याल उस व्यक्ति की ओर जो वे रखते थे आकर्षित नहीं कराया.वह सदा उनके विचार का परमेश्वर की ओर जो सारे विश्व का निर्माता है और उनकी ताकत और बुद्धि का स्त्रोत है मार्ग दर्शन कराता था.अठारहवें पद में विशेष चितावनी दी गई है: “कोई जो अपनी इच्छा से दीनता और दूतों की पूजा करने हारा होय तुम्हारा प्रतिफल हरण न करे जो उन बातों में जिन्हें नहीं देखा है घुस जाता है और अपने शारीरिक ज्ञान से वृथा फुलाया जाता है.” ककेप 335.2

प्रेतवाद के शिक्षक आप का मनोहर,मोहक रीति से स्वागत करने आएंगे,और यदि आप उनके किस्से कहानियों पर कान धरेंगे तो आप शत्रु द्वारा बहक जाएंगे और सचमुच अपना प्रतिफल खो बैठेगे.एक बार सरदार धोखे बाज का जादू का सा असर आप के ऊपर हो जाय फिर तो आप पर मानो विष चढ़ चुका और उसका घातक प्रभाव उस विश्वास को जो आप मसीह के परमेश्वर का पुत्र होने के ऊपर है भ्रष्ट कर नष्ट कर डालेगा और आप उसके रक्त की योग्यता पर विश्वास करना छोड़ देंगे.जो लोग इस तत्वज्ञान से धोखा खा चुकते हैं वे शैतान की छल बाजी से अपने प्रतिफल से हाथ धो बैठते हैं. वे अपनी ही योग्यता पर भरोसा रखते,स्वचेछा से नम्रता दिखलाते, कुरबानी करने को भी तैयार होते और अपने को पदच्युत करते,और अपने मनों को पहले दर्जे की बेहूदगी के हवाले करते और जिन्हें वे समझते हैं कि उनके मृतक मित्र हैं उनके द्वारा अत्यंत असम्भव बल्कि बेहूदा विचारों को ग्रहण करते हैं.शैतान ने उसकी आंखो को ऐसा अंधा कर दिया और विवेक को ऐसा भ्रष्ट कर दिया है कि वे उस बुराई को मालूम ही नहीं कर सकते और वे उन आदेशों का पालन करते हैं कि उनके मृतक मित्रों की ओर से हैं जो उच्च लोक में दूत बन गये. ककेप 335.3