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विश्वास की प्रार्थना ककेप 337

यदि हमारी आँखें खोली जातो कि पतित दूतों को उनके साथ काम करते देखें जो अपने आप को सुरक्षित समझते हैं तो हम अपने को ऐसा सुरक्षित नहीं समझेंगे.दुष्ट दूत हर क्षण हमारी घात में है.शैतान के सुझाव पर ऐसी आशा की जाती कि दुष्ट लोग काम करने को तैयार रहते हैं परन्तु जब हमारे मन उसके अदृश्य प्रतिनिधियों के प्रति अरक्षित हैं तो वे नई राह तैयार कर के हमारी दृष्टि के सामने आश्चर्यजनक कार्य करते है.क्या हम परमेश्वर के वचन द्वारा उनका मुकाबला करने को तैयार हैं जो एक मात्र शस्त्र है जिसे हम सफलतापूर्वक उपयोग कर सकते हैं? ककेप 337.1

कुछ लोग इन अचंभों को परमेश्वर की ओर से समझ कर ग्रहण करने के प्रलोभन में पड़ जाएंगे.रोग हमारे सामने चंगे किए जाएंगे.हमारी ही दृष्टि के सामने आश्चर्यकर्म किए जाएंगे.क्या हम उस परीक्षा के लिए तैयार हैं जो आने वाली है जब शैतान के झूठे आश्चर्यकर्म अधिक पूर्ण रीति से प्रदर्शित होंगे.क्या बहुत-सी आत्माएं जाल में फंसाकर कैद न की जाएंगी? साधारण सिद्धांतों तथा परमेश्वर के हुक्मों से फिर कर और किस्से कहानियों की ओर ध्यान देकर बहुतों के मन झूठे आश्चर्यों को ग्रहण करने के लिए तैयार हो रहे हैं.हमें अपने को उस संग्राम के लिए जिसमें हम शीघ्र व्यस्त होंगे सशस्त्र होने की कोशिश करनी चाहियए उन्होंने ऐसा क्रोध प्रदर्शित किया.यो उन्होंने सच्चे हृदय परिवर्तन का प्रमाण दिया. ककेप 337.2

अज्ञानता से यह ख्याल किया जाता है कि मूर्तिपूजकों का अंधविश्वास बीसवीं शताब्दी की सभ्यता के सामने अंतर्धान हो गया.परन्तु परमेश्वर का वचन और तथ्यों की दृढ़ साक्षी घोषित करते हैं कि जादूगरी इस युग में ऐसी ही प्रयोग में लाई जाती है जैसी प्राचीन समय के जादूगरों के दिनों में लाई जाती थी.जादूगरी की प्राचीन प्रणाली वास्तव में वही है जो आजकल आधुनिक प्रेतवाद(स्पिरिचुलिज्म )के नाम से जानी जाती है.मृतक मित्रों के वेष में अपने आप को पेश करने द्वारा शैतान की हजारों मनुष्यों तक पहुंच हो रही है.धर्मपुस्तक घोषित करती है कि ‘’मरे हुये कुछ भी नहीं जानते.’‘ (सभोपदेशक 9:5)उनके विचार,उनका प्रेम,उनकी घृणा सब नाश हो चुके हैं.मृतक जीवितों से कोई बातचीत नहीं करते.अपनी आरम्भिक धूर्तता का खैरख्वाह बनकर शैतान इस युक्ति को काम में लाता है कि दिमागों के ऊपर नियंत्रण प्राप्त करे. ककेप 337.3

प्रेतवाद के जरिये बीमारों,शोकाकुलों,खोजियों में से बहुत दुष्ट आत्माओं से वार्तालाप कर रहे हैं.जो ऐसा करने का साहस करते हैं वे भयंकर भूमि में हैं.सत्य का वचन बतलाता है कि परमेश्वर उनको कैसा समझता है.प्राचीन काल में उसने एक राजा को जिसने परामर्श के लिये मूर्तिपूजक भविष्यवक्ता के पास कहला भेजा था सख्त दंडाज्ञा दीः’’क्या इस्राएल में कोई परमेश्वर नहीं जो तुम एक्रोन के बाल जबूब देवता से पूछते हो?सो यहोवा तुझ से यों कहता है जिस पलंग पर तू पड़ा है उस पर से कभी न उठेगा,मर हो जायगा.’’(2राजा 1:3,4)पुराने के मूर्ति पूजकों और जादूगरों का प्रतिरुप आज प्रेतवाद के मध्यस्थ और शगुन विचारियों में पाया है.वही रहस्यपूर्ण परमेश्वर के वचन पर विश्वास उसका प्रार्थनामय अध्ययन तथा व्यावहारिक प्रयोग शैतान की शक्ति का प्रतिरोध करने के लिये एक ढाल का काम देगा और हम को मसीह के लोहु के द्वारा विजयी बनाएगा. ककेप 338.1