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मसीह आने में विलम्ब करता है-इस ख्याल में खतरा ककेप 350

वह दुष्ट दास जिसने अपने मन में कहा था ‘मेरा स्वामी आने में विलम्ब करता है.’‘ (मत्ती 24:48)अपने प्रभु के बाट जोहने का इकरार करता था वह एक ‘’दास’‘ तो था जो बाह्यरुप में परमेश्वर की सेवा में संलग्न था पर हृदय में वह शैतान का चला था. ककेप 350.1

हंसी ठट्टा करने वालों की भांति वह खुल्लम खुल्ला सत्य का इन्कार नहीं करता परन्तु अपने जीवन से यही ख्याल प्रकट करता है कि प्रभु आगमन में विलम्ब है. ककेप 350.2

ढिठाई उसको अनंत हितों की ओर से लापरवाह बना डालती है.वह संसार की नीति को ग्रहण करता है और उसकी रीति रिवाजों के अनुकूल चलता है.स्वार्थ सांसारिक अभिमान व अभिलाषाएँ उसके जीवन में प्रभुत्व रखते है. इस विचार से डरते हुये कि उसके भाई उससे ऊँचे पर आसीन होंगे वह उनकी मेहनतों की निंदा और उनके इरादों का विरोध करने लगता है.इस तरह से वह अपने साथियों को मारने पीटने लगता है ककेप 350.3

जितना वह परमेश्वर के लोगों से दूर होता है उतना ही अधिक वह अधार्मियों के साथ मिल जाता है. वह मतवालों के संग खाते पीते पाया जाता है-दुनियादारों के संग शामिल होकर उनकी भावनाओं में शरीक होता है.इस प्रकार उसको शारीरिक सुरक्षित में ए.रांति मिलती है और विसराहट,उदासीनता और अलस्य का दावा लेते हैं ककेप 350.4