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परमेश्वर के लोग संदेह और डर की परवाह न कर आगे बढ़ते हैं ककेप 352

परमेश्वर अब अपने लोगों के साथ जो वर्तमान सत्य पर विश्वास करते हैं व्यवहार कर रहा है.उसका विचार है कि महत्वपूर्ण परिणाम प्रगट करे और जब वह दूरदर्शिता से इस मनोरथ को पूरा करने के लिये कार्य कर रहा है तो वह अपने लोगों से कहता है: “यहां से कूच करो.’’यह सच है कि मार्ग अभी नहीं है;परन्तु जब वे विश्वास और धैर्य के बल पर आगे बढ़ेंगे तो परमेश्वर उनकी आंखों के सामने मार्ग स्पष्ट कर देगा.कुछ हैं जो प्राचीन इस्राएल की भांति शिकायत करेंगे और अपनी स्थिति को कठिनाइयों का दोष उन पर लगाएंगे जिन्हें परमेश्वर ने विशेष अभिप्राय से अपने कार्य को आगे बढ़ाने के लिये उच्चासीन किया है.वे यह देखने में चुक करते हैं कि परमेश्वर उनको ऐसी तंग हालत में लाकर आजमा रहा है.जहां से छुटकारा मिलना कठिन है सिवाय उसके हाथ के द्वारा. ककेप 352.2

ऐसे समय आते हैं जब मसीही जीवन खतरों से व्याकुल हो जाता है और कर्तव्य निभाना कठिन हो जाता है.विचार शक्ति आगे आने वाली,नाश करने वाले और पीछे कैद तथा मृत्यु का चित्रण करती है.तौभी परमेश्वर की आवाज सारी निरुत्साही के मध्य स्पष्टता से कहती है: आगे बढ़ी यहाँ से कूच करो. “हमें इस आज्ञा का पालन करना चाहिये,नतीजा चाहे जो कुछ भी हो,यद्यपि हमारी आंखे उस अंधकार के पार न देख सकें और यद्यपि हमारे पांव ठंडी लहरों का अनुभव करें. ककेप 352.3

बटे हुये,निरुत्साह जीवन में संदेह तथा अंधकार पायें जायंगे.आप न तो धार्मिक शांति का ही आनंद ले सकते हैं और न उस शाँति का जिसे संसार देता है.शैतान को हाथ-पर हाथ धरने की आराम कुर्सी में न बैठिये परन्तु उठकर उस उच्च स्तर का लक्ष्य लीजिये जिस तक पहुंचना आपका सौभाग्य है. मसीह की खातिर सब का त्याग करना एक विशेषाधिकार है. दूसरों के जीवन का आदर्श न लीजिये न उनका अनुकरण करिये अन्यथा उन से ऊंचा न उठ सकेंगे. आप के सन्मुख एक ही अचूक नमूना है.केवल यीशु का ही पीछा करने में सुरक्षा है.यदि दूसरे किसी आत्मिक आलसी पुरुष के सिद्धान्तों पर चलें तो निश्चय कर लें कि आप उन्हें छोड़कर मसीही चरित्र की ऊंचाई की और आगे बढ़ेंगे.स्वर्ग के लिये चरित्र का निर्माण कीजिए. अपनी चौकी पर सो न जाइये.अपनी आत्मा के साथ विश्वस्तता तथा सच्चाई का बर्ताव कीजिए. ककेप 352.4