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सूर्यास्त की उपासना ककेप 46

तथाकथित इकरारी सब्बत मानने वालों की ओर से जितनी पवित्रता सब्बत को दी जाती है उससे कहीं अधिक उसमें शामिल है. वे लोग परमेश्वर का अत्यधिक निरादर करते हैं जो सब्बत को आज्ञा के अनुसार नहीं मानते; न तो अक्षरश: और न आत्मा में, सब्बत के पालन करने में परमेश्वर सुधार की मांग करता है. ककेप 46.1

सूर्यास्त से पूर्व परिवार के सदस्यों को परमेश्वर का वचन पढ़ने, भजन गाने तथा प्रार्थना करने की एकत्र होना चाहिये. यहीं पर सुधार की आवश्यकता है क्योंकि अनेकों ने यहीं पर भूल की है.हमें परमेश्वर के सामने और एक दूसरे के सामने अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिये. हम नये सिरे से विशेष प्रबंध करें कि परमेश्वर का प्रत्येक मेम्बर उस दिन का आदर करने को तैयार रहे जिसको परमेश्वर ने आशीर्वाद दिया और पवित्र ठहराया. ककेप 46.2

पारिवारिक उपासना में बालकों को भी भाग लेने दें. प्रत्येक को बाइबल लेकर एक या दो पद पढ़ने दिया जाय. फिर कोई गीत गाया जाय जिसको सब जानते हैं और उसके बाद प्रार्थना की जाय. इसके लिए मसीह ने एक नमूना दिया है. प्रभु की प्रार्थना केवल रीति के अनुसार दुहराने के लिए नहीं दी गई थी परन्तु नमूने के लिए दी गई थी कि हमारी प्रार्थनाएं किस प्रकार होनी चाहिए अर्थात साधारण, जोशीले तथा बहुग्राही होनी चाहिये. साधारण निवेदन द्वारा अपनी आवश्यकताओं का वर्णन करो और उसकी कृपाओं के लिए धन्य मानो.यों आप यीशु को अपने घर तथा ह्दय में मेहमान स्वरुप नेवता देते हैं. परिवार में दूरवर्ती पदार्थों के लिए प्रार्थना करना उचित नहीं. वे प्रार्थना के समय को थकावट का समय बना डालते हैं जब कि उसे आशीर्वाद तथा सौभाग्य का समय समझना चाहिये. इस समय को दिलचस्पी तथा खुशी का मौका बनाइये. ककेप 46.3

(सब्बत के समाप्त होने पर)जब सूर्य डूबता है तो स्तुति का गीत तथा प्रार्थना की आवाज घड़ियों को समाप्त करें और मैहनत के सप्ताह भर की समस्याओं के निवारण के लिए और परमेश्वर की उपस्थिति के लिए प्रार्थना करें. ककेप 46.4

सब्बत को परमेश्वर के लिए पवित्र मानने में अनन्त मुक्ति है. परमेश्वर कहता है, जो मेरा आदर करे मैं उनका आदर करूंगा.’’(1शमुएल 2:30) ककेप 46.5