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अध्याय 6 - मैं यहाँ हूँ! मुझे भेज ककेप 61

रात्रि के समय चोर के निराहट आगमन की भांति जगत का अन्त अदृश्य रुप में हमारे ऊपर चला आ रहा है. परमेश्वर करे कि हम दूसरों की भांति सोते न रहें परन्तु जागते रहें और सयंमी रहें. सत्य की अविलम्ब शान के साथ जय होने वाली है और वे सब जो परमेश्वर के संग काम करने वाले बनना चाहते हैं उसके संग-संग विजय पायेंगे. समय थोड़ा, रात्रि शीघ्र आने वाली है जिसमें कोई काम न कर सकेगा.वे जो वर्तमान सच्चाई में आनंदित हैं वे जल्दी से इस सच्चाई को दूसरों को भी पहुंचावे. परमेश्वर प्रश्न पूछ रहा है,“मैं किसको भेजू?’‘ जो सत्य के खातिर बलिदान करना चाहते हैं वे उत्तर दें, “प्रभु मैं यहाँ हूँ मुझ भेज’‘ ककेप 61.1

हमने सुमाचार के काम का जिसे परमेश्वर चाहता है कि हम अपने पड़ोसियों तथा मित्रों के बीच में करें केवल थोड़ा सा भाग किया हैं. हमारे देश के प्रत्येक नगर में ऐसे लोग हैं जो सच्चाई को नहीं जानते. और समुद्र पार की दुनिया में अनेक नये क्षेत्र हैं जहाँ भूमि को जोतना और उसमें बीज बोना है. ककेप 61.2

हम संकट के समय के बिल्कुल तट पर है और कठिनाइयाँ जिनका स्वप्न में भी ख्याल नहीं हो सकता था हमारे सामने हैं. नीचे से एक शक्ति लोगों का नेतृत्व कर रही है.मानव प्राणियों ने शैतानी कारिन्दों के साथ-संधि करली है कि परमेश्वर की व्यवस्था को निरर्थक करें. इस संसार के निवासी नूह के दिनों के निवासियों को भाति बनते जा रहे हैं जिनको जल-प्रलय बहा ले गया और सदोम के निवासियों का भाति होते जा रहे हैं जो आकाश की आग से भस्म किये गये. लोगों का ध्यान अनन्त सत्य से हटाये रखें शैतान की शक्तियां काम पर तत्पर हैं. शत्रु स्थायी सत्यता से लोगों के मन को विचलित करने के लिये तनमय लगा है.सांसारिक कारोबार, खेल,सामयिक फैशन---ये चीजें पुरुष व स्त्रियों के ध्यान को आकर्षित किये रहती हैं. मन बहलाव की बातें और अनुपयोगी पुस्तक पढ़ने से बुद्धि खराब हो जाती है.उस चौड़ी सड़क पर जो अनन्त विनाश को पहुँचाती है एक लम्बा जलूस यात्रा कर रहा है. अत्याचार, मद्यप के उत्सव और नशेबाजी से भरी दुनिया कलीसिया के मन को फेर रही है.परमेश्वर की व्यवस्था, धार्मिकता का ईश्वरीय माप, अनुपयोगी घोषित की गई है. ककेप 61.3

अन्त के समय से संबधित भविष्यवाणियों के पूर्ण होने तक क्या हम ठहरें रहें और तब तक उनके विषय में कुछ न कहें? तब हमारी बातों का क्या मूल्य होगा? जब तक परमेश्वर का कोप अपराधी पर ने भड़क उठे क्या हम तब तक ठहरे रहें और कुछ न कहें कि किस प्रकार उस से बच सकते हैं? परमेश्वर के वचन में हमारा विश्वास किधर है? क्या हम पहिले से बतलाई बातों को पूरा होते देखें तब विश्वास लायें कि परमेश्वर ने क्या कहा था. प्रकाश की स्पष्ट पृथक किरणें हम तक पहुँची हैं और बतला रही हैं कि परमेश्वर का भंयकर दिन निकट है बिल्क द्वार पर है. समय अधिक बीत जाने से पहिले आइये हम पढ़े और बूझे. ककेप 61.4