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परमेश्वर की इच्छा पवित्रात्मा का दान देने की है ककेप 62

जब किसी स्थान में जहाँ हमारे लोग रहते हैं अनुभव कर्मचारी कोई विशेष धार्मिक सभा करते हैं तो उस क्षेत्र के विश्वासियों के ऊपर परमेश्वर के लिये काम करने की राह निकालने की गम्भीर जिम्मेदारी आ पड़ती है. उन्हें अपने दयों की प्रार्थना के साथ छानबीन करनी चाहिये और सम्राज के राज मार्ग को साफ रखना चाहिये, और प्रत्येक पाप को जो उन्हें परमेश्वर के संग और अपने भाइयों के संग मिलकर काम करने से रोकता हैं दूर करना चाहिये. ककेप 62.5

रात के दर्शनों में परमेश्वर के लोगों के बीच हुए सुधार आन्दोलन के प्रदर्शन मेरे सामने से गुजरे. कितने तो परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे; रोगी चंगे किये जा रहे थे और अन्याय आश्चर्य कर्म किये जा रहे थे. उनके बीच मध्यस्थता की भावना दिखाई दे रही थी जैसी पैन्तीकोष्ट के दिन से पहले प्रत्यक्ष थी. सैकड़ो और हजारों परिवारों से मुलाकात करते और इनके सामने परमेश्वर का वचन खोलते हुए देखे गये. पवित्र आत्मा की शक्ति द्वारा अनेक ह्दय दोषी ठहराये गये, और सच्चे मन फिराव की भावना प्रगट हुई. सच्चाई की घोषणा के लिए चारों ओर द्वार खुल गये.स्वर्गीय प्रभाव से सारा संसार प्रकाशमग्न प्रतीत हुआ. परमेश्वर के सच्चे और विनम्र लोगों ने बड़ी आशीषे प्राप्त हुआ. मैं ने धन्यवाद और प्रशंसा की आवाजें सुनी और वह एक धर्म सुधार की भाति प्रतीत हुआ जैसा हमने 1844 में देखा था. ककेप 63.1

’परमेश्वर पवित्र आत्मा के वरदान द्वारा अपने लोगों को ताजा दम करना चाहता है और उनको प्यार में नये सिरे से बपिस्मा देना चाहता है. कलीसिया में पवित्र आत्मा के अभाव की कोई आवश्यकता नहीं है. मसीह के स्वर्गारोहण के बाद पवित्र आत्मा बाटजोहने, प्रार्थना करने तथा विश्वास लाने वाले शिष्यों पर भरपूर की महिमा से प्रकाशमान होगी. जो लोग सत्य के द्वारा पवित्र किये गये हैं उनसे एक पवित्र प्रभाव संसार तक पहुंचेगा, पृथ्वी अनुग्रह के वायुमण्डल से घिर जायेगी. पवित्र आत्मा मानव ह्दयों पर प्रभाव डालेगा और परमेश्वर की बातों को लेकर मनुष्यों को दिखलायेगा. ककेप 63.2

जो लोग सचमुच परमेश्वर पर विश्वास रखते हैं उन सब के लिये परमेश्वर एक भारी काम करने को राज़ी है. यदि कलीसिया के अवैतनिक सदस्यों में उस काम को करने की जागृति पैदा हो जिसे वे कर सकते हैं अर्थात युद्ध में अपने खर्चे से जाये और प्रत्येक यह देखे कि वह यीशु के लिये आत्माओं को जीतने में कितना कार्य कर सकता है तो हम देखेंगे कि बहुत से लोग उस रोशनी के अनुसार चलेंगे जो इन चन्द शब्दों में दी गई हैं, (यूहन्ना 18:8) तो हम सचमुच परमेश्वर के उद्धार को देखेंगे. अद्भुत पुनर्जीवन का अनुभव होगा. पापियों का ह्दय बदल जायगा और बहुत से लोग कलीसिया में शामिल हो जायेंगे. जब हम अपना ह्दय मसीह के संयोग में लाते है और अपने जीवन को उसके काम के अनुकूल बनाते हैं तो वह आत्मा जो पेन्तीकोष्ट के दिन शिष्यों पर उतरा था हम पर भी उतरेगा. ककेप 63.3