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अध्याय 9 - मसीह के साथ मेल और भ्रातृ प्रेम ककेप 83

परमेश्वर का अभिप्राय है कि उसकी संतान एक हो.क्या वे सब एक ही स्वर्ग में इकट्ठा नहीं रहना चाहते हैं? क्या मसीह बँट गया है? क्या वह अपने लोगों से कटु विचारों तथा फूट के कूड़े कर्कट को पृथक करने से पहिले अथवा कर्मचारियों के आपस में सहमत होने से पहिले कि वे अपने मन,चित्त व सामर्थ्य को उस काम पर जो परमेश्वर की दृष्टि में पवित्र है लवलीन करें,उनको सफलता प्रदान करेगा? मेल से बल प्राप्त होता है,फूट से निर्बलता.एक दूसरे के साथ मिलकर मनुष्यों की त्राण के लिये काम करने से हम परमेश्वर के साथ काम करने वाले ठहरते हैं, जो मिलकर काम करने से इन्कार करते हैं वे परमेश्वर का बड़ा अनादर करते हैं. आत्माओं को शत्रु प्रसन्न होता है जब वह लोगों को एक दूसरे के विरुद्ध कार्य करते देखता है. ऐसों में भ्रांतृ प्रेम और हृदय की कोमलता उत्पन्न करनी चाहिये.यदि वे उस पर्दे को हटाकर देख सकते जो भविष्य को छिपाते हुये हैं और अपनी फूट के परिणाम को देखते तो वे सचमुच पश्चाताप करते. ककेप 83.1