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मंडली के गरीबों की ओर हमारा कर्त्तव्य ककेप 124

दो प्रकार के गरीब हैं जो सदा हमारी सीमा के अन्दर रहते हैं-प्रथम वे जो अपने को अपने स्वाधीन रीति-रिवाज से अपने को बर्बाद कर दिए हैं और आज्ञालंघन के कार्य में लगे रहते हैं.और दूसरे वे जो सत्य की खातिर तंग परिस्थिति में पड़ हैं.हम को अपने पड़ोसी से अपनी भांति प्रेम करना चाहिए तभी हम इन दोनों श्रेणियों के साथ कुशल बुद्धि के मार्ग दर्शक व परामर्श के अधीन यथोचित व्यवहार कर सकेंगे.दुसरे वर्ग के गरीबों के संबंध में कोई प्रश्न नहीं उठता जहाँ तक उन का लाभ हो उनकी हर हालत में सहायता करनी चाहिए. ककेप 124.3

परमेश्वर चाहता है कि उसको लोगा पापी संसार पर यह प्रत्यक्ष कर दें कि उसने उन्हें नाश होने के लिए नहीं छोड़ दिया.उनकी सहायता करने के लिए विशेष परिश्रम करना चाहिए जो सत्य की खातिर अपने घरों से निकाल दिए गए हैं और कष्ट रहने पर विवश है. ऐसे दानी पुरुषों की अधिक जरुरत पड़ेगी जा अपस्वार्थ का त्याग कर इन प्राणियों की सुधि लेंगे जिनको प्रभु प्यार करता है.परमेश्वर के लोगों के बीच पाये जाने वाले गरीबों को उनकी जरुरत के समय खाने पीने की सामग्री पहुंचाये बिना नहीं छोड़ना चाहिए.कोई मार्ग निकालना चाहिए जिससे उन्हें दैनिक भोजन मिल जाया करे. कुछ लोगों को तो काम करना सिखलाना पड़ेगा.जो कठिन परिश्रम करते हैं और अपने परिवारों के निर्वाह के लिए कोशिश करते हैं ऐसे लोग विशेष सहायता के पात्र हैं.हमें ऐसे लोगों में दिलचस्पी लेनी चाहिए और उनके लिए नौकरी तलाश करने में सहायता करनी चाहिए.ऐसे लोग गरीब परिवारों की सहायता के लिए जो परमेश्वर से प्रेम रखते और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं कोई दान कोष होना अवश्य हैं. ककेप 124.4

जो परमेश्वर से प्रेम रखते उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं उन में से कुछ किसी कारणवश गरीबी जाते हैं.कुछ हैं जो बेपरवाह हैं,वे प्रबंध करना नहीं जानते.कुछ लोग जो बीमारी तथा दुर्भाग्य के कारण गरीब हो गये हैं. कारण कुछ भी हो वे जरुरतमंद और उनकी मदद करना महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य ककेप 125.1

जहां कहीं मंडली स्थापित हो चुकी है उसके सदस्यों को चाहिए कि जरुरतमंद विश्वासियों के लाभर्थ विश्व सनीय कार्य करें.परन्तु उन्हें यहो रुक नहीं जाना चाहिए.उन्हें दूसरों की सहायता बिना दोन धर्म पूछे करना चाहिये.ऐसे परिश्रम फलस्वरुप कुछ लोग विशेष सामायिक सत्यों को ग्रहण करेंगे. ककेप 125.2