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सुसमाचार सेवकाई के साथ जुड़ना ChsHin 173

सुसमाचार और चिकित्सा सहायता कार्य दोनों को एक साथ आगे बढ़ाना है। सुसमाचार को सही स्वास्थ्य सुधार सिद्धांतों के साथ एक जुट होकर शक्तिशाली बनना है, मसीहियत को वास्तविक जीवन के रूप में प्रयोग करके दिखाना है। उत्साह से पूर्ण, भलीभांति किये गये सुधार कार्य किये जाने हैं। हमें लोगों के सामने, स्वास्थ्य में बदलाव लाने के सिद्धान्तों को पेष करना है। सब अपनी ताकत से करते हुये स्त्री व पुरूशों की अगुवाई कर उन्हें बताना कि स्वास्थ्य संबंधी इन सिद्धान्तों का क्या महत्व है ? क्या जरूरत है ? और उन्हें उन सिद्धान्तों का अभ्यास करने को कहें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 6:379) ChsHin 173.2

यह एक स्वर्गीय योजना है, जिसे शिष्यों ने पालन किया और अब हमें पालन करना है। भौतिक चंगाई के साथ सुसमाचार का काम भी जुड़ गया है। और इस सुसमाचार प्रचार से वचन की शिक्षा और षारीरिक चंगाई दोनों को अलग नहीं किया जा सकता। (द मिनिस्टी ऑफ हीलिंग- 141) ChsHin 173.3

चिकित्सा सेवा कार्य और प्रचार-सेवा कार्य ऐसे जरिये हैं, जिनसे होकर परमेश्वर चाहता है कि लोगों की भलाई का स्त्रोत परमेश्वर की ओर से लगातार जारी रहे। ये काफी कुछ उस नदी के समान होंगे जो कलीसियाओं को लगातार पोशित करती रहें, सींचती रहें। (द बाइबल इको — 12 अगस्त 1901) ChsHin 173.4

हमारे प्रचारको को, जिन्होंने वचन का प्रचार करने का अनुभव प्राप्त किया है, उन्हें साधारण इलाज करना भी सीखना चाहिए ताकि वे बड़ी बुद्धिमानी से एक स्वास्थ्य प्रचार सेवक के समान परिश्रम करें। (टेस्टमनीज फॉर द चर्च- 9:172) ChsHin 173.5

जैसे पुस्तक बेचने वाले एक जगह से दूसरी जगह जाते वैसे ही एक स्वास्थ्य सेवक बहुत से बिमारों को ढूँढ़ सकता है। उसे बिमारियों के होने के कारणों का पता होना चाहिये और उनका सामान्य इलाज करना आना चाहिये जिससे वह पीड़ित व्यक्ति को आराम पहुँचा सके। इससे भी अधिक उसे विश्वास से प्रार्थना करना चाहिए उस बीमार के लिये, प्रभु यीशु को एक महान चंगा करने वाला प्रभु कह कर । और यदि वह इस प्रकार प्रभु में चलता और कार्य करता हैं तो उसके सहायक स्वर्गदूत उसके साथ होंगे जो उन बिमारों के हृदय तक पहुँचने में मद्द करेंगे। क्या ही विस्तष्त और बड़ा कार्य क्षेत्र प्रचार सहायकों के लिये जो विश्वास योग्य एवं समर्पित पुस्तक विक्रेता हैं। उसे इस काम को पूरे जोश से पूरा करने पर क्या ही आशिशें प्राप्त होंगी। (द सदर्न वॉचमेन — 20 नवम्बर 1902) ChsHin 173.6

हर एक सुसमाचार प्रचारक को मालूम होना चाहिये कि एक स्वास्थ्य पूर्ण जीवन जीने के क्या सिद्धान्त है ? जो उसको सौंपे गये काम का एक जरूरी हिस्सा है। इस काम के लिये बहतु जरूरी है और सारा संसार इस कार्य के सामने है। (द मिनिस्ट्री ऑफ हीलिंग- 147) ChsHin 174.1