कलीसिया को आज नेहम्याहों की जरूरत है। न केवल वे जो प्रार्थना और प्रचार कर सकते किन्तु वे जो प्रार्थना और प्रचार के साथ सुदष्ट हो उद्देश्य को अपनायें। इस (नेहम्या) इब्री भक्त की योजना के बनाने से लकर पूरा करने तक मे किये गये परिश्रम को क्या प्रभु के सेवक और अगुवे सभी को उसका उदाहरण अपनाना नहीं चाहियें। जब वे कोई योजना बनाते है। तब से लेकर कार्य योजना के पूरे होने तक उन्हें इस प्रकार काम करना चाहिये, जिससे कलीसिया के लोग प्रभावित हो और काम में रूचि दिखाये और सहयोग प्रदान करे। लोगों को योजना के बारे में समझाये ताकि वे काम मदद करे। और काम को प्रगति में व्यक्तिगत रूचि दिखाये । नेहम्याह की सफलता को देखते हुये पता चलता है कि प्रार्थना, भरोसा और ज्ञान, जोशिले प्रयास से पूरे होगे। जीवित भरोसा ही जोशिले कामों को करने में मदद करेगा। एक अगुवे के द्वारा दर्शाई गई हिम्मत लोगों की काफी हद तक प्रभावित करती है। यदि सभी अगुवे केवल सत्य की महत्ता और उसकी पवित्र को लेकर बैठे जायें जो आज जगत के लोगों को जाँच ने का मुख्य मुद्दा होगा और यदि लोगों को जोश के साथ तैयारी करने के लिये काम न करें, ताकि न्याय के दिन वे परमेश्वर के सम्मुख खड़े हो सके, तो फिर कलीसिया केवल एक लावरवाह, आलसी और जीवन के सुख भोगने वाले समूह से ज्यादा कुछ नहीं कहलायेगी। (द सदर्न वॉचमेन 29 मार्च 1904) ChsHin 243.2