Go to full page →

निर्माता नहीं किन्तु उपभोक्ता ChsHin 58

स्वर्गीय बादसाहत के लिये प्रभु यीशु के प्रबुद्ध चेलों की परीक्षा की घड़ी है। उनका ठण्डा पड़ा हुआ जोश और प्रयासों की कमी जो प्रचार कार्य में देखी गई है, उन्हें वफादार साबित नहीं कर रही । यदि जो कुछ वे करते वे सब अच्छा होता तो उनके प्रयास विफल नहीं होते। यदि उनके हृदय और मन पूर्ण रूप से इस काम में लगे होते तो वे बहुत कुछ अच्छे परिणाम पाते। वे स्वयं जानते हैं, संसार भी जानता है कि काफी हद तक उनका स्वयं से इंकार और क्रूस उठाकर चलना कमजोर पड़ गया है, उसका स्तर गिर गया है ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके नाम स्वर्ग की पुस्तक में लिखे गये हैं, जो बनाने वाले नहीं किन्तु उपयोग करने वाले उपभोक्ता हैं। कई लोग जो प्रभु यीशु के कहलाते तो हैं, किन्तु उसकी महिमा को धूमिल करते, उसकी सुन्दरता की बखान नहीं करते उसको वे महिमा व सम्मान नहीं देते जो देना चाहिए। कलीसिया के रिकार्ड में कई ऐसे मसीहियों के नाम दर्ज हैं, जो प्रभु के नियम के पालन करने वाले नहीं हैं। वे उसकी चितौनियों पर ध्यान नहीं देते न ही उसका बताया हुआ काम ही करते हैं। वो तो केवल पैतान के हाथों में हैं, वे कोई भी भलाई का काम नहीं करते अतः वे कई तरह से कलीसिया के लिये हानिकारक हैं। क्योंकि ऐसों का जीवन अन्य लोगों के लिये जीवन की सुगंध नहीं किन्तु मृतकों के लिये मृत्यु की गंध है। (क्राइसट ऑबजेक्ट लैसन्स- 303, 304) ChsHin 58.1