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एलियाह के अनुभवों से सीख ChsHin 75

एलियाह के जीवन के अनुभव जब उसे प्रोत्साहित नहीं किया जाता था बल्कि बदले में हार ही मिलती थी। ऐसे दिनों के अनुभव से बहुत से पाठ सीखे जा सकते है। ऐसे पाठ जो इस युग के सेवकों के लिये बहुमूल्य है, जिन्हें सामान्य रूप से ही सही राह पर चलते हुये विदा कर दिया गया। वर्तमान में फैली हुई अधार्मिकता उसके समान है जो एलियाह भविश्य वक्ता के दिनों में पूरे इजराइल में फैली थी। मनुश्य को परमेश्वर से ऊँचा स्थान देना, जाने-माने लोगों की प्रशंसा करना, पषुओं की पूजा करना, प्रकाशित वाक्य के सत्य के स्थान पर विज्ञान की शिक्षा को महत्व देना, करोड़ो लोगों द्वारा बाल देवता की पूजा करना। षक और अविश्वास लोगो के मन मस्तिश्क पर अधिक प्रभाव डाल रहे हैं। कई लोग परमेश्वर के उपदेशो के स्थान पर मानवीय सिद्धान्तों को मान रहे हैं। ये सार्वजनिक रूप से सिखाया जाता है कि हम उस मुकाम तक पहुंच चुके हैं जहाँ मनुश्य के कामों की प्रशंसा वचन की शिक्षा से अधिक की जायेगी। परमेश्वर की आज्ञा व धार्मिकता के उच्चतम स्तर के बारे में कहा गया कि इनसे कोई फायदा नहीं। सारी सच्चाई का पत्रु अपनी धोखा देने वाली षक्ति का उपयोग स्त्री व पुरूशों को परमेश्वर के स्थान पर मानवीय संस्कारों को लाने में लगा रहा है और उसे भुला देने का प्रयास कर रहा है जिसके द्वारा मनुश्य जाति को खुशी और उद्धार देने के लिये अभिशिक्त किया गया है। इसके बावजूद ये बढ़ती हुई अधार्मिकता विश्वव्यापी नहीं है। जगत के सभी लोग पापी और अधर्मी नहीं हैं, सभी पैतान के पीछे नहीं हो लिये हैं। परमेश्वर के अनेक लोग हैं जो बाल देवता के सामने नहीं झुके, कई हैं जो परमेश्वर के नियम और प्रभु यीशु को पूरी तरह से जानने और समझने के लिये तैयार हैं। और इनमें से अनेक प्रभु यीशु के आने की आषा में और अधि क आषावान है कि प्रभु यीशु जल्द ही आयेगा और पाप और मृत्यु के राज्य को खत्म कर देगा। इसके अलावा और भी हैं जो अनजाने में बाल देवता की पूजा कर रहे हैं किन्तु ऐसों के लिये पवित्र आत्मा अभी भी काम कर रहा है। (प्रोफेट्स एण्ड किंग्स- 170, 171) ChsHin 75.3