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प्रस्तावना PPHin 4

प्रकाशक इस रचना को इस विश्वास से प्रदान करते हैं कि यह सर्वोपरि महत्व और सार्वभौमिक हित के विषय पर प्रकाश डालती है, जिस पर प्रकाश को बहुत वांछित होना हैं और यह बहुत कम जाने गए सत्य को या व्यापक रूप से अनदेखे किये सत्य को प्रस्तुत करती है। सत्य और असत्य के बीच प्रकाश और अन्धकार के बीच, प्रभु की शक्ति और धार्मिकता के दुश्मन के बलापहार के प्रयास के बीच का महान विवाद ही एक ऐसा महान दृश्य है जिसकी ओर सभी ग्रहों का ध्यान होना चाहिये। जितना सत्य यह है कि बाईबल प्रभु द्वारा मनुष्य को दिया हुआ प्रकाश है, उतना ही सत्य यह है कि पाप के कारणवश ऐसा विवाद अस्तित्व में है, इस विवाद को प्रगति के कई चरणों से निकलना है और जिसके अन्त में प्रभु का महिमावान होना और उसके वफादार सेवकों की उच्च पदावनति निश्चित है। वचन के साथ हमारा सम्बन्ध महत्व का विषय है क्योंकि वचन इस महान विवाद की विशेषताओं को उजागर करता है, वह संघर्ष जो संसार के उद्धार से जुड़ा हुआ है, और ऐसे युग हैं जब यह प्रश्न असामान्य अभिरूचि जागृत करते है। वर्तमान ही वह समय है, क्‍योंकि सभी चीजें संकेत करती है कि अब हम आत्म-विश्वास के साथ आशा कर सकते है कि यह महान विवाद अपने अन्तिम चरण में है। फिर भी कई लोग अभिलेख के उस भाग को जो हमें बताता है कि किस तरह हमारा संसार इस महान मुद्दे में शामिल हुआ, एक कल्पित कहानी की श्रेणी में रखना चाहते है। अन्य लोग इस अतिरूप धारणा से दूर रहते हैं, परन्तु फिर भी इसको अप्रचलित और महत्वहीन मानते है और इस तरह इस मुद्दे की उपेक्षा करते है। PPHin 4.1

लेकिन कौन इतने अद्भुत विद्रोह के गुप्त कारणों को जानना नहीं चाहेगा? कौन नहीं चाहेगा कि वह इसमें छिपी भावना को समझे और इसके परिणामों पर ध्यान दे? यह प्रभु परमेश्वर के वचन के उन भागों में एक सक्रिय अभिरूचि जगाता है जो प्रायः उपेक्षित होते है। यह पवित्र अभिलेख में बताई गईं प्रतिज्ञाओं और भविष्यद्वाणियों को एक नया अर्थ देता है, परमेश्वर के विद्रोह से निपटने के तरीकों को सही ठहराता है और पापी मनुष्य के लिए उद्धार का मार्ग निकालने में उसकी अद्भुत कृपा को दर्शाता है। इस प्रकार हम इस रचना के इतिहास के उस समय को देखते हैं जब चुने हुए लोगों को परमेश्वर के उद्देश्य और योजनाओं के बारे में स्पष्ट रूप से पता चला ।हालांकि यह रचना इतने ऊंचे स्तर के विषय-वस्तु को संबोधित करती है, विषय जो हृदय की गहराईयों को छूता है और मन की उत्साहपूर्ण भावनाओं को जागृत करता है, फिर भी इस रचना की शैली सुस्पष्ट है और भाषा सटीक और साधारण है। हम उन सभी पाठकों को, जो मनुष्य जाति के उद्धार की ईश्वरीय योजना का अध्ययन करने में आनंद लेते है, जो अपनी आत्मा और यीशु मसीह के प्रायश्चित के कार्य के सम्बन्ध से रूचि रखते हैं, इस रचना को पढ़ने का निमन्त्रण देते हैं और हम चाहते है कि इन विषयों में उनकी अभिरूचि जागृत हो। PPHin 4.2

हमारी यही प्रार्थना है कि इस पुस्तक का पढ़ा जाना, पढ़ने वालों के लिये आशीष का कारण हो और बहुत लोगों के कदम जीवन के मार्ग की और बढ़े। PPHin 5.1