ख्रीष्ट का उद्देश्य पाठ
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By Ellen Gould Whitehi
Book code: COLHin
Bibliography
Published by Oriental Watchman Publishing House
ISBN:
Citation: White, E. G. ख्रीष्ट का उद्देश्य पाठ. Oriental Watchman Publishing House.
Retrieved fromhttp://text.beta.egwwritings.org/book/b14196
329 Pages
hiख्रीष्ट का उद्देश्य पाठ
- Contents- इस पुस्तक के विषय में जानकारी
- प्रस्तावना
- अध्याय 1 - दृष्टान्तों में अध्यापन
-
- अध्याय 3 - पहले अंकुर, फिर कोपलें
- अध्याय 4 - खरपतवार
- अध्याय 5 - राई के बीज के समान
- अध्याय 6 - बीज बोने के अन्य उपकरण
- अध्याय 7 - खमीर के समान
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- अध्याय 9 - मोती
- अध्याय 10 - जाल
- अध्याय 11 - नई और पुरानी चीजों
- अध्याय 12 - देने को कहाना
- अध्याय 13 - दो उपासक
- अध्याय 14 - क्या परमेष्वर अपने चुने हुओं का न्याय न करेगा
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- यह सब इजराएल के शिक्षकों ने पवित्र सूची पत्र में सीखा होगा, जो कि रखवाले घातांक होना उनका गौरव था। क्या दाऊद ने नहीं लिखा, जो घातक पाप में गिर गया। “मैं खोई हुई भेड़ का नाई भटका हूँ, तू अपने दास को ढूंढ’ (भजन संहिता 119:176) मीका ने पापी के प्रति ईश्वर के प्रेम को प्रकट नहीं किया है, यह कहते हुये कि, “कि कौन तुम्हारे समान ईश्वर है, जो उस अधर्म को क्षमा करता है, और अपनी विरासत के अवशेष के अपराध से गुजरता है? वह अपने कोध को हमेशा के लिये नहीं रखता, क्योंकि वह दया में प्रसन्न है’? (मीका 7:18)
- खोई हुई भेड़
- चांदी का खोया हुआ सिक्का
- अध्याय 16 - खोया और मिला है
- अध्याय 17 - इसे इस वर्ष भी रहने दो
- अध्याय 18 - राजमर्गो और सड़क के किनारे जाये
- अध्याय 19 - क्षमा का माप
- अध्याय 20 - हानि जो लाभ है
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- अध्याय 22 - कह और कर
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- अध्याय 24 - एक शादी परिधान के बिना
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- अध्याय 26 - अधर्म के धन से मित्र
- अध्याय 27 - कौन मेरा पड़ोसी है
- अध्याय 28 - अनुग्रह का पुरूस्कार
- अध्याय 29 - दूल्हे से मिलने के लिये