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महान संघर्ष

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    मृत्यु अनन्त काल तक का दुःखमय जीवन नहीं

    शैतान ने आदन-बारी में ठगना शुरू किया। उसमें हव्वा को कहा कि तुम निश्चय नहीं मरोगे। आत्मा (प्राण) का अमरत्व का प्रथम पाठ यहीं शैतान ने पढ़ाना शुरू किया। ठगने का यह काम उसी समय से शुरू हुआ और आज तक है और जब तक ईश्वर की सन्तानें ईश्वर की ओर नहीं फिर जाती हैं तब तक जारी रहेगा। मुझे आदम और हव्वा को दिखाया गया। उन्होंने वर्जित पेड़ का फल खाया और उस पेड़ के चारों ओर चमकती हुई तलवार से रक्षा की जाती थी जिससे जीवन के पेड़ के फलों को खाकर आदम-हव्वा पापी के रूप में अमर न हो जाएँ। जीवन का पेड़ का फल तो अमरत्व दिलाने वाला था। मैंने स्वर्गदूत को यह पूछते सुना कि आदम-हव्वा के वंश का किस आदमी ने इस फल को खाया है? तब एक दूसरा स्वर्गदूत को यह जबाब देते सुना कि किसी ने भी नहीं खाया है। जब किसी ने नहीं खाया है तो अमर होने का सवाल ही नहीं उठता हे। जो व्यक्ति पाप कर मर जाता है वह सदा के लिये मरा रहेगा। वह तो अनन्त मृत्यु कहलायेगी। जी उठने का कोई मौका नहीं होगा। इस तरह से ईश्वर अपना क्रोध को ठंडा करेगा। 1SG 86.1

    यह अचम्भा का विषय है कि शैतान ने लोगों को ईश्वर के वचनों में से इस प्रकार का विश्वास दिलाने में सफलता पाई। वचन में कहता है कि जो मनुष्य पाप करेगा वह मर जायेगा (यहेजकेल १८:४) उसे शैतान ने उल्टा करके कहा कि जो व्यक्ति पाप करेगा पर अनन्त काल तक कष्टमय जीवन जीता रहेगा। स्वर्गदूत ने कहा जीवन तो जीवन ही है चाहे वह सुख में हो या दुःख में हो। पर मृत्यु में न दुःख है, न सुख है और न ईष्र्या है। 1SG 86.2

    शैतान ने अपने दूतों को बताया कि शुरू में आदम और हव्वा को जो झूठ का पाठ पढ़ाया गया था उसको दुहराओं और बोलो कि तुम निश्चय नहीं मरोगे। जैसे ही लोगों ने झूठी बात पर विश्वास कर ली कि मनुष्य अमर है तो शैतान ने इसे और आगे बढ़ाने का प्रयास किया और कहा कि पापी अनन्त काल तक दुःख भोगता रहेगा। शैतान ने अपने दूतों के द्वारा लोगों के बीच में प्रचार करवाया कि ईश्वर एक कठोर और निरंकुश व्यक्ति के समान है। वह पापियों का बदला लेने के लिए और अपना गुस्सा को शान्त करने के लिये, उन्हें नरक का अनन्त आग में डालेगा जहाँ उन्हें दिन-रात रोना कलपना पड़ेगा। वह ऊपर से झाँक कर देखेगा कि वे किस तरह से नरक की पीड़ा सह रहे हैं। इसे देख कर ईश्वर का भड़का हुआ क्रोध् ा ठंडा होगा। शैतान को मालूम है कि यदि यह बुरी भावना लोगों के मन में घुसा दिया जाए तो वे ईश्वर से डर कर उसको घृणा की दृष्टि से देखेंगे न कि उस की महिमा करेंगे। इसके बाद बहुत से लोगों को यह विश्वास भी होगा कि ईश्वर का यह डरावना वचन कभी पूर्ण नहीं होगा। जिन लोगों को उसने रचा है उन्हें ही जब वह अनन्त नरक की पीड़ा में डालेगा तो यह उसके दयालु और सहनशील चरित्र को उल्टा होगा। शैतान ने लोगों को ईश्वर का चरित्र का एक और विपरीत बात बताई और कहा कि वह (ईश्वर) अन्यायी है। यही ईश्वर ने कहा है कि पापी और सन्त सबको अपने राज्य में रखेगा। क्योंकि चह दयालु और क्षमा देने वाला ईश्वर है। शैतान ने लोगों को बताया कि पापी अनन्त काल तक नरक में दुःख झेलता रहेगा। वह नहीं मरेगा। ईश्वर अपने को दयालु और क्षमाशील बोलने पर भी पापियों को नरक की सजा देगा। इसके बाद शैतान ने लोगों को बताया कि बाईबिल ईश्वर का प्रेरणावाली किताब नहीं है। लोगों के मन में शैतान ने भ्रम डाला कि बाईबिल अच्छी बातों को सिखाने के बावजूद भी उससे प्रेम नहीं करना और उस पर निर्भर मत करना, क्योंकि इसमें अनन्त दुःख भोगने का सिद्धान्त है। 1SG 87.1

    शैतान फिर एक वर्ग के लोगों को धोखा देकर कहता है कि ईश्वर का अस्तित्व नहीं है। बाईबिल का ईश्वर का चरित्र में कोई स्थिरता नहीं हैं। यदि कुछ मानव परिवार को वह (ईश्वर) सदा काल तक नरक की पीड़ा में डालेगा तो लोग बाईबिल का लेखक और इस किताब को इन्कार कर मृत्यु को अनन्त निद्रा समझेंगे। 1SG 88.1

    इसके बाद और कुछ लोगों को जो डरपोक हैं और पाप करने से भी डरते हैं उन्हें कहता है कि पाप की मंजुरी मृत्यु नहीं है पर नरक में अनन्त काल तक दुःख-कष्ट भोगना है। शैतान इस मौका का फायदा उठा कर उन्हें नरक में अनन्त काल तक दुःख भोगने की डरावनी बातें कर उनके कमजोर मन को वश में कर लेता है। शैतान और उसके दूत उन्हें नास्तिक बनाने में सफल होकर खुशी मनाते हैं। ईसाईयों के प्रति घृणा उत्पन्न कराते हैं। इन बुरे नतिजों को वे बाईबल के विरोधियों के मन में डाल देते हैं जिससे वे बाईबिल और उसका लेखक पर विश्वास नहीं करते। 1SG 88.2

    मैंने देखा कि शैतान के इस साहसी कामों को देखकर स्वर्गदूत क्रोधित हुए। मैंने पूछा कि क्यों मनुष्यों के मनों में इस प्रकार के भ्रम डाले जा रहें हैं जबकि स्वर्गदूत तो शैतान से भी अधिक शक्तिशाली हैं और जब उन्हें आज्ञा दी जाए तो उसका काम को मिट्टी में मिला सकते हैं। तब मैंने देखा कि ईश्वर भी जानता है कि लोगों को बहकाने के लिये शैतान अपनी सारी युक्तियों का प्रयोग करेगा। ईश्वर भी उनको पाप में नहीं गिरने देने के लिये अपना वचन को उनके हृदयों में लिखेगा या बैबल तैयार करेगा। जब ईश्वर ने उनको लिखित वचन दे दिया तो वह उसे भी सुरक्षित रखेगा ताकि शैतान और उसके दूत किसी रीति से इसे नष्ट न कर सकें। जब दूसरी किताबों को नष्ट की जा सकेगी परन्तु यह अनन्त काल तक रहेगी। जब अन्त के समय में शैतान का भरमाना या धोखा देना अधिक जोर पकड़ेगा उस समय में इसकी और अधिक बृद्धि की जायेगी ताकि जो बैबल चाहे उन सबको मिले और शैतान का धोखाबाज और भ्रम से अपने को बचा सकें। 1SG 88.3

    मैंने देखा कि ईश्वर ने विशेष कर बाईबिल की रक्षा की है फिर भी कुछ विद्वानों ने इसके शब्दों में सरल बनाने के मतलब से हेर-फेर किया है। ऐसा करने से जो सरलता थी वह और बिगड़ गई क्योंकि उन लोगों की परम्परा की रीति-दस्तुर की ओर मोड़ दिया गया। फिर भी मैंने देखा कि पवित्र शास्त्र में अचूकता है, एक जगह का रहस्यमय को दूसरी जगह साफ-साफ वर्णन में पाते हैं। इस का सच्चा खोजी गलती नहीं कर सकता है। जीवन का रास्ता बताने में ईश्वर का वचन सीधा और सरल है। इसके अतिरिक्त पवित्र आत्मा भी समझने में और इस वचन के अनुसार जीवन यापन करने में अगुवाई करता है।1SG 89.1

    मैंने देखा कि ईश्वर के दूत किसी के मन को वश में करने का काम नहीं करते हैं। ईश्वर ने मनुष्य के सामने जीवन और मरण रख दिये हैं। उसको चुनना हैं क्योंकि उन्होंने जीवन का रास्ता नहीं चुना है। 1SG 89.2

    मैंने ईश्वर की दया और सहानुभूति को उस वक्त देखा जब उसने अपना पुत्र को मनुष्य का पाप को छुड़ाने के लिये भेजा। जिस उद्धार को बहुत दाम देकर खरीदा गया है उसे जो ग्रहण नहीं करेंगे उन्हें सजा दी जायेगी। जिन प्राणियों को ईश्वर ने बनाया है, जब वे उसके राज्य के विरूद्ध उठेंगे तो सजा मिलेगी। पर पश्चात्ताप कर ईश्वर की ओर फिरेंगे तो उन्हें नरक की पीड़ा झेलनी नहीं होगी। पापी की दशा में वह उन्हें स्वर्ग लेकर पवित्र लोगों के साथ भ्रष्टाचारियों की संगति में नहीं रखेगा। ऐसा करने से स्वर्ग का शुद्ध वातावरण दूषित हो जायेगा। ईश्वर न उन्हें स्वर्ग लेगा और न युग-युग तक सजा देता रहेगा। वह उन्हें सम्पूर्ण रूप से नष्ट कर देगा मानों वे यहाँ थे ही नहीं। इससे उसका न्याय सिद्ध होगा। उसने मनुष्य को मिट्टी से बनाया था। अनाज्ञाकारी और पवित्र लोग आग में जल कर भस्म हो जायेंगे और मिट्टी में मिल जायेंगे। मैंने देखा कि ईश्वर की उदारता और सहानुभूति को देखकर बहुत लोग उसकी प्रशंसा करेंगे। जब सब दुष्ट लोग पृथ्वी से मिटा दिए जायेंगे तब स्वर्ग दूतगण कहने लगेंगे - “आमीन”। 1SG 90.1

    शैतान उन क्रिश्चियनों को देख कर हर्षित होगा जो उसके भ्रम में पड़ कर उसके साथ चल रहे हैं। वह और नया भ्रम पैदा करेगा। उसकी शक्ति बढ़ेगी और अधिक चालाकी से ठगने की कोशिश करेगा। पोप और पादरी लोग जो उसके प्रतिनिधि हैं, उनको ऊपर उठा कर, जो ईश्वर को प्रेम करते हैं और उसकी युक्ति के अनुसार नहीं चलते हैं उन्हें सताने के लिए भड़कायेगा। ख्रीस्त के चेलों को मार डालने के लिये शैतान अपने एजेंटों को उकसायेगा। क्या यही दुःखदायी परिस्थिति होगी जब ईश्वर के बहुमूल्यजनों को ऐसा दुःख सहना होगा। स्वर्गदूतगण इस सब विश्वासियों का विश्वासयोग्य रेकार्ड रखेंगे। शैतान और उसके बुरे दूत खुश थे। उन्होंने सन्तों की सेवा करने वाले दूतों को कहा कि सब क्रिश्चियनों को नाश कर देंगे। जगत में कोई भी क्रिश्चियन नहीं रहेगा। मैंने देखा कि उस समय ईश्वर का कलीसिया शुद्ध होगा। उस वक्त ईश्वर की मण्डली में कोई दुष्ट नहीं रहेगा। जो सच्चा क्रिश्चियन होगा उसे अपनी पक्का विश्वास के कारण खतरा मोल लेना पड़ेगा। सब प्रकार की ताड़नाओं को जैसा आग में जलना, तलवार से बध होना और जितने प्रकार से शैतान मार डालना चाहेगा उन्हें वह मनुष्यों के मन में डालेगा।1SG 90.2

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