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महान संघर्ष

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    पाठ १३ - स्तिफनुस की मृत्यु

    यीरूशेलम में चेलों की संख्या बहुत बढ़ती गई। परमेश्वर का वचन का भी खूब प्रचार हुआ यहाँ तक कि कई याजक और पुरोहित भी विश्वास करने लगे। स्तिफनुस पूरा विश्वास के साथ लोगों के बीच बहुत बड़े-बड़े अचम्भे के काम कर रहे थे। बहुत लोग गुस्सा हो रहे थे क्योंकि याजक और पुरोहित अपनी परम्परा के धर्म की विधि को छोड़ कर यीशु का बलिदान पर विश्वास कर रहे थे। स्तिफनुस स्वर्ग से बुद्धि और साहस पाकर याजकों और पुरोहितों को बड़ी डॉट-फटकार सुना रहे थे। वे उसकी बुद्धि और अधिकार का विरोध नहीं कर सकने पर दुष्टों को शपथ दिला कर उसको मार डालने के लिये भाड़ा में लेकर कहने लगे कि हमने उसे मूसा और व्यवस्था के विरूद्ध बातें करते सुना है। उन्होंने लोगों को भड़का कर स्तिफनुस के विषय मूसा और उसकी व्यवस्था के विरूद्ध बात करने को झूठा दोष लगाया। उन्होंने गवाही देकर कहा कि हमने उसे यह कहते सुना है कि यीशु मूसा की दी हुई व्यवस्था को उठाने आया है।GCH 61.1

    जो लोग स्तिफलुस का न्याय के लिये बैठे थे उन्होंने उस का चेहरा में महिमा की रोशनी देखी। उसका चेहरा स्वर्गदूतों के चेहरे के समान चमकने लगा। वह पवित्रात्मा से परिपूर्ण होकर उठ खड़ा हुआ और विश्वास के साथ तथा बड़ा साहस के साथ नबियों से आरम्भ कर यीशु का आगमन, मरण, वंगारोहण की चर्चा करते हुए दिखाया कि वह पिता के दाहिने हाथ की ओर सिंहासन पर बैठा है। वह मनुष्य का बनाया हुआ मन्दिर में नहीं पर स्वर्ग का मन्दिर में है। मन्दिर के विरूद्ध बोलने से उन्हें ऐसा गुस्सा लगता था जैसा ईश्वर के विरूद्ध बोलने से। स्तिफनुस की आत्मा ने उन्हें स्वर्ग की घुड़की। सुनाई और उनको दुष्ट और कठोर दिलवाला ठहराया। उसने कहा - ‘तुमलोग हमेशा पवित्रात्मा का विरोध करते हो। वे बाहरी रीति-विधियों को मानते हैं जब कि उनके दिल बुराई से भरे हैं उनमें विष है। स्तिफनुस ने उनके दुष्ट पिताओं का जिक्र कर कहा कि उन्होंने नबियों का घात किया और तुम लोगों ने भी एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या की है।GCH 61.2

    प्रधान याजक और शासक उस पर टूट पड़े जैसे ही उसने कड़वी सच्चाई को प्रगट किया। स्वर्ग से उसके ऊपर ज्योति चमकी। जब वह स्वर्ग की ओर ताक रहा था तो ईश्वर की महिमा की रोशनी उस पर पड़ी और उसका चेहरा चमक उठा। स्वर्गदूतगण उस के ऊपर उड़ रहे थे। वह जोर से बोल उठा। मैं स्वर्ग को खुला हुआ देख रहा हूँ और यीशु को पिता की दाहिनी ओर बैठे देख रहा हूँ। लोग उसकी बात सुनने से इन्कार करने लगे। अपने कानों को बन्द कर दिये। एक साथ उस पर झपट पड़े और नगर से बाहर घसीट कर ले गये। उसको पत्थरवाह करने लगे। स्तिफनुस घुटना टेक कर उनके लिये प्रार्थना करने लगा - ‘हे प्रभु इनके पापों का लेखा मत ले यानी पाप क्षमा कर दे।’GCH 62.1

    मैंने देखा कि स्तिफलुस ईश्वर का एक महान आदमी था विशेष कर मण्डली स्थापित करने के काम में। उसके पत्थरवाह कर मारे जाने के बाद चेले एक बहुत बड़ा घाटा समझेंगे इस बात को सोच कर शैतान कुछ समय के लिये बहुत खुश हुआ। शैतान की विजय थोड़ी देर के लिए थी। क्योंकि वहाँ खड़े हुए लोगों के बीच में से ईश्वर एक जन को चुन लेगा जो यीशु की गवाही के लिये बड़ा काम करेगा। यद्यपि उसने स्तिफनुस को मार डालने के लिए एक भी पत्थर नहीं उठाया लेकिन मार डालने के लिए राजी था। साऊल ईश्वर की मण्डली को सताने में बहुत जोश दिखा रहा था। क्योंकि वह लोगों को उनके घरों में खोज-खोज कर निकालता और जो लोग कत्ल करते थे उन्हें सौंपता था। शैतान को बहुत ही सफल रूप से व्यवहार कर रहा था। पर ईश्वर ने शैतान की इस शक्ति का हस्तक्षेप कर जिन लोगों को कैदी बना रहे थे उन्हें छुड़ाता था।GCH 62.2

    साऊल (पौलुस) एक शिक्षित व्यक्ति था। शैतान उसे अपना काम खूब अच्छी तरह से करवा रहा था। जो यीशु पर विश्वास कर उसका प्रचार करते थे उन्हें पकड़वा कर सजा दिलाता था। परन्तु यीशु ने भी उसे चुनकर अपने नाम की गवाही देने का, चेलों को मजबूत करने का और स्तिफनुस की जगह लेने के लिए चुन लिया। साऊल को यहूदी लोग बहुत प्रशंसा करते थे। उसका जोश, बुद्धि और काम से जहाँ यहूदी और फारसी खुश थे तो चेले डर से काँपते थे।GCH 63.1

    ______________________________________
    आधारित वचन प्रेरित क्रिया ६ और ७ अध्याय।
    GCH 63.2

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