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कलीसिया के लिए परामर्श

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    अध्याय 21 - [ बाइबल ] धर्म शास्त्र

    धर्मशास्त्र में सहस्त्र सत्य मोती की सतह के खोजियों की दृष्टि से छिपे हुए हैं, सत्य की खान कभी खाली नहीं होती.नम्र हृदय से जितना आप शास्त्र को ढूंढे उतना ही अधिक आपकी दिलचस्पी बढ़ेगी और उतना ही अधिक आप पौलुस की भांति महसूस करेंगे, “अहा! परमेश्वर का धन और बुद्धि ज्ञान क्या ही गंभीर है. उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!’’(रोमियों 11:33)ककेप 148.1

    मसीह और उसके वचन में पूर्ण एकता पाई जाती है.यदि उनका स्वागत और पालन किया जाय तो उनके पावों के लिए जो प्रकाश में चलना चाहते हैं जैसा मसीह प्रकाश में है, एक दृढ़ मार्ग खुल जाता है.यदि परमेश्वर के लोग उसके वचन की कद्र करते तो हमारे यहां की कलीसिया में स्वर्ग का अनुभव होने लगता.मसीहियों की शौक के साथ परमेश्वर के वचन को ढूंढना चाहिए.वे समय निकाल कर शास्त्र को शास्त्र के साथ तुलना करते और उसके वचन पर ध्यान करते.वे वचन के प्रकाश के लिए सुबह के समाचार पत्र, पत्रिका अथवा उपन्यास की अपेक्षा अधिक उत्साह प्रकट करते हैं.उनकी सबसे बड़ी अभिलाषा परमेश्वर के पुत्र का मांस खाने और उसके लोहू पीने की होती फलत: उनके जीवन वचन के नियमों और प्रतिज्ञाओं के अनुकूल होते. उनके आदेश उनके लिए जीवन के वृक्ष की भाँति ठहरते. उनमें वह एक कुएं की भांति होता जिसका स्त्रोत अनन्त जीवन की ओर फूट निकलता. अनुग्रह को ताजगी देनेवाली बौछारें आत्मा में ताजगी और पुनर्जीवन डाल देते जिसके कारण वे सारे थकान व परिश्रम भूल जाते. उनको प्रेरित वचनों से बल और प्रोत्साहन प्राप्त होता.ककेप 148.2

    बाइबल की शैली तथा विषयों में बहुत अंतर होते हुए भी उसमें ऐसा पदार्थ उपस्थित है जो प्रत्येक के मन रुचिकर तथा हृदय को मनोहर लगेगा.उसके पृष्ठों से प्राचीन इतिहास का पता लगता हैं खरे जीवित चरित्र का वृतांत पाया जाता है;देश के नियंत्रण के लिए शासन पद्धति का तथा परिवार के संचालन के नियमों का वर्णन पाया जाता है-जैसे सिद्धान्तों का उल्लेख पाया जाता है जिनकी तुलना मानव बुद्धि कभी नहीं कर सकती.उसमें अत्यन्त गम्भीर व गहन तत्वज्ञान,मधुरतम तथा उच्चकोटि को,मन को उत्तेजित करने वाली करुणकि कविताएं उपलब्ध हैं. जब बाइबल के उल्लेखों का मानवी ग्रंथों से इस प्रकार मुकाबला किया जाता है तो वे मूल्य में अत्यन्त श्रेष्ट निकलते हैं परन्तु वे अत्यंत विस्तृत अभिप्राय,अत्यंत कीमती मूल्य के है,जब उनको अनुपम केन्द्रीय विचार के सम्बंध में देखा जाता है, जब उन्हे इस विचार के प्रकाश में देखा जाता है तो प्रत्येक प्रसंग या विषय का एक नया अर्थ निकलता है.साधारण रुप में व्यक्त किये हुए सत्य में ऐसे सिद्धांत निहित हैं जो आकाश से ऊँचे हैं परन्तु अनन्तकाल को घेरनेवाले हैं.ककेप 148.3

    धर्मशास्त्र से प्रतिदिन आप को नई-नई बातें सीखनी चाहिए.उनकी ऐसी तलाश करनी चाहिए जैसे गुप्त खजानें करते हैं क्योंकि उनमें सार्वकालिक जीवन के वचन पाये जाते हैं. बुद्धि और ज्ञान के लिए प्रार्थना करना चाहिए कि इन पवित्र लेखों को समझ सकें.यदि आप ऐसा करें तो आपको परमेश्वर के वचन में नए-नए वैभव प्राप्त सत्य से सम्बंधित हैं और धर्मशास्त्र का मूल्य आपके निकट बढ़ता जायगा.ककेप 149.1

    बाइबल के सत्यों की ग्रहण करके मन का सांसारिकता तथा अवनीति से उत्थान होगा.यदि परमेश्वर के वचन की जैसी होनी चाहिए कद्र की जाती तो युवा व वृद्ध दोनों को ऐसा आंतरिक सदाचार अर्थात् नियमों की शक्ति प्राप्त होती जिसके द्वारा वे प्रलोभन का सामना करने योग्य ठहरेगा.ककेप 149.2