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कलीसिया के लिए परामर्श

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    पवित्र आत्मा अंत तक वास करेगा

    मसीह ने घोषणा की थी कि पवित्र आत्मा का प्रभाव उसके अनुयायियों के संग अंत तक रहेगा.परन्तु उस प्रतिज्ञा की ऐसी सराहना नहीं की जाती जैसी करनी चाहिए;इस लिए उसका पूरा होना भी दृष्टि में नहीं आता.पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा का विषय ऐसा है जिस पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है और नतीजा भी वही है जिसकी आशा की जा सकती है अर्थात् आत्मिक अभाव अंधियारा,आत्मिक अवनति तथा मृत्यु.छोटी-छोटी बातें ध्यान को बाँटे रहती हैं और ईश्वरीय शक्ति जो मंडली की बुद्धि और समृद्धि के लिए जरुरी है और जो सकल अन्य आशीषों का तांता अपने साथ में लाती है कि भारी कमी है यघपि उसके बहुतायत के साथ दिये जाने का वायदा है.ककेप 158.1

    आत्मा के अभाव से ही सुसमाचार की सेवा निर्बल व शक्तिहीन हो जाती है.विद्या, योग्यता,वाक पटुता प्रत्येक प्राकृतिक तथा उपर्जित देन भले ही प्राप्त हों परन्तु परमेश्वर की आत्मा की उपस्थिति के बिना एक भी हृदय स्पर्शित न होगा न ही कोई ऐसा पापी मसीह के लिए जीता जायेगा.प्रत्युत यदि वे मसीह के साथ सम्बंध रखते,यदि आत्मा के दान उनके अन्दर होते तो सबसे कंगाल और अनपढ़ शिष्य भी ऐसा सामर्थ्यवान सिद्ध होगा जिससे हृदयों पर उसका प्रभाव प्रत्यक्ष दिखाई देगा. परमेश्वर उनको उच्चतम प्रभाव के प्रदर्शित होने का माध्यम बनायेगा.परमेश्वर की धुन ने शिष्यों को सत्य के लिए बड़े सामर्थ्य के साथ साक्षी देने को उत्तेजित किया. क्या यही धुन हमारे हृदयों को इस प्रण से प्रज्वालित न करे कि हम भी मसीह के बचाने वाले प्यार और उसके क्रूस पर चढ़ाये जाने का वृतान्त लोगों को सुनावें? क्या परमेश्वर का आत्मा आज भी उत्साह पूर्ण तथा तत्परता पूर्ण प्रार्थना के उत्तर में आकर लोगों को सेवा कार्य के लिए शक्ति से भरपूर न करेगा? तब फिर कलीसिया क्यों इतनी कमजोर और निर्जीव सी है.ककेप 158.2

    जब पवित्र आत्मा हमारे सदस्यों के मनों को नियंत्रण में रखेगा तो हमारी मंडलियों में बातचीत में, सेवाकार्य में, भक्ति भाव में उससे भी उच्चतर स्तर पाया जायगा जो अब देखने में आ रहा है.मण्डली के सदस्य जीवन के जल से ताजा दम होंगे और कर्मचारी मसीह की प्रधानता में अपने स्वामी को आत्मा,वचन,कर्म द्वारा प्रकट करेंगे और एक दूसरे को प्रोत्साहन देंगे कि इस उत्कृष्ट अंतिम कार्य में जिसमें हम लगे हुए हैं आगे बढ़ें. मेल और प्रेम में यथोचित उन्नति होगी जो संसार पर एक साक्षी ठहरेगी कि परमेश्वर ने अपना पुत्र पापियों के त्राण के लिए जगत में भेजा ईश्वरीय सत्य समुन्नत होगा. और जब वह जलते हुये दीपक की तरह चमकेगा तो हम उसको और भी स्पष्टता से समझ जायंगे. ककेप 158.3

    मुझे दिखलाया गया कि यदि परमेश्वर के लोग कुछ प्रयत्न न करें. परन्तु पवित्र आत्मा के लिए बाट देखते रहें कि वह आकर उनकी बुराइयों को दूर करेगा और गलतियों को ठीक करेगा;यदि वे उसी पर निर्भर करें कि वह उन्हें शरीर और आत्मा की मलीनता शुद्ध करेगा और उनको तीसरे दूत के ऊँचे शब्द में संलग्न होने के योग्य बनाएगा तो वे सचमुच हल्के पाये जाएंगे.परमेश्वर की शक्ति केवल उन्हीं पर आयगी जिन्होंने अपने को उसकी आज्ञा अनुसार कार्य करने द्वारा अर्थात् अपने शरीर तथा आत्मा को मलीनता से शुद्ध करने और परमेश्वर के भय में पवित्रता की वृद्धि करने द्वारा तैयार किया है.ककेप 158.4