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कलीसिया के लिए परामर्श

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    अध्याय 34 - मसीही घर

    घर के चुनाव के सम्बन्ध में परमेश्वर की इच्छा है कि सर्वप्रथम हम इस बात पर विचार करें कि हमारे और हमारे कुटुम्ब के चहुं और किस प्रकार का नैतिक तथा धार्मिक वातारवण होगा. जब हम मकान के लिए स्थान खोजें तो चुनाव में यही विचार प्रथम होना चाहिए.धन की अभिलाषा, वेष भूषा तथा सामाजिक रीति व्यवहार के विचार के वशीभूत न हों.यह बात ध्यान में रहे कि सरलता, पवित्रता,स्वास्थ्य एवं वास्तविक मूल्य की ओर कौन-सी वस्तु का झुकाव होगा.ककेप 206.1

    ऐसे स्थान पर रहने के बदले जहां केवल मनुष्यकृत कार्य ही दृष्टिगोचर होते है अथवा जहां के दृश्य एवं ध्वनि गन्दे विचारों को ही प्रोत्साहित करते हैं जहां हलचल अस्त-व्यस्तता के कारण थकावट और अशान्ति ही उत्पन्न होती है.ऐसे स्थान की खोज कीजिए जहां ईश्वरीय कारीगरी पर दृष्टि पड़े.प्रकृति की सुन्दरता एवं शान्ति ही में अपनी आत्मा का विश्राम खोजए.हरे भरे खेतों,बाग बगीचों एवं पहाड़ियों पर अपनी आँखें लगाइए,नील गगन की ओर देखिए जो शहर की धूल एवं धुंए से दूषित नहीं है वहां स्फूर्तिदायक वायुपान कीजिए.ककेप 206.2

    अब समय आ गया है जब परमेश्वर द्वार खोल रहा है कि घराने शहरों से देहातों में चले जावें. बच्चे देहात में ले जाए जावें.माता पिता अपनी विसात के अनुसार स्थान मोल लें.चाहे रहने का स्थान छोटा ही हो पर आस पास बाग बगौचा लगाने के लिए स्थान अवश्य हो,ककेप 206.3

    जिन माता-पिता के पास आराम देह घर के साथ साथ बगीचा भी है वे मानी राजा-रानी है.जहां तक हो घर शहर के बाहर ऐसे स्थान पर हो जहां बच्चों को खेती बाड़ी करने का अवसर हो.बगीचा लगाना सीखें, जहां वे भूमि को बीज के लिए तैयार करने और जंगली पौधों को उखाड़ फेंकने के महत्व की शिक्षा पा सकें.उन्हें इस बात की शिक्षा दी जावे कि घृणित तथा कष्टदायी व्यवहार को अपने जीवन से परे ही रहने दें.उनको अपने जीवन से बुरी आदतों को इस भांति निकाल देना चाहिए जिस प्रकार बगीचे से जंगली घास निकालते है.इस प्रकार की शिक्षा देने में समय तो लगेगा पर यह अवश्य लाभकारी होगा. ककेप 206.4

    साहस और धीरज से खोजने वाले के लिए भूमि की गहराई में उनेकों आशीषों के भंडार छिपे हैं.अनेकों किसान उपयुक्त लाभ से इस कारण वंचित रहे हैं कि उन्होंने इस उद्यम को निम्न कोटि का जानकार किया. वे इस बात से अनभिज्ञ रहे कि इस में उनके तथा उनके कुटुम्ब के लिए आशीर्षे हैं.ककेप 206.5

    माता-पिता अपने चहुं ओर के वातावरण को अपनी उस सत्य के अनुकूल बनाए जिसको पालन करते हैं.तब अपनी सन्तान की सही शिक्षा दे सकते हैं जिसके द्वारा बालक अपने सांसारिक घर को स्वर्गीय घर से सम्बन्धित कर सकेंगे.पार्थिव परिवार को स्वर्गीय परिवार का नमूना बनाना चाहिए. निम्न तथा अधर्म की बातों में फंसाने के प्रलोभनों का अधिकांश बल क्षीण होगा.बालकों को शिक्षा दी जावे कि इहलोक में उनका निवास अस्थायी है; अस्तु वे अपने आप को उन स्वर्गीय मकानों के सहवासी बनने के योग्य बनाएँ जिन्हें मसीह अपने आज्ञा पालन तथा प्यार करने वालों के लिए तैयार कर रहा है.ककेप 206.6

    जहाँ तक हो सके मकानों की नींव ऊंची डाली जावे जिससे पानी आस पास इकट्टा न हो सके.इससे चारों तरफ सूखा रहेगा. अवसर इस बात को लोग हल्की समझते हैं.घर के चहुं ओर पानी एकत्रित रहने ही के फलस्वरुप भिन्न-भिन्न प्रकार के रोग होते हैं जिससे मनुष्य अस्वस्थ होकर मृत्यु को पहुंचता है.ककेप 207.1

    मकान बनाते समय अति आवश्यक है कि हवा और प्रकाश का विशेष ध्यान रखा जावे.भकान के प्रत्येक कक्ष में विशुद्ध वायु एवं सूर्य प्रकाश का संचार हो,शयन कक्ष में रात दिन शुद्ध हवा का प्रवाह निर्विधन हो.जब तक कोई कमरा हवा व धूप के लिए खोला न जावे शयन के लिए उपयुक्त नहों हैं.ककेप 207.2

    घर में एक आंगन हो जिस में कुछ दूरी पर पेड़ पौधे लगाए जावे.इससे कुटुम्ब पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा तथा यह स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद भी न होगा.ध्यान रहे कि घर के आस पास पेड़ और पौधे अधिक घने न हो इनकी घनी छाया स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगी. इससे वायु संचार में बाधा हो जाती है तथा सूर्य प्रकाश रुक जाता है जिसके फलस्वरुप गोले मौसम में घर में सीलन आ जाती है.ककेप 207.3