Loading...
Larger font
Smaller font
Copy
Print
Contents

कलीसिया के लिए परामर्श

 - Contents
  • Results
  • Related
  • Featured
No results found for: "".
  • Weighted Relevancy
  • Content Sequence
  • Relevancy
  • Earliest First
  • Latest First
    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents

    अध्याय 36 - कुटुम्ब में आर्थिक व्यवस्था

    प्रभु चाहता है कि उसके लोग विचार शील और सावधान हों, उसकी इच्छा है कि वे प्रत्येक बात में मितव्यायी होकर उड़ाऊ पन से बचे रहें.ककेप 212.1

    आप को सीखना चाहिए कि कब बचत करें अथवा कब्र व्यय.यदि हम अपने आप को नकार कर क्रूस न उठावें तो मसीह के अनुगामी नहीं हो सकते.जैसे जैसे हम आगे बढ़ें पूरा पूरा भुगतान करते चलें.अपनी बुनाई में प्रत्येक गिरे हुए को उठाते चलें.अपनी वस्त्र के लटकने वाले छोरों को जिनके कहीं उलझने की सम्भावना है बांध ले.और अपनी अपनी विसात के भीतर सीख लें.अपनी वासना तृप्ति में व्यय किया जा रहा है वह घर को सुन्दर एवं सुडौल एवं सुविधाजनक बनाने में व्यय हो सकता है.आप अपने तथा अपने भाइयों के प्रति विश्वासयोग्य बनिए और कंजूसी न करिए.आप को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कौन सी वस्तु एक मात्र जिहा को सन्तुष्ट करने तथा भोग विलास की क्षुधा मिटाने में व्यर्थ लाई जाती है.अतिव्ययौ भी एक दुरुपयोग है.छोटे-छोटे खर्च जिन पर आप विचार भी नहीं करते अन्त में जोड़े जाकर भारी रकम बन जाते है.ककेप 212.2

    छोटे-छोटे वस्त्र एवं भोजन पदार्थों पर ‘न्याय करने की परीक्षा जब सामने आवे तो प्रभु यीशु के उस महान बलिदान स्वयंत्याग पर विचार कीजिए जो उसने पतित मनुष्य के निमित्त किया. हमारे बच्चों को स्वयं त्याग एवं बलिदान की और आत्माशासन की शिक्षा देनी चाहिए.उनका धर्माध्यक्ष और कर्मचारी आर्थिक मामलों में कठिनाई का सामना इस कारण करना पड़ता है कि वे अपनी इच्छा, भूख और इच्छा पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकते.अनेकों का दिवालिए होकर बेइमानी के साधन काम में लाने का कारण यही है कि वे अपनी पत्नी और बच्चों की अतिव्ययी रुचियों की पूर्ति करने में फंस जाते हैं.माता-पिता अपने बालकों को अपने आदेश और शिक्षा द्वारा सुयोग्य आर्थिक व्यवस्था का पाठ सिखाना चाहिए.ककेप 212.3

    हम तो मसीह के दौन अनुयायी हैं इससे बढ़कर धनी होने का दावा नहीं करना, अति उत्तम है.यदि हमारा पड़ोसी अपने घरों को ऐसा बनावे व समाज जैसा हमारी हैसियत नहीं हैं तो हम बेचैन हो.जब हम अपनी वासना तृप्ति के लिए या मेहमानों को खुश करने के लिए सामान जुटायें तो मसीह हमारे सामान को किस दृष्टि से देखेगा? इस प्रकार स्वयं दिखाऊपन करना अथवा अपने बालकों को करने देना एक फन्दा है.ककेप 212.4

    कोई उपयोगी वस्तु फेंको न जाय.इसके लिए निरंतर सावधानी, बुद्धिमानी व दूरदर्शिता की आवश्यकता है.मेरा अनुभव है कि छोटी छोटी बातों में बचत न करने हो के कारण अनेकों कुटुम्ब अपनी आवश्यक वस्तुओं को एकत्रित न करके पीड़ित हैं.ककेप 212.5

    Larger font
    Smaller font
    Copy
    Print
    Contents