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कलीसिया के लिए परामर्श

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    धन के सम्बन्ध में पति-पत्नी को परामर्श

    सब को हिसाब रखना सीखना चाहिए,कई लोग इसे अनावश्यक समझ कर लापरवाह रहते हैं यह अनुचित है.प्रत्येक व्यय को ठीक-ठाक लिखना चाहिए.ककेप 214.7

    यदि अपने बीते दिनों में उचित बचत की हो तो आज आप के पास वह साधन होगा जिससे आप किसी आवश्यकता की पूर्ति तथा परमेश्वर के कार्य की मदद कर सकते हैं. प्रति सप्ताह आप अपनीककेप 214.8

    आय से कुछ बचावें और यथार्थ आवश्यकता अथवा परमेश्वर के काम के लिए दान देने के सिवाय अन्य किसी बात में उसे व्यय न करें,ककेप 214.9

    यदि आप व्यर्थ व्ययी होकर अपनी आय में से न बचावे तो जब आप के घर में बीमारी आवे व आप के कुटुम्ब किसी संकीर्णता में प्रविष्ट हो जावे तो उसके निकास के लिए आप के पास पैसा होना चाहिए.ककेप 215.1

    आप को एक दूसरे की सहायता करनी चाहिए.अपनी थैली की डोरी किसके पकड़े रहकर अपनी पत्नी देने से इन्कार करना कोई प्रशसा की बात नहीं हैं.ककेप 215.2

    आप अपनी पत्नी को प्रति सप्ताह कुछ पैसा दे कि वह उसे अपनी इच्छानुसार व्यय कर सके कदापि आप ने उसके उचित स्थान को न समझकर उसे मान्यता नहीं दी है इसी कारण आप ने उसे अपने पास पैसा रखने का अवसर नहीं दिया.आप की पत्नी के पास भी एक उत्तम समतुल मस्तिष्क है. ककेप 215.3

    अपनी पत्नी को अपनी आय का एक भाग दीजिए. यह उसी का हो जिसे वह अपनी इच्छानुसार व्यय कर सके.अपने उपार्जित धन को जैसा वह चाहे अपने विवेक के अनुसार खर्च करने दिया जाना चाहिए. यदि वह कुछ रकम बिना नुक्ताचीनी के खर्च कर सके तो उसका मानसिक भार अधिकतर उत्तर जावेगा.ककेप 215.4