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कलीसिया के लिए परामर्श

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    माता-पिता अपने बच्चों को मसीह तक लाने का प्रयत्न कीजिए

    बच्चे कदाचित् भला यत्न करना चाहें,अपने माता-पिता व सरंक्षक के प्रति आज्ञापालन और दयालुता की भावना उसमें हो,पर तौभी उन्हें प्रोत्साहन और सहायता की आवश्यकता होगी.उन के संकल्प तो भले हों पर जब तक उनके सिद्धान्तों का धर्म द्वारा समर्थन नहीं अथवा उनके जीवन पर परमेश्वर के अनुग्रह के नवीनीकरण का प्रभाव न हो तो वे आदर्शमान तक पहुँचने में असमर्थ होंगे. ककेप 253.5

    अपने बालकों के उद्धार सम्बन्धी प्रयत्नों को माता-पिता दुगुना कर दें.बच्चों को अपनी शिक्षा का प्रबंध अपने हाथ से करने को छोड़ा न जावे पर माता-पिता विश्वासयोग्य होकर उनको सिखलावें.यह समझकर कि भविष्य में सब ठीक होवेगा बिना सोचे-समझे बालकों को अपना भला बुरा छाँटने को न छोड़ दिया. भलाई की अपेक्षा बुराई अधिक तीव्रता से बढ़ेगी.ककेप 253.6

    जब बालक छोटे ही हैं तभी माता-पिता शासन कार्य आरम्भ कर दें कि जिससे अंत में मसीही बन जावें. आपको समस्त प्रयत्न उसके उद्धार के लिए हों. ऐसा दिखाइए कि मानों वे आप की देखरेख में इस लिए रखे गये हैं कि वे परमेश्वर के राज्य में बहुमूल्य रत्नों की भांति चमक सकें. ऐसी गलत धारणा के आधार पर कि अभी तो वे दायित्व उठाने,अपने पापों से पश्चाताप करने तथा मसीह को स्वीकार करने की आयु को नहीं पहुंचे हैं,आप सावधान हो जाइए कि कहीं आप उनको विनाश के गढ़हे के ऊपर तो नहीं सुला रहे हैं.ककेप 253.7

    माता-पिता अपने बालकों के समक्ष जब उद्धार की योजना का वर्णन करें तो उसे ऐसी सरल साधारण भाषा में करें कि वे समझ सके. आठ,दस और बारह वर्ष की आयु के बालक इस योग्य हैं कि उन से व्यक्तिगत धर्म की बात की जावे.बालकों को यह शिक्षा न दी जावे कि वे किसी भविष्य काल में बड़े होकर पश्चाताप करें.यदि उचित रूप से शिक्षा दी जावे तो छोटे बालकों को भी अपनी असल पापमय दशा का तथा मसीह यीशु द्वारा मोक्षमार्ग का सही ज्ञान हो सकता है.धर्मध्यक्ष अवसर बालकों के त्राण की ओर से उदासीन रहते हैं और इस विषय को व्यक्तिगत महत्व नहीं देते हैं.इस प्रकार बालकों के मन को प्रभावित करने का स्वर्ण अवसर बहुधा उन्नति किए बिना खो जाता है.ककेप 254.1

    माता-पिताओं,आप पर जो उत्तरदायित्व है,क्या आपको आप के बच्चो की आलस्यमय नैतिक पतनशील आदतों से रक्षा करने की आवश्यकता का बोध है? अपने बालकों को उसी संगति में रहने दीजिए,उनके चालचलन पर उत्तम प्रभाव पड़े.जब तक आपको मालूम न हो कि संध्या को आप के बच्चे कहां जाते व क्या करते हैं उन्हें मत जाने दीजिए.नैतिक शुद्धता के प्रति उनको शिक्षित कीजिए.यदि आप ने आज्ञा पर आज्ञा,नियम पर नियम,कही थोड़ा कही थोड़ा को शिक्षा देने में लापरवाही की हो तो एकदम आरम्भ करके कर्तव्य पालन कीजिए.अपने उत्तरदायित्व को अपने ऊपर लेकर वर्तमान समय और अनन्तकाल के लिए काम में लग जाइए?अपने बच्चों के सामने अपनी लापरवाही का आज ही इकरा कीजिये. आज ही उनकी बतलाइए कि परमेश्वर की ओर से सौंपे हुए कार्य को वे अभी आरम्भ करेंगे.उनसे कहिए की भूल सुधार के प्रति बुद्धिमानी से कदम उठाए.लौदीकियों की मंडली की हालत में और अधिक समय न रहिए. परमेश्वर के नाम में मैं हर परिवार से निवेदन करती हूँ कि आप बतलाइए कि आप किस के पक्ष में हैं. अपने निज घर की मंडली का संशोधन कीजिए.ककेप 254.2

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