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कलीसिया के लिए परामर्श

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    सौजन्यता और आदर भाव सिखलाइए

    परमेश्वर का आदेश है कि बूढों का आदर करें.उसने कहा है’’पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं.वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्रसन्न होते हैं.”ककेप 258.5

    इन से प्रकट होता है कि युद्ध किए गए हैं,विजय पायी गई है,बोझ उठाए गए है,परीक्षाओं का सामना किया गया है.इससे प्रकट है कि थकित पग अब विश्राम के निकट है उनका स्थान अब खाली होने को है,बालकों को यह समझने में उनकी सहायता कीजिए.वे आदरमय और सौजन्य व्यवहार से उनके मार्ग को कष्ट रहित बनाकर उनके आज्ञाकारी होकर अपने युवा जीवन में अनुग्रह और सुन्दरता बढ़ायेंगे,पक्के बाल-वाले के सामने उठ खड़े होना,और बूढ़े का आदरमान करना.(लैव्यवस्था 16:32)ककेप 259.1

    सौजन्यता भी आत्मा का एक अनुग्रह है जिसे सबको अपनाना चाहिये.इसकी शक्ति से स्वभाव नर्म बन जाते हैं जो इसके अभाव में कठोर और खुरदुरे होते हैं.वे जो मसीह के अनुगामी होने का दावा करते हैं और कटु एवं कठोर,दयाहीन व अशिष्ट हैं तो उन लोगों ने मसीह को नहीं जाना है.उनकी विश्वस्तता और धार्मिकता सन्देहात्मक हैं तौभी विश्वास योग्यता और धार्मिकता,दयालुता और सौजन्यता से रिक्त की पूर्ति नहीं कर सकते.ककेप 259.2