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कलीसिया के लिए परामर्श

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    परिश्रम में गौरव

    शारीरिक परिश्रम को महत्व देने की और युवक का मार्गदर्शन करना चाहिए.उनको बतलाए कि परमेश्वर निरंतर कार्य करते रहता है.प्रकृति की सारी चीजें अपने नियुक्त कार्य को करती हैं.सारी कार्यस्त है और अपने कार्य को पूरा करने के निमित्त हमें भी कार्यशील रहना चाहिए.ककेप 268.1

    उपयोगिता के लिए जब शारीरिक परिश्रम मानसिक व्यस्तता से सम्मिलित किया जाता है तो यह व्यवहारिक जीवन के लिए एक अनुशासन सा बन जाता है और सर्वदा इस विचार से और भी मधुर हो जाता है कि इसके द्वारा मस्तिष्क और देह उस काम के लिए उत्तम रीति से योग्य और शिक्षित बन जाते हैं जिसे परमेश्वर है कि लोग विभिन्न शाखाओं में करें.ककेप 268.2

    हम में से किसी को काम करने से शर्माना नहीं चाहिए.काम कितना ही छोटा और नीच क्यों न दिखाई दे.परिश्रम से प्रतिष्ठा होती है.जो मस्तिष्क से अथवा हाथों से काम करते हैं वे ही काम करने वाले स्त्री पुरुष होते हैं.जब जो कपड़ा धोते अथवा देगचितां साफ करते हैं वे वहां पर अपना कर्तव्य का ऐसा ही पालन करते हैं तथा अपने कर्म का ऐसा हौ सम्मान करते हैं जैसे वे उपासना भवन में जाकर करते हैं.जब हाथ मामूली काम में व्यस्त हैं तो हो सकता है कि उस समय मस्तिष्क पवित्र विचारों से शुद्ध और समुन्नत हो. ककेप 268.3

    शारीरिक परिश्रम को तुच्छ दृष्टि से देखने का एक बड़ा कारण यह है कि काम अवसर असावधानी और बिना सोच समझ से किया जाता है.उसको लाचारी से किया जाता है न कि खुशी से करने वाला उसको जी जान से नहीं करता न तो आत्म सम्मान की रक्षा करता है और न औरों की दृष्टि में उसका कोई आदर ही होना है.शारीरिक प्रशिक्षण द्वारा यह भूल ठीक होनी चाहिये. इससे यथार्थता और पूर्णता की आदतों का विकास होता है.विद्यार्थियों को चातुर्य तथा नियम व्यवस्था सीखना चाहिए,उनको बड़ी सावधानी से खर्च करना और प्रत्येक प्रगति लाभदायक होना चाहिए.उनको केवल कार्य की उत्तम पद्धति हो न सिखलाना चाहिए परन्तु उन्हें निरंतर उन्नति करने की आकांक्षा से प्रेरित होना चाहिये.उनका लक्ष्य यह हो कि जहां तक मानव बुद्धि और हाथ कर सकें उनका किया काम निर्दोष व त्रुटिरहित हो.ककेप 268.4

    बालकों को आलस्य में बढ़ने देना पाप है.उन्हें अपनी भुजाओं तथा मांसपेशियों से कसरत करने दीजिये चिंता नहीं यदि वे थक भी जायं.यदि उनसे अत्यधिक काम न लिया जाए तो थकावट से उनको कैसे आप से अधिक हानि पहुंच सकती है? स्वास्थ्यकर,थकावट और शक्ति हानि थकावट में बड़ा अंतर है और बालकों के काम में बड़ों की अपेक्षा बार-बार परिवर्तन और विश्राम का समय होना अवश्य है परन्तु जब वे अभी नन्हें बालक ही हैं वे काम करना सीख सकते हैं और जब वे देखेंगे कि अपने को उपयुक्त बना सकते हैं तो आनंदित होंगे.स्वास्थ्यप्रद परिश्रम के बाद उनकी नद मधुर होगी और उसमें अगले दिन के काम करने के लिये ताजगी आ जाएगी.ककेप 268.5