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कलीसिया के लिए परामर्श

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    पाक विज्ञान

    पाक विद्या मामूली विज्ञान नहीं है और व्यावहारिक जीवन में परमावश्यक है.यह विज्ञान हर स्त्री को सीखना चाहिये और इसको इस रीति से सिखलाना चाहिये जिससे दरिद्रवर्ग को लाभ हो.भोजन को क्षुधावर्धक तथा साथ ही साथ साधारण और पुष्टिकर बनाने के लिये कौशल की आवश्यकता होती है परन्तु यह हो सकता है.पकाने वालों को साधारण भोजन ऐसी सादी और आरोग्यकर रीति से बनाना चाहिये कि वह अधिक स्वादिष्ट तथा अधिक स्वास्थ्यकर प्रतीत हो क्योंकि वह सादी तौर से तैयार किया गया है.ककेप 280.4

    आइये हम अपने आहार को सरल बनाने मे बुद्धिमानी से आगे बढ़े.परमेश्वर ने दूरदर्शिता से हर देश में ऐसे खाद्य प्रदार्थ पैदा किये हैं जिनमें देह के निर्माण के लिये आवश्यक पोषाहार पाये जाते हैं.इन से स्वास्थ्यकर क्षुधावर्द्धक आहार तैयार किया जा सकते हैं.ककेप 280.5

    बहुत से लोग महसूस नहीं करते है कि यह तो कर्तव्य की बात है, अत: वे योग्य रीति से भोजन तैयार करने की कोशिश नहीं करते.यह साधारण आरोग्यकर और सरल रीति से चर्बी,मक्खन अथवा मांस के प्रयोग किये बिना हो सकता है.सादगी के साथ बुद्धिमानी वे कौशल अवश्य संयुक्त होनी चाहिये.ऐसा करने के हेतु स्त्रियों को पुस्तकें पढ़नी चाहिये और तब धीरज के साथ जो कुछ सीखा है उसका अभ्यास करें. ककेप 280.6

    फल, अनाज तथा सब्जियां जो साधारण रीति से बिना मसाले तथा बिना किसी प्रकार की ग्रीस या चर्बी मिलाये तैयार की जाती हैं, दूध,मलाई के साथ आरोग्यकर आहार उपस्थित करते हैं.ककेप 280.7

    आनाज और फल जो स्वाभाविक रीति से बिना चर्बी के तैयार किये जाते हैं, उन सब की माल के आहार होने चाहिये जो जीते जी स्वर्ग में जाने की तैयारी का दावा करते हैं.ककेप 281.1

    आहारों में साधारणत:अत्यधिक शक्कर उपयोग की जाती है.अपचन का तत्काल कारण, केक, हलवा,पेस्टरी,जेली,मुरब्बे हैं.हल्वे ,खीर जिनमें दूध,अंडा और चीनी मुख्य सामग्री हैं विशेषकर हानिकार हैं.दूध के साथ शक्कर को मिलाकर स्वतंत्रता से प्रयोग करना उपयुक्त नहीं है.ककेप 281.2

    भोजन को तैयार करने में जितनी कम मात्रा में शक्कर मिलाई जाय,मौसम की गरमी के कारण उतनी ही कम कठिनाई का अनुभव होगा.ककेप 281.3

    यदि दूध का प्रयोग किया जाय तो उसको पूर्णत: कीटाणु रहित करना चाहिये.इस प्रकार सावधानी बरतने से रोगग्रस्त होने का भय नहीं रहता.ककेप 281.4

    समय आयेगा जब दूध का प्रयोग सुरक्षित न होगा.परन्तु यदि गायें निरोग हैं और उनका दूध अच्छी तरह से उबाला गया है तो समय से पहिले कष्ट में पड़ने की कोई आवश्यकता नहीं.ककेप 281.5