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कलीसिया के लिए परामर्श

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    क्षुधा तथा विषय पर नियंत्रण

    मनुष्य को क्षुधा के विषय में निकट प्रलोभन का सामना करना पड़ता है.मस्तिष्क और देह के बीच एक रहस्यमय तथा अपूर्व सम्बंध है.एक को दूसरे पर प्रभाव पड़ता है.हमारे जीवन का प्रमुख अध्ययन देह को उसकी शक्ति की वृद्धि के हेतु स्वस्थ्य में रखता है जिससे जीवित यंत्रकला का प्रत्येक पुर्जा एक लय में कार्य करें.देह की उपेक्षा करना मस्तिष्क ही की उपेक्षा,कना है.परमेश्वर की संतान के लिये रोग ग्रस्त देह अथवा ठिंगना दिमाग का होना उसकी महिमा का कारण नहीं हो सकता.स्वास्थ्य को हानि करके स्वाद को प्रोत्साहन करना ज्ञान इंन्द्रियों का बड़ा दुरुपयोग है.जो लोग किसी प्रकार की असयमता में खावे या पीने की आदत में व्यस्त रहते हैं वे अपनी शारीरिक व मानसिक शक्तियों को नष्ट करते हैं.वे प्राकृतिक नियमों के आज्ञा उल्लघंन के दण्ड को महसूस करेंगे.ककेप 284.4

    अनेक अत्यधिक खाने से तथा भोग विलास की कामना की तृप्ति से मानसिक तथा शारीरिक परिश्रम दोनों के लिये अयोग्य हो जाते हैं.पाशविक प्रवृति बलवन्त हो जाती और नैतिक तथा आत्मिक प्रकृति निर्बल हो जाती है.जब हम विशाल सफेद सिहांसन के इर्द खड़े होंगे उस समय बहुतों के इतिहास क्या क्या न प्रगट करेंगे. उस समय वे देखेंगे कि यदि वे परमेश्वर दत्त शक्तियों का निरादर न करते तो वे क्या-क्या कर बैठते.उस समय वे महसूस करेंगे कि यदि वे परमेश्वर को सौंपी हुई सारी शारीरिक तथा मानसिक शक्तियों को उसको वापिस लौटा देते तो वे मानसिक महानता की ऊंची शिखर पर विराजमान होते.मानसिक वेदना में होकर वे चाहेंगे कि क्या ही अच्छा होता कि वे फिर से एक बार जोवन व्यतीत कर सकते.ककेप 284.5

    हर एक मसीही अपनी क्षुधा और विषय सुख पर नियंत्रण रखेगा. जब तक वह क्षुधा की गुलामी तथा दासत्व से मुक्त नहीं वह मसीह का सच्चा,आज्ञाकारी दास नहीं बन सकता. क्षुधा तथा योग विलास मे रत रहने से सत्य का हृदय पर कोई असर नहीं होता.सत्य का सामर्थ्य तथा भावना के लिये असम्भव है कि किसी मनुष्य के आत्मा देह प्राण को पवित्र कर सके जब कि उसके ऊपर क्षुधा और विषय सुख का नियंत्रण है.ककेप 285.1

    मसीह के जंगल में उस लम्बे व्रत धारण करने का यह प्रयोजन था कि हम आत्मत्याग तथा संयम की आवश्यकता को सीखें.इस कार्य का आरम्भ हमारी खाने की मेजों से होना चाहिये और जीवन के सारे कार्य व्यवहार में दृढ़ता से पालन होना चाहिये.त्राणकर्ता स्वर्ग से मनुष्य की कमजोरी में मदद के निमित्त आया ताकि मसीह की शक्ति में वह क्षुधा भोग विलास पर विजय प्राप्त करने को बलवान हो और हर बात में विजयी हो जाय.ककेप 285.2