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कलीसिया के लिए परामर्श

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    लोगों को शिक्षित कीजिए

    स्वास्थ्य सुधार के सिद्धान्तों के प्रति लोगों को शिक्षित करने के हेतु बड़ी-बड़ी कोशिश करनी चाहिये, जगह-जगह पाकशालाएं नियुक्त करनी चाहिये और आरोग्यकर भोजन पकाने की कला के सम्बंध में घर-घर शिक्षा देनी चाहिये.वृद्ध तथा युवा दोनों को सदा भोजन पकाना सीखना चाहिये.जहां कह सत्य उपस्थित किया जाता है वहां लोगों को सिखलाना चाहिये कि भोजन को साधारण तौभी भूख उकसाने वाली रीति से तैयार करना चाहिये.उन्हें यह भी दिखलाना चाहिये कि बलवर्धक आहार बिना मांसाहार के तैयार किया जा सकता है.ककेप 294.4

    लोगों को सिखलाइये कि स्वस्थ रहना रोग की चिकित्सा करने से बेहतर है.हमारे डाक्टरों को बुद्धिमान शिक्षक बनना चाहिये जो आत्म तृत्ति के विरुद्ध चेतावनी दें और दिखलायें कि परमेश्वर की ओर से निषिद्ध वस्तुओं के परहेज करना ही एक निश्चित मार्ग है जिससे देह और मस्तिष्क दोनों विनाश से बच सकते हैं.ककेप 295.1

    जो अब स्वास्थ्य सुधारक बनना सीख रहे हैं उनकी पिछली खुराक का स्थान लेने के लिये बलवर्द्धक भोजन तैयार करने में बड़ी सावधानी तथा विवेक बरतनी चाहिये.परमेश्वर में विश्वास, पक्का इरादा और एक दूसरे की सहायता करने की इच्छा की आवश्यकता है.जिन भोजनहार में पौष्टिकता के उचित तत्व उपस्थित नहीं हैं वह आहार स्वास्थ्य सुधार के मनोरथ पर कलंक की टीका लगाता है.हम नश्वर हैं और अपनी देह में ऐसे पदार्थ जुटाना चाहिये जो उसे योग्य पोषाहार प्रदान कर सकें.ककेप 295.2