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कलीसिया के लिए परामर्श

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    तभी परमेश्वर आशीर्वाद दे सकता है

    जो धर्माध्यक्ष क्षुधा तृष्टि के लिये अपने को स्वतंत्र समझते हैं लक्ष्य से बहुत पीछे रह रहे हैं.परमेश्वर उनको स्वास्थ्य सुधारक बनाना चाहता है.वह चाहता है कि वे उस प्रकाश के अनुकूल चलें जो इसी विषय पर दिया गया है.मुझे उनके लिये खेद है जिन्हें स्वास्थ्य के सिद्धान्तों के प्रति उत्साही होना चाहिये था पर वे अब तक उचित ढंग के जीवन व्यतीत करने की ओर नहीं फिरे हैं.मेरी प्रार्थना है कि परमेश्वर उन के मन में यह ख्याल डाले कि उनकी बहुत हानि हो रही है.यदि हर घर में जिनसे मंडली बनती है ऐसी परिस्थिति होती जैसी होनी चाहिये तो हम प्रभु के लिये दुगना काम कर सकते.ककेप 296.3

    शुद्ध होने व रहने की गरज से सेवथ-डे ऐडवेनटिस्ट लोगों के हृदय तथा घरों में पवित्र आत्मा का होना जरुरी है.परमेश्वर ने मुझे यह प्रकाश दिया है कि जब वर्तमान इस्राएली परमेश्वर के सामने अपने को नम्र बनायेंगे और मन मंदिर को सारी अशुद्धताओं से शुद्ध करेंगे तो वह उनकी प्रार्थनाएं बीमारों के सम्बंध में सुनेगा और बीमारियों की औषधि के प्रयोग कर अपना आशीर्वाद देगा.जब मानवी कार्यकर्ता विश्वास के साथ रोग का प्रतिरोध करता है और चिकित्सा के उन साधारण तरीकों को उपयोग में लाता है जिन्हें परमेश्वर ने जुटाया है तो उसकी कोशिशों पर परमेश्वर का आशीर्वाद होगा.ककेप 296.4

    इतनी रोशनी मिलने के बाद भी यदि परमेश्वर के लोग बुरी आदतों का पालन करेंगे और स्वार्थतृप्ति में व्यस्त रहेंगे तथा सुधार को अस्वीकार करेंगे तो वे आज्ञालंघन के निश्चित परिणाम को अवश्य ही भोगेंगे.यदि वे भ्रष्ट क्षुधा को तृप्ति किसी भी कीमत पर करने को तुले हुये हैं तो परमेश्वर उनको उनके भोग विलास के परिणामों से आश्चर्यजनक रीति से कदापि नहीं बचायेगा.’’तुम सन्ताप में पड़े रहोंगे.’’(यशायाह 50:11)ककेप 297.1

    आह कितने हैं जो स्वास्थ्य तथा आध्यात्मिक आशीषों की कीमती दिनों को जो परमेश्वर के भंडार में हैं खो बैठते हैं.बहुत सी आत्माएं हैं जो विशेष विजय प्राप्त तथा विशेष आशीषों के लिये कि वे कोई महान कार्य कर सकें कुश्ती लड़ती हैं.इस अभिप्राय से वे समझते हैं कि उन्हें प्रार्थना में और आंसू बहा बहा कर एक कष्ट पूर्ण संघर्ष करना चाहिये.जब ये व्यक्ति परमेश्वर की प्रकाशित इच्छा जानने के हेतु प्रार्थना के साथ धर्मपुस्तक की खोज करते हैं और तब दिल से बिना रुकावट अथवा आत्म तृप्ति के उसकी इच्छा पूरी करते हैं तो उनको विश्राम प्राप्त होगा.सारे मानसिक कष्ट,समस्त ऐदन तथा संग्राम उनको वह आशीष न लायेंगे जिनकी वे इच्छा करते हैं.आत्मभिमान को पूर्णत: समर्पण करना होगा.उन्हें वह काम करना चाहिये जो स्वयं अपनी सिफारिश करे, और परमेश्वर के उस अनुग्रह की बहुतायत से अपनायें जिसका वायदा विश्वास के साथ मांगने वालों से किया गया है.ककेप 297.2

    यीशु ने कहा,’’यदि कोई मेरे पीछे आवे.’’(लूका १: 23)आइये त्राणकर्ता की सादगी तथा आत्मत्याग का अनुकरण करें.आइये कलवरी के पुरुष का उत्थान वचन तथा पवित्र जीवन द्वारा करें.जो लोग अपने तई परमेश्वर को समर्पण करते हैं त्राणकर्ता उनके अति निकट आता है.यदि कभी कोई ऐसा समय था जब परमेश्वर की आत्मा की हमारे मन व जीवन में आवश्यकता थी वह समय अब है.आइये हम शक्ति के लिये इस ईश्वरीय सामर्थ्य को अपनाएं कि पवित्रता तथा आत्म समर्पण का जीवन बिता सकें.ककेप 297.3