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कलीसिया के लिए परामर्श

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    चिकित्सा सम्बन्धी काम से सत्य के लिए द्वार खुलेंगे

    मिशनरी नर्स द्वारा काम की बहुत सी शाखाएं संचालित की जा सकती हैं.सुशिक्षित नर्सी के लिए अच्छे अवसर हैं कि उन में सत्य के लिए दिलचस्पी पैदा करें.प्राय:हर सम्प्रदाय में लोगों की बड़ी संख्या होती है जो किसी धार्मिक सभा में नहीं जाते.यदि सुसमाचार के द्वारा वहां तक पहुंचना है तो उनके घर में जाना चाहिए. अवसर उनकी शारीरिक जरुरतों की पूर्ति करना ही एक मात्र साधन है जिससे उन तक पहुंच हो सकती है.बीमारों की रक्षा करने और गरीबों के संकट को दूर करने में मिशनरी नर्सी को प्रार्थना करने, परमेश्वर के वचन से उपदेश सुनाने,त्राणकर्ता के विषय में वर्णन करने का शुभ अवसर मिलेगा.वे लाचारों के साथ और उनके लिए प्रार्थना कर सकते हैं जिन में क्षुधा को काबू में रखने के लिए इच्छा शक्ति नहीं है.स्वार्थरहित दया के कार्यों द्वारा प्रगट हुये उनके अस्वार्थी प्रेम से इन दु:खियों को मसीह के प्रेम में विश्वास करना सरल हो जायगा.ककेप 317.1

    मुझे दिखलाया गया कि चिकित्सा सम्बन्धी मिशनरी काम के द्वारा अध: पतन की गहराई में ऐसे लोगों को पता लगेगा जिनकी एक समय बुद्धि तीक्ष्ण तथा योग्यता श्रेष्ठ थी,जिनका अब उस पतित अवस्था से योग्य परिश्रम द्वारा उद्धार होना चाहिए.लोगों की सहानुभूति के साथ हिफाजत करने और शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के बाद मसीही सत्य को पेश करना चाहिए.पवित्र आत्मा मानव साधनों के साथ सहयोग से काम कर रहे हैं, और कोई तो अपने धार्मिक विश्वास की चट्टा पर रखी गई नींव के लिए कृतज्ञता प्रगट करेंगे.ककेप 317.2

    दहिना हाथ किवाड़ खोलने के लिए उपयोग किया जाता है जिसके द्वारा देह अंदर दाखिल होती है.यही हिस्सा चिकित्सा सम्बन्धी कार्य को अदा करना है. उसको इस समय के सत्य के स्वागत के लिए अधिकतर मार्ग तैयार करना है.बिना हाथ के देह बेकार है. देह का मान करने में मदद हाथों का भी मान होना चाहिए. जो ऐसे महत्वपूर्ण अंग हैं कि उनके बगैर देह कुछ भी नहीं कर सकती.इस लिए जो देह अपने दाहिने हाथ के साथ उदासीनता से बर्ताव करती है, और उसकी सहायता को ठुकराती है वह कुशल कार्यसिद्धि प्राप्त नहीं कर सकती.ककेप 317.3

    सुसमाचार को जीवन में कार्यन्वित करना,उसके नियमों को पालन करना यह जीवन का सुगंध है.जिस प्रचारक के लिए जो केवल प्रचार ही किया करता था पहिले द्वार बंद थे वे अब चतुर मेडिकल मिशनरी के लिए खुल जायेंगे.परमेश्वर शारीरिक कष्ट के निवारण द्वारा हृदयों तक पहुंचता है.सत्य का बीज मन में पड़ता है और परमेश्वर द्वारा सींचा जाता है.इस बीज के जीवन के चिन्ह दिखलाने से पूर्व बड़े धीरज की आवश्यकता है पर अन्त में वह उग आता है और अनन्त जीवन की और फल लाता है.ककेप 317.4