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कलीसिया के लिए परामर्श

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    अध्याय 58 - शैतान की धोखे बाजी का काम

    मैं ने देखा कि दुष्ट दूत आत्माओं के लिये झगड़ रहे और परमेश्वर के दूत उनका प्रतिरोध कर रहें हैं.संघर्ष भीषण था.दुष्ट दृत अपने विषैले असर से वायुमंडल को दूषित कर इन आत्माओं के पास एकत्र होकर उनकी चैतनता की मूर्छित कर देते हैं.पवित्र दूत चितित होकर ताक रहे हैं कि शैतान की सेना को मार भगायें.परन्तु अच्छे दूतों का काम यह नहीं है कि लोगों के मन को उनकी इच्छा के प्रतिकुल काबू में रखें.यदि वे शत्रु की अधीनता स्वीकार करें और उसका प्रतिरोध करने को कोई यत्न न करें तब परमेश्वर के दूत इससे अधिक कुछ नहीं कर सकते कि शैतान की सेना को रोक रखें कि वे उनको नाश न करने पाये जब तक संकट में पड़े हुओं को और प्रकाश न मिले जिससे वे मदद के हेतु स्वर्ग की ओर देखें और जागें.जो लोग अपनी मदद स्वयं नहीं करते उन्हें बचाने को यीशु अपने दूतों को आज्ञा कभी न देगा.ककेप 325.1

    जब शैतान देखता है कि एक आत्मा हाथ से जाने वाली है तो उसको रोकने के लिये वह भरसक कोशिश करेगा.जब वह जन अपने खतरे से आगाह हो जाता है और दुःखी और उत्साहित होकर शक्ति के लिये यीशु की और ताकता है शैतान डरता है कि एक बन्दी हाथ से जाने वाला है, और वह अपने दूतों की नई सेना को बुलाता है.कि लाचार आत्मा को घेर लें और उसके इर्द-गिर्द अंधियारे की एक दीवाल खड़ी करें ताकि स्वर्ग की रोशनी उसके पास न पहुंच सके.परन्तु यदि खतरे में पड़ा हुआ जब उठा रहता है और अपनी बेबसी में मसीह के रक्त की योग्यता पर अपने को डाल देता है तो हमारा त्राणकर्ता विश्वास की उत्साहपूर्ण प्रार्थना को सुनेगा और स्वर्गदूतों को जो बड़े वीर है एक नया दस्ता उसके बचाने के लिये भेजता है.ककेप 325.2

    शैतान इस बात को सहन नहीं कर सकता जब कोई उसके शक्तिशाली प्रतिद्वंदी से विनती करता है क्योंकि वह उसके सामर्थ्य और प्रभुत्व से डरता और थरथराता है.उत्साहपूर्ण प्रार्थना की आवाज पर शैतान की सम्पूर्ण सेना कांपती है.वह दुष्टदूतों को बड़ी संख्या को अपना मनोरथ पूरा करने को बुलाता है. और जब शक्ति में जोरावर स्वर्गदूत स्वर्गीय शस्त्रास्त्र से सुसज्जित होकर मूर्छित घिरी हुई आत्मा की सहायता के लिये आते हैं तो शैतान और उसकी सेना पीछे हट जाते हैं और भली भांति जानते हैं कि वे युद्ध में हार गये हैं.शैतान की आज्ञाकारी प्रजा एक ही मनोरथ के लिये विश्वस्त सक्रिय और संयुक्त है.और यद्यपि वे एक दूसरे से घृणा और युद्ध करते हैं तौभी वे अपने संयुक्त हित की वृद्धि के लिये हर अवसर की उन्नति करते रहते हैं.परन्तु स्वर्ग और पृथ्वी के महान सेनापति ने शैतान की शक्ति को सीमित कर दिया है.ककेप 325.3