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कलीसिया के लिए परामर्श

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    चुने हुये लोगों को धोखा देने की कोशिश

    परमेश्वर और प्रकृति के विषय मिथ्यावाद की तालीम जो संसार नास्तिकता से भर रही है उस पतित शत्रु की प्रेरणा है जो स्वयं धर्मपुस्तक का शिक्षा है और सत्य से खुब परिचित है कि यही लोगों को ग्रहण करने के लिए जरुरी है और उसका अनुभव है कि लोगों को ग्रहण करने के लिए जरुरी है और उसका अनुभव है कि लोगों के मनों को उन बड़े सत्यों से फिरा देवे जो उनको पृथ्वी पर आने वाली घटनाओं के लिए तैयार रहने को दिए गए हैं.ककेप 329.6

    सन् 1944 के गुजर जाने के बाद हमें हर प्रकार की हठधर्मी का मुकाबला करना पड़ा.कुछ लोग जो ब्रह्यवाद सिद्धांतों को मानने लगे थे जिनके लिए मुझे ताड़ना की साक्षियां दी गई.ककेप 329.7

    अधर्मी शिक्षा के बाद दुराचार फैलता है.झूठ के पिता की ओर से यह प्रलोभन का चारा है और आत्म-संतुष्ट अपवित्र जनों की पश्चातापहीनता में अन्त होता है.ककेप 329.8

    बीते हुए अनुभव दुहराये जायेंगे.भविष्य में पैशाचिक अंधविश्वास नयी शक्ल धारण करेगा.अशुद्धियां मन भाऊ रीति से तथा चापलूसी से पेश की जायेगी.झूठे सिद्धांत प्रकाश के भेष में परमेश्वर के लोगों को पेश किये जायेंगे.इस प्रकार शैतान लोगों को और यदि सम्भव हो तो चुने हुए लोगों को भी धोखा देने की कोशिश करेगा.अत्यन्त लुभाने वाले प्रभाव प्रयोग में लाये जायेंगे और लोगों के मोहनिद्रा से वशीभूत कर लिए जायेंगे. ककेप 330.1

    हर प्रकार की भ्रष्टता व पतन जैसी जलप्रलय से पूर्व के लोगों में पाई जाती थी लोगों के मनहरण के लिए उपस्थित की जायेगी.प्रकृति को परमेश्वर जैसा प्रतिष्ठा देना.मानव इच्छा को खुली स्वतंत्रता, भक्तहोनों की सलाह इन सबको शैतान साधन स्वरुप अपना विशेष मनोरथ सिद्ध करने के उपयोग में लाता है.अपने मनोरथ को सफल करने की खातिर वह दूसरे दिमागों पर अपनी दिमागी शक्ति का प्रयोग करेगा, सब से शोकजनक ख्याल यह है कि उसके छलपूर्ण प्रभावाधीन मनुष्य ईश्वर भक्ति का रुप धारण करेंगे परन्तु परमेश्वर के साथ सच्चा सम्बन्ध न रखेंगे.आदम और हवा की भांति जिन्होंने भले बुरे के ज्ञान के वृक्ष से खाया आज भी बहुत से लोग भ्रांति (गलती)के छलपूर्ण ग्राम पर गुजारा कर रहे हैं.ककेप 330.2

    शैतानी प्रतिनिधि झूठे सिद्धांतों को आकर्षक जामा पहिनाते हैं जिस तरह एदेन की वाटिका में शैतान ने सर्प के द्वारा बोलने से हमारे प्रथम माता-पिता से अपना यथार्थ हुलिया छिपाया था.ये साधन मानव के मस्तिष्क में ऐसा प्रदार्थ डाल रहे हैं जो वास्तव में घातक भ्रांति है.शैतान का वशीकरण प्रभाव उनके ऊपर बना रहेगा जो परमेश्वर के साधारण वचन से फिर कर मनोहर कहानियों की ओर झुक जातेककेप 330.3

    जिन लोगों को अधिकांश प्रकाश प्राप्त हुआ है उन्हीं की शैतान अति सतर्कता से अपने जाल में फंसाने की कोशिश करता है.वह जानता है कि यदि वह उनको धोखा खिला सके तो वे उसके नियंत्रणाधीन पाप को धार्मिकता के वस्त्र से सजाएंगे और बहुतों को पथ भ्रष्ट करेंगे.ककेप 330.4

    मैं सब से कहती हूँ: “चौकसे रहिए;क्योंकि शैतान ज्योतिमयदूत की भांति मसीही कार्यकत्याओं की सभा में, हर मंडली में घूमता रहता है और सदस्यों को अपने पक्ष में जीतने की कोशिश करता है.’’मुझे आदेश हुआ है कि परमेश्वर के लोगों को चितावनी दें:’‘ धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता.’’(गलती 6:7)ककेप 330.5