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कलीसिया के लिए परामर्श

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    वचन का प्रेम और उसका ज्ञान-हमारी रक्षा

    बहुत लोगों के दिलों में जो सत्य में काफी देर से रहें हैं एक कठोर हाकिमाना भावना प्रवेश कर गई है.उनका स्वभाव, तेज,आलोचक और दोषारोपण करने वाले हैं.वे न्यायालय में बैठकर उन लोगों पर दंडाज्ञा सुनाते हैं जो उनके विचारों से सहमत नहीं है.परमेश्वर उनको बुलाता है कि नीचे उतरकर उसके सामने पश्चाताप करें और अपने पापों को स्वीकार करें,वह उनसे यह कहता है,‘पर मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला-सा प्रेम छोड़ दिया है,सचेत कर कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर और यदि तू मन में फिराएगा तो मैं तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्थान से हटा दूंगा.’’(प्रकाशितवाक्य 2:4,5)ककेप 333.3

    मसौह अपने लोगों से उसके वचन पर विश्वास करने और उस पर चलने की मांग करता है.जो इस वचन को ग्रहण करते और उसको हज्म करते हैं उसको अपने हर कार्य का और हर चरित्र गुणों का एक अंग बनाते हैं.वे परमेश्वर की ताकत में मजबूत होते जायेंगे.यह प्रत्यक्ष हो जायगा कि उनका विश्वास स्वर्गीय है.वे अन्य मार्गों में नहीं भटकेंगे.उनके मन उमंगी तथा उत्तेजना पूर्ण धर्म की ओर नहीं फिरेंगे.दूतों के और मनुष्यों के सामने वे मजबूत,योग्य मसीही चरित्र वाले पुरुष जैसे खड़े रहेंगे.ककेप 333.4

    सत्य के सुनहले धूपदान में जिस तरह मसीह की तालीमों में पेश किया गया है ऐसा मसाला पाया जाता है जिससे आत्मा दोषी ठहरती और उसका मन फिराव होता है.मसीह की साधारणत्व में उन सत्यों को पेश कीजिए जिन्हें वह इस दुनिया में प्रचार करने को उतरा था और आप के संदेश की शक्ति खुद व खुद महसूस होगी.ऐसी कल्पनाओं और जांचों को पेश न कीजिए जिनका मसीह ने कभी वर्णन नहीं किया और जिनकी बाइबल में कोई बुनियाद नहीं है.हमारे पास शानदार गम्भीर सच्चाईयां पेश करने को है.यह लिखा है:सच्चाई की यही जाँच है जिसे हर आत्मा को भली भांति समझना चाहिए.ककेप 333.5

    मार्गदर्शन के लिए परमेश्वर के वचन की ओर जाना चाहिए.आइये हम’’यहोवा यों कहता है’’की खोज करें.मानवी रीति रिवाज का तो हमने काफी अनुभव कर लिया है. मस्तिष्क जिसका शिक्षण केवल सांसारिक विज्ञान में हुआ है ईश्वरीय बातों को समझने में असफल रहता है परन्तु वही मस्तिष्क जब परमेश्वर की ओर फिर जाता है और शुद्ध हो जाता है तो वचन में ईश्वरीय शक्ति को देखेगा.केवल वही मन तथा हृदय जो आत्मा की पवित्रता से शुद्ध किए गए हैं स्वर्गीय विषयों को समझ सकते है.ककेप 334.1