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कलीसिया के लिए परामर्श

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    शेष मंडली

    यहोशू और दूत के सम्बंध में जो दर्शन जकर्याह को दिखाई दिया वह परमेश्वर के लोगों से अनुभव पर प्रायश्चित के बड़े दिन के समाप्त होने के समय विशेष प्रभाव के साथ लागू होता है.शेष मंडली के ऊपर बड़ी परीक्षा और संकट आएगी.आज्ञा पालन करने वाले और यीशु के ऊपर विश्वास रखने वाले अजगर और उसकी सेना के क्रोध को महसूस करेंगे.शैतान संसार के लोगों को अपनी प्रजा में शुमार करता है,उसके धर्मच्युत मंडलियों के ऊपर नियंत्रण जमा रखा है; परन्तु यहां पर एक छोटा सा दल है जो उसके प्रभुत्व का विरोध करता है.यदि वह उनकी हस्ती से मिटा सके तो उसकी विजय सिद्ध हो जायगी जिस प्रकार उसने मूर्तिपूजक जातियों को इस्राएलियों को नाश करने को उभारा थी इसी प्रकार निकट भविष्य में वह परमेश्वर के लोगों को नाश करने को जगत के दुष्ट शासन कर्ताओं को उभाड़ेगा.सारे लोगों से परमेश्वर की व्यवस्था के उल्लघंन के प्रति मानव फरमानों के पालन की मांग की जायगी.जो लोग परमेश्वर के प्रति और कर्तव्य कर्म में सच्चे रहेंगे उनको धमकियां दी जायेंगी.दोषी ठहराये तथा वधयोग्य ठहराये जाएंगे या देश निष्काषण किये जायेंगे.उनके साथ माता -पिता, भाइयों तथा सगोत्रिथों और मित्रों द्वारा विश्वास घात का बर्ताव किया जायेगा.’‘ककेप 358.2

    उनकी एक मात्र आशा परमेश्वर की करुणा पर ही होगी;उनकी एक मात्र रक्षा प्रार्थना पर जिस प्रकार यहोशू दूत के सामने गिड़गिड़ा रहा था इसी प्रकार शेष मंडली नम्र हृदय तथा जोशीले विश्वास से यीशु वकील के द्वारा क्षमा तथा छुटकारे के लिये विनती करेगी. वे अपने जीवन की अधर्मता से पूर्णत:अभिज्ञ हैं, वे अपनी निर्बलता और अयोग्यता देखते हैं और जब वे अपने ऊपर नज़र करते हैं तो तुरन्त निराश हो जाते हैं. प्रलोभनकर्ता उन पर दोष लगाने को निकट खड़ा हो जाता हैं तो तुरन्त निराश हो जाते हैं.प्रलोभनकर्ता उन पर दोष लगाने को निकट खड़ा हो जाता है जिस तरह वह यहोशू के पास विरोध करने को खड़ा था.वह उनके कुचले वस्त्रों को उनके दोषपूर्ण चाल-चलन को दिखलाता है. वह उनकी निर्बलता व मूर्खता को कृतघ्नता के पाप को और मसीह की असदृश्ता को दिखलाता है जिन से उद्धारकर्ता का अनादर हुआ है.वह आत्माओं को इस ख्याल से डराने की कोशिश करता है कि उन की परिस्थिति असाध्य है और उनकी अशुद्धता का दारा कभी नहीं धुल सकता.वह उनके विश्वास को ऐसे नष्ट करने की आशा करता है कि वे उसके प्रलोभनों में फंसकर परमेश्वर की अधीनता से हट जायें और पशु की छाप ले लें.ककेप 358.3

    शैतान उनके विरुद्ध परमेश्वर के सामने दोष लगाता है और घोषित करता है कि पाप करने के कारण उनका ईश्वरीय रक्षा का हक जाता रहा और दावा करता है कि उसको उन्हें आज्ञा तोड़ने के कारण नाश करने का अधिकार है.वह उनको अपनी तरह परमेश्वर की दया से वंचित रहने का अधिकार घोषित करता है.वह कहता है कि क्या ये वे लोग हैं जो स्वर्ग में मेरी जगह और उन दूतों की जगह लेंगे जो मेरे साथ हो लिये थे? जब वे परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करने का दावा करते हैं तो क्या उन्होंने उसके सिद्धान्तों का पालन किया है? क्या वे ईश्वर से अधिक सुख विलास हो को प्रिय जानने हारे न थे? क्या उन्होंने अपने हितों को उसकी सेवा से बढ़कर न जाना?क्या उन्होंने सांसारिक वस्तुओं को अधिक प्रिय न समझा?उन पापों को देखिये जो उनके जीवन में स्पष्ट दिखाते हैं.उनकी स्वार्थपरता उनकी ईर्षा उनको एक दूसरे की ओर घृणा को देखिये.’‘ककेप 359.1

    अनेक हालतों में परमेश्वर के लोग दोषी रहे हैं.शैतान को उनके पापों का सही सही ज्ञान है कि कहां कहां उसने प्रलोभन में डालकर उनसे पाप करवाये हैं और वह उनको अतिशय उक्ति के प्रकाश में पेश करता है और धोषित करता है:’क्या परमेश्वर मुझको और मेरे दृतों को अपने सामने से निकाल देगा और उनको पारितोषिक देगा जो उसी प्रकार के कुकर्मों के कारण दोषी ठहरे हैं? हे परमेश्वर,तू न्यायानुसार ऐसा नहीं कर सकता.न्याय की मांग है कि उन को दंडाज्ञा ही जाय.”ककेप 359.2

    परन्तु यह सच है कि मसीह के अनुयायियों ने पाप किया है फिर भी उन्होंने अपने तईं दुष्टता के अधिकार में नहीं दिया है.उन्होंने अपने पाप अपने से अलग कर दिये और परमेश्वर को नम्रता से और दीनता से ढूंढा है इस लिये ईश्वरीय वकील उनके पक्ष में सिफारिश करता है.उनकी कृतघ्नता से जिसका अधिक अपमान हुआ है, जो उनके अपराधों से और उनके पश्चाताप से अभिज्ञ हैं कहता है:’ हे शैतान,यहोवा तुझ को घुड़के.मैं ने इन आत्माओं के लिये अपनी जान दी.ये मेरे हाथ की हथेली में खुदे हुये हैं.”ककेप 359.3