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कलीसिया के लिए परामर्श

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    नये मुहल्लों में जाकर साक्षी देना

    परमेश्वर का अभिप्राय यह नहीं था कि उसके लोग एक ही जगह एक बड़ा समाज बनाकर बसे. यीशु के शिष्य पृथ्वी पर उसके प्रतिनिधि हैं और परमेश्वर का मनोरथ है कि वे देहात में,नगरों ग्रामों में संसार के अंधकार में ज्योति की भाति छिटके रहें.उनको परमेश्वर के लिये विश्वास और कर्म द्वारा मिशनरी बनना है और आने वाले सृष्टिकर्ता के शीघ्र आगमन की साक्षी देनी है.ककेप 58.3

    हमारी कलीसिया के अवैतनिक सदस्य ऐसा कार्य कर सकते हैं जिसे उन्होंने अभी तक मुश्किल से शुरु किया है. किसी को नये इलाके में केवल सांसारिक लाभ से नहीं जाना चाहिये;परन्तु जहाँ कहीं जीवन निर्वाह के लिए सम्भावना हो वहाँ उन परिवारों को जो सत्य में निपुण हैं एक या दो परिवार करके एक ही स्थान में मिश्नरियों की हैसियत से प्रवेश करना उचित है. उनकी आत्माओं के लिये प्यार, परिश्रम करने का दायित्व महसूस करना चाहिये और अध्ययन करना चाहिये कि उनको किस प्रकार सत्य में लाया जाय.वे हमारे पर्चे, मैगजीन, किताबें इत्यादि बांट सकते, उनके घरों में मीटिंग कर सकते, उनके पड़ोसियों से परिचय प्राप्त कर सकते और उनको इन मीटिंग में नियंत्रित कर सकते है. इस प्रकार वे अपना प्रकाश अच्छे कर्मी द्वारा चमका सकते है.ककेप 58.4

    कर्मचारियों को अपने बन्धुओं के त्राण के लिये रोते हुये, प्रार्थना करते हुये तथा परिश्रम करते हुये परमेश्वर में स्थिर रहना चाहिये. याद रखिये कि आप अविनाशी मुकुट के लिये दौड़-दौड़ रहे हैं. जब कि बहुत से लोग परमेश्वर के अनुग्रह कोअपेक्षा आदमियों के मुंह से बड़ाई सुनना अधिक पंसद करते हैं. आप नम्रता से परिश्रम करना पंसन्द करें. अपने पड़ोसियों को अनुग्रह के सिंहासन के सामने पेश करने में और परमेश्वर से उनके हृदय छूने के लिये विनती करने में विश्वास का अभ्यास करना सीखिये. इस तरीके से उपयोगी धार्मिक काम किया जा सकता है. कुछ लोग ऐसे मिलेंगे जो अध्यक्ष की अथवा कालपोर्टर की सुनने से इंकार करेंगे. जो नयी जगहों में काम करते हैं वे लोगों से मिलने के उत्तम तरीकों को सौख लेंगे और यों दूसरे कर्मचारियों के लिये रास्ता तैयार कर सकते हैं.ककेप 59.1

    अपने पड़ोसियों से मिलिये और उनके त्राण में दिलचस्पी प्रगट कीजिए.प्रत्येक आध्यात्मिक शक्ति को प्रयोग में लाने को जगाइये.जिनसे मुलाकात करते हैं उनसे कहिये कि सारी चीजों का अन्त निकट है. प्रभु यीशु मसीह उनके ह्दयों के दरवाजों को खोलेगा और उनके मन पर पक्का प्रभाव डालेगा. ककेप 59.2

    अपने दैनिक कार्य में संलग्न होते हुये भी परमेश्वर को लोग दूसरों को मसीह के पास ला सकते हैं.जब वे यह काम कर रहें हैं तो उनका विश्वास और भी पक्का हो जायेगा कि त्राणकर्ता उनके पास ही है. उनको यह ख्याल करने की जरुरत नहीं कि हमें अपने ही कमज़ोर प्रयत्नों पर छोड़ दिया गया है. मसीह उन्हें बोलने के लिए ऐसे वचन देगा. जिनसे अंधकार में भी लाचार संघर्ष करती हुई आत्माओं को शाति, प्रोत्साहन तथा बल प्राप्त होगा. जब वे त्राणकर्ता की वाचा को पूर्ण होते हुये देखेंगे तो स्वंय उनका विश्वास भी दृढ़ हो जायेगा. वे न केवल दूसरों के लिये आशीष का कारण होंगे परन्तु जो काम वे मसीह के लिये करेंगे वह उनके लिये भी आशीर्वाद लायेगा.ककेप 59.3

    बाइबल को सादी तौर से लोगों के सामने उपस्थित करने से एक ज़बरदस्त काम किया जा सकता है. परमेश्वर के वचन को प्रत्येक आदमी के दरवाजे तक फैलाइये, उसके साधारण लेखों को प्रत्येक के अन्त:करण परजमाइये और सभों से त्राणकर्ता की आज्ञाओं को दुरुराइये,’ शास्त्र में ढूंढ ढांढ करो.” (यूहन्ना 5:31) उनको नम्रता से समझाइये कि वे बाइबल को यथार्थात: ग्रहण करें; ईश्वरीय प्रकाश के लिये विनती कीजिये और जब तक प्रकाश चमके उसकी प्रत्येक अनमोल किरण को ग्रहण कीजिये और निर्भय होकर उसके परिणामों में स्थिर रहिए.ककेप 59.4

    हमारी कलीसिया के मेम्बरों घर-घर जाकर बाइबल का अध्ययन तथा पर्यों के बांटने का काम होना चाहिये.मसीही चाल चलन सुडोलता से तथा पूर्ण रीति से तभी बन सकता है जब कि मानुषिक प्रतिनिधि निष्पक्षता से सत्य का प्रचार करना अपना सौभाग्य समझे और परमेश्वर के कार्य को अपनीआय से सम्भाले,हमें जलाशयों के पास बोना है और अपनी आत्माओं को परमेश्वर के प्यार में लिप्त रखना है और जब तक दिन है काम करते रहें; और परमेश्वर के दिये हुये द्रव्य को उस काम में लायें जो हमारे सामने आये. जो कुछ काम करने को मिले उसे ईमानदारी के साथ करें ; जो बलिदान हमें करने पड़े उन्हें खुशी से करें. जब हम जल के पास बोते हैं तो हम महसूस करेंगे ‘‘ जो बहुत बोता हैं वह बहुत काटेगा.’’(2कुरिथियों 9:6)ककेप 59.5