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कलीसिया के लिए परामर्श

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    अध्याय 8 - भंडारीपन के संबंध में परामर्श

    उदारता की भावना स्वर्गीय भावना है.मसीह के आत्म बलिदान का प्रेम क्रूस के ऊपर प्रकट होता है.मानव को बचाने के लिए उसने अपना सर्वस्व त्याग दिया और अंत में अपने आप को भी. मसीह का क्रूस उस धन्य सृष्टिकता के प्रत्येक राज्य की उदारता के लिए अपील करता है. इस उदाहरण में दान देने के सिद्धान्त की व्याख्या की गई.वास्तविक उदारता एवं अच्छे कार्यों में इस सिद्धान्त का प्रयोग करना हो मसीही जीवन का यथार्थ फल है. सांसारिक मनुष्यों का सिद्धान्त हैं संचय, केवल संचय, और इस प्रकार वे सुख प्राप्त करना चाहते हैं, किन्तु हर तरह से प्रयोग किए जाने पर इसका अंतिम परिणाम दुःख और मृत्यु ही होता है. ककेप 72.1

    मसीह के क्रूस से चमकता हुआ सुसमाचार का प्रकाश स्वार्थपरता की भावना को धिक्कारता है और परोपकार और उदारता को प्रोत्साहन देता है. दान की बढ़ती हुई मांग के तथ्य पर शोक नहीं प्रकट करना चाहिए. परमेश्वर अपनी दूरदर्शिता के कारण अपने लोगों को उनके सीमित कार्य-क्षेत्र से बाहर बड़े-बड़े साहस के कामों के लिए बुलाता है. आज,जब संसार में नैतिक अंधकार फैल रहा है, असीमित प्रयत्न की आवश्यकता है. परमेश्वर के बहुत से लोगों की सांसारिकता और प्रलोभन में फंस जाने का डर है. उन्हें समझना चाहिए कि परमेश्वर की दया से ही उनके रुपये-पैसे के लिए नाँगों की वृद्धि हो रही है. ऐसे कार्य जो परोपकार को कार्यान्वित करें, उनके सामने अवश्य रखे जाएं अन्यथा वे उसे महान उदाहरण के चरित्र के साँचे में नहीं ढल सकेंगे. ककेप 72.2

    अपने शिष्यों को आज्ञा देते हुए कि ” तुम सारे जगत में जाकर सारी सृष्टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो, ‘‘ मसीह ने लोगों को अपने अनुग्रह के ज्ञान फैलाने का काम सौंपा. परन्तु जब कुछ लोग प्रचार को जा रहे हैं तो वह दूसरों से कहता है कि मेरे दानों का उत्तर दानों या भेटों द्वारा दो जिनसे दुनिया में मेरा कार्य संभल जाए. उसने धन सम्पति को लोगों के हाथों में इसलिए सौंप दिया है ताकि उसके ईश्वरीय वरदान की सरिता मानवीय माध्यम के द्वारा मानव के द्वारा मानव को बचाने के लिए बहती रहे. यह परमेश्वर का मनुष्य की उच्च करने का एक उपाय है. यह ठीक वही काम है जिसकी मनुष्य को आवश्यकता है क्योंकि इससे उसके हृदय की गहन सहानुभुति को उत्तेजना होगी और मस्तिष्क को उच्च योग्यता से व्यवहार में लाई जाएगी.ककेप 72.3

    यथोचित रीति से निर्देशित उदारता मनुष्य को मानसिक और नैतिक शक्तियों को बढ़ाती है और उन्हें जरुरतमंदों को आशीष और ईश्वर के काम को बढ़ाने की और अच्छे कार्य एवं दया की ओर प्रेरित करती है.ककेप 72.4

    किसी जरुरतमंद भाई को मदद करने अथवा सत्य फैलाने में परमेश्वर के कार्य में मदद देने का प्रत्येक अवसर मोती जैसा है जिसे आप स्वर्गीय बैंक में सुरक्षा निमित्त पहले ही भेजकर जमा करा सकतेककेप 73.1