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कलीसिया के लिए परामर्श

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    आत्मात्याग और बलिदान की भावना

    त्राण की योजना की बुनियाद परमेश्वर के पुत्र के असीम बलिदान के ऊपर रखी गई.सुसमाचार का प्रकाश जो मसीह की क्रूस से चमकता है स्वार्थपरता की निंदा करता तथा उदारता और दयाशीलता को प्रोत्साहन देता है.इस तथ्य पर खेद नहीं करना चाहिये कि दान के पुकारें बढ़ती जा रही है.परमेश्वर अपनी दूरदर्शिता के कारण अपने लोगों को उनके सीमित कार्यक्षेत्र से बाहर साहस के बड़े-बड़े कामों के लिये बुलाता है.आज जब संसार में नैतिक अंधकार फैल रहा है तो असीमित प्रयत्न की अत्यन्त आवश्यकता है.सांसारिकता तथा लालच परमेश्वर के लोगों के प्राणों को चाट रहा है. उनको समझना चाहिये कि उसी की कृपा से उनके रुपये पैसे के लिए मांगे बढ़ रही हैं.परमेश्वर का दूत दयाशीलता के कार्यों को प्रार्थना के बराबर-बराबर रख देता है. उसने कुरनेलियुस को कहा था, “तेरी प्रार्थनाएं और तेरे दान स्मरण के लिए ईश्वर के पास पहुंचे हैं.’’(प्रेरितों के काम 10:4)ककेप 81.6

    अपने घरों में मित्रव्ययता की आदत डालो कई एक द्वारा प्रतिमाओं का लाड़ प्यार तथा उपासना की जाती है. अपनी मूर्तियों को अलग कीजिए, अपने स्वार्थपूर्ण भोग विलास को त्याग दीजिए.मेरी विनती है कि अपने घरों को आभूषित करने में अपने रुपये पैसे का शोषण न कीजिए क्योंकि यह परमेश्वर का रुपया है और यह आप से फिर तलब किया जायगा.माता-पिताओं मसीह की खातिर परमेश्वर के पैसे को अपने बालकों की अभिलाषाओं को तृप्त करने में न खर्च कीजिए. उनको सिखलाइये कि वे बनने ठनने व आडम्बर को चेष्टा न करें ताकि संसार पर उनका प्रभाव हो.क्या इससे वे उन आत्माओं को बचाने की ओर झुकेंगे जिनके लिए मसीह ने प्राण दिया है? नहीं, इससे ईष्र्या,डाह और शंका की भावना उत्पन्न होगी.आप के बच्चे संसार की टीपटाप और अपव्यय के साथ होड़ लगाने लगेंगे और प्रभु के रुपये पैसे को उस वस्तु में खर्च करेंगे जो स्वास्थ्य अथवा सुख के लिये अनावश्यक है. ककेप 82.1

    अपने बालकों को ऐसी शिक्षा न दीजिए कि वे सोचें कि आप का प्रेम उनके घमंड,अपव्यय और धूमधड़ाके के लालन-पालन द्वारा प्रकट होता है अब समय नहीं रहा कि रुपये को उपयोग करने के लिए उपाय ढूंढे जायं.अपनी निर्माणशक्ति का प्रयोग कीजिए कि किस प्रकार कम खर्च करें.स्वार्थ इच्छाओं को तृप्ति के बजाय,उन वस्तुओं के लिए पैसा खर्चना जो विवेकशक्ति को नष्ट करना है,अपनी इच्छाओं और अभिलाषाओं को मारना सीखो ताकि आपके पास नये क्षेत्र में सत्य के झंडे को ऊंचा करने के लिए कुछ हो.बुद्धि एक योग्यता है उसको उपयोग में लाना सीखो कि आप अपने धन को किस उत्तम रीति से लोगों के त्राण में प्रयोग कर सकते हैं.ककेप 82.2

    जो दूसरों के कल्याणार्थ अपनी इच्छाओं को मारते हैं, जो अपने तईं और सर्वस्व मसीह की सेवा में अर्पण करते हैं वे उस सुख का अनुभव करेंगे जिसकी खोज स्वार्थी मनुष्य व्यर्थ कर रहा है.हमारे त्राणकर्ता ने कहा है, “जो कोई अपना सर्वस्व त्याग न करे वह मेरा शिष्य नहीं हो सकता.’’(लूका 14:33)प्रेम ‘‘अपस्वार्थी नहीं है.’’यह उस निस्सवार्थ प्रेम व दयाशीलता का फल है जो मसीह के जीवन में चरितार्थ था. हमारे हृदय में परमेश्वर की व्यवस्था हमारे स्वयं के हितों को श्रेष्ठ और अनादि मनोरथों के अधीन कर देगी.ककेप 82.3