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कलीसिया के लिए परामर्श

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    पवित्रता का सच्चा प्रमाण

    हमारा सृष्टिकर्ता जगत का उजाला था परन्तु जगत ने से नहीं पहिचाना. वह लगातार करुणा के कार्यों में संलग्न रहता था और सर्व साधारण के रास्ते पर प्रकाश डालता था तौभी जिनसे वह मिलताजुलता था उनसे उसने कभी नहीं कहा कि ‘’मेरी अद्वितीय भलाई,आत्मत्याग तथा दयाशीलता की ओर देखो.’’यहूदी लोग ऐसे जीवन की कोई प्रशंसा नहीं करते थे. वे उसको धर्म व्यर्थ समझते थे क्योंकि वह उनकी धार्मिकता के स्तर से मेल नहीं खाता था. उन्होंने निर्णय कर लिया था कि मसीह न तो आत्मा में न चरित्र में धर्मी था;क्योंकि उनके धर्म में दिखावटी बातें, सर्वसाधारण में प्रार्थना करना और दिखावे के लिये पुण्य के कार्य करने सम्मिलित थे.ककेप 93.1

    पवित्रता का सबसे कीमती फल नम्रता का वरदान है. जब यह गुण हृदय पर पीठासीन होता है तो उसके प्रभावधीन स्वभाव भी उसकी सांचे में ढल जाता है. नतीजा यह होता है कि परमेश्वर की बाट लगातार देखी जाती और अपनी इच्छा उसकी इच्छा के अधीन कर दी जाती है.ककेप 93.2

    जो लोग सचमुच परमेश्वर से संबंध रखते हैं उन में रोजाना ये फल दिखाई देते है: आत्म त्याग,आत्मबलिदान, दया शीलता,करुणा, प्रेम, धीरज, सहनशीलता और मसीही भरोसा.शायद लोगों के ऐसे कार्य संसार पर प्रकट नहीं परन्तु वे स्वयं प्रतिदिन दुष्टता से युद्ध करते और प्रलोभन तथा असत्य सराहनीय जय प्राप्त करते हैं.हार्दिक प्रार्थना तथा निरंतर जागते रहने से प्राप्त हुई शक्ति द्वारा गंभीर प्रतिज्ञाओं का नवीकरण होता और उनका पालन किया जाता है.इन मौन कर्मचारियों के संग्रामों का पता उत्साहो पुरुष को नहीं चलता परन्तु वह आँख जो हृदय की गुप्त बात को देखतो है नम्रता के साथ किए हुए प्रत्येक परिश्रम को ध्यान से देखती और स्वीकार करती है. चरित्र का प्रेम और विश्वास का खरा सोना परक्षिण-समय ही प्रगट करेगा.जब कलीसिया पर विपत्तियाँ और कठिनाइयां आती हैं उस समय मसीह के सच्चे शिष्यों के दृढ़ उत्साह और प्रेम का विकास होता है.ककेप 93.3

    सब लोग जो धर्मी पुरुष के प्रभाव के मडलान्तर्गत आते हैं वे उसके मसीही जीवन के सौंदर्य तथा सुगंध को मालूम करते हैं पर वह स्वयं उसमें अनभिज्ञ है क्योंकि यह उसकी आदतों और इच्छाओं के अनुकुल हैं. वह ईश्वरीय प्रकाश के लिए प्रार्थना करता है और उस प्रकाश में चलना पसंद करता है.अपने स्वर्गीय पिता की इच्छा पूर्ण करना वह अपनी रोटी-पानी समझता है.उसका जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है तौभी वह घमंड नहीं करता व उसका उसको ज्ञान है. परमेश्वर नम्र व सुशील लोगों पर जो स्वामी के पगों का अनुकरण करते हैं मुस्कराता हैं. स्वर्गदूत उनकी ओर आकर्षित होते हैं और उनकी राह में देर तक रहना चाहते हैं. हो सकता है कि उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों तथा भले कामों को प्रधानता देने वालों की दृष्टि में वे सुयोग्य समझे जाएं परन्तु स्वर्गीयदूत प्यार से उनके ऊपर झुकते हैं और उनके हर्द-गिर्द आग की दीवार जैसी बन जाते हैं.ककेप 93.4

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