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कलीसिया के लिए परामर्श

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    मसीह लोगों को परमेश्वर के पुत्र बनाने की सामर्थ देता है

    आइए उन वाक्यों का अध्ययन करें जिन्हें मसीह ने क्रूस पर चढ़ाए जाने से पूर्व ऊपरौठी कोठरी में कहे थे. उसकी परीक्षा की घड़ी निकट आ रही थी और उसने अपने शिष्यों को सांत्वना देनी चाही जिनकी भारी परीक्षा होने वाली थी.ककेप 134.1

    मसीह का जो नाता परमेश्वर के संग था उसके विषय में कहे हुए वाक्य अब तक शिष्यों के समझ में नहीं आये थे. उसकी शिक्षा का अधिकतर भाग अब तक उनके लिए धुमैला हो रहा. परमेश्वर का उसके शिष्यों तथा उनके वर्तमान और भविष्य के हितों के संग का संम्बध है इसके विषय में उनकी अज्ञानता का पता उनके अनेक प्रश्न पूछने से लगता है मसीह ने चाहा था कि परमेश्वर के विषय में उनका स्पष्ट और स्वच्छ ज्ञान लगता है मसीह ने चाहा था कि परमेश्वर के विषय में उनका स्पष्ट और स्वच्छ ज्ञान प्राप्त हो.ककेप 134.2

    जब पेन्तिकोष्ट के दिन पवित्र आत्मा शिष्यों पर उतरा तब वे मसीह के दृष्टान्तों में दिए हुए सत्यों को समझे.वे उपदेश जो उनके लिए रहस्यमय थे अब स्पष्ट हो गये.पवित्र आत्मा के उंडेले जाने के साथ जोज्ञान उनको प्राप्त हुआ उस से वे अपने कल्पित सिद्धान्तों पर लजित हुए, जब उनकी कल्पनाओं तथा व्याख्याओं की स्वर्गीय बातों के ज्ञान के सामने जिसे अब उन्होंने प्राप्त किया था तुलना की गई तो वे मूर्खता हो सिद्ध हुई. अब वे पवित्र आत्मा द्वारा उनकी अगुवाई हुई और उन की मंदमति प्रकाशमान हुई.ककेप 134.3

    परन्तु अभी तक शिष्यों ने मसीह की प्रतीज्ञा को पूर्ण होते नहीं पाया था.जितना ज्ञान उन में समा सकता था. उन्होंने प्राप्त किया था, परन्तु वह प्रतीक्षा कि मसीह उन्हें परमेश्वर को स्पष्टता से प्रकट करेगा. अब तक पूर्ण सफल नहीं हुई थी. अब तक वह प्रतिज्ञा ऐसा ही है. परमेश्वर के विषय में हमारा ज्ञान अधूरा और अपूर्ण है. जब संघर्ष का अन्त हो जाएगा और वह पुरुष मसीह यीशु अपने उन विश्वस्त कर्मचारियों को परमेश्वर के समक्ष ग्रहण करेगा जिन्होंने पापमय जगत में उसके लिए सच्ची साक्षी दी है तो वे उन बातों को स्पष्टता से समझेंगे जो इस समय उनके लिए रहस्य बन कर रह गई है.ककेप 134.4

    मसीह स्वर्गीय भक्त में अपनी महिमामय मानवता लेकर गया. जो उसको ग्रहण करते हैं उनको वह परमेश्वर का पुत्र बनने का अधिकार देता है ताकि अंत में परमेश्वर उनको अपने पुत्र जैसे ग्रहण करे कि उसके संग सर्वदा काल तक रहें.यदि इस जीवन में वे परमेश्वर के आज्ञाकारी बने रहें तो वे आखिर में उसका मुंह देखेंगे और उसका नाम उनके माथों पर लिखा हुआ होगा.(प्रकाशितवाक्य 22:4)परमेश्वर को देखने से बढ़कर स्वर्ग को सुख और क्या हो सकता है? मसीह के अनुग्रह से मोक्ष पाये हुए पापी को इस बड़ा आनन्द और या होगा सिवाय उसके कि वह परमेश्वर के चेहरे पर नजर करे और उनको पिता स्वरुप जाने.ककेप 134.5