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कलीसिया के लिए परामर्श

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    आज साहस पूर्वक जीवन व्यतीत कीजिए

    परमेश्वर के सत्य को आप जब हृदय में ग्रहण करते हैं तब वह आप को त्राण के लिए बुद्धिमान बनाने योग्य है.उस पर विश्वास करने और उसकी आज्ञानुसार चलने से आप की आज के कर्तव्य कर्म और परीक्षाओं के लिए पर्याप्त परिणाम में अनुग्रह प्राप्त होगा. आप को कल के लिए अनुग्रह की आवश्यकता नहीं हैं. आपको महसूस करना चाहिए कि आप को केवल आज ही से प्रयोजन है.ककेप 137.3

    आज के लिए विजय प्राप्त कीजिए;आज के लिए स्वार्थ का त्याग कीजिए;आज के लिए जागते और प्रार्थना करते रहिये;आज के लिए परमेश्वर में विजय हासिल कौजिए. हमारी परिस्थितियां और वातावरण,हमारे अगल-बगल में रोजाना होने वाले परिवर्तन,और परमेश्वर का लिखा हुआ वचन जो सारी वस्तुओं को परखता और प्रमाणित करता है-ये दिन प्रतिदिन हमें कर्तव्यकर्म सिखाने के लिए काफी हैं. आप अपना मन उन विचारों की ओर न दौड़ाएं जिन से आप को कोई लाभ नहीं है. आपको प्रतिदिन धर्म शास्त्र में ढूंढ़ना चाहिए. और दैनिक जीवन में कर्तव्यों का पालन करना चाहिये जो इस समय दु:खदाई तो प्रतीत होंगे परन्तु किसी न किसी को उन्हें अवश्य करना है.ककेप 137.4

    बहुत से लोग अपने इर्द-गिर्द के घोर अधर्म,धर्मत्याग और दुर्बलताओं पर ही अपनी दृष्टि जमाये रहते हैं और उन्हीं बातों के ऊपर बातचीत करते हैं जिसके कारण उनके दिल शोक और संदेह से भी जाते हैं. वे अपने मन में कुख्यात धोखेबाज (शैतान)की चतुर करतूतों को सर्वोच्च स्थान देते हैं और अपने अनुभव के निराशाजनक बातों पर सोच विचार करते रहते हैं. इस समय ऐसा मालूम होता है कि वे अपने स्वर्गीय पिता की सामर्थ और उसके अद्वितीय प्रेम भूल जाते हैं,ये सब उस प्रकार होते हैं जैसा शैतान चाहता है.जब हम परमेश्वर के प्रेम और उसकी शक्ति की कम चर्चा करके धार्मिकता के शत्रु को शक्ति शाली समझते हैं, तो हम भारी भूल करते हैं. हमें मसीह की शक्ति की चर्चा करनी चाहिए.हम अपने को शैतान के चंगुल से छुड़ाने में अत्यन्त निर्बल हैं;परन्तु परमेश्वर ने छुटकारे का एक मार्ग नियुक्त किया है. परमप्रधान के पुत्र को सामर्थ है कि हमारे संतो युद्ध लड़े और उसके द्वारा जिसने हमसे प्रेम किया है,जयवन्त से भी बढ़कर हैं.(रोमियों 8:36)ककेप 137.5

    निरन्तर अपनी निर्बलता तथा पतित अवस्था में चिंतामग्न रहने से शैतान की सामर्थ पर खेद प्रकट करने से हमें कोई आत्मिक बल प्राप्त नहीं होता है. यह विशाल सत्य हमारे मन व हृदय में एक जीवित सिद्धांत के रुप में स्थापना होना चाहिए-बलिदान जो हमारे लिए चढ़ाया गया इतना प्रभावशाली है कि परमेश्वर उनको जो उसके पास उनके वचन में वर्णन की गई शर्तों को पूरी करते हुए आते हैं उनको बचा सकता और बचाता है. हमारा काम है कि अपनी इच्छा पर निछावर कर दें. तब प्रायश्चित के लोहू द्वारा हम ईश्वरीय प्रकृति के भागी हो जाते हैं;मसीह के द्वारा हम परमेश्वर की संतान है और हमें विश्वास हो जाता है कि परमेश्वर हमको ऐसा ही प्यार करता है जैसा वह अपने पुत्र को प्यार करता है.हम मसीह के साथ एक हैं हम उसी जगह जाते हैं जहां मसीह ले चलता है;हमारे मार्ग पर शैतान जिस अंधेरी परछाई को डालता है उसको दूर करने की शक्ति मसीह में शक्ति है;और अंधकार और निराशा के साथ में उसकी महिमा का प्रकाश हमारे हृदयों में चमकने लगता है.ककेप 138.1

    भाइयों और बहिनो, देखने ही से हम परिवर्तित होते है.जब हम परमेश्वर और अपने प्राणकर्ता मसीह के प्यार पर सोच-विचार करते है,ईश्वरीय चरित्र की सिद्धता पर ध्यान करते हैं, और विश्वास द्वारा मसीह की धार्मिकता को अपनाते हैं तब हम उसी स्वरुप में बदल जाते हैं. तो आइये हम निकम्मी तस्वीरों को एकत्र करके-अर्थात पापों, भ्रष्टाचारों, निराशाओं को जो शैतान की शक्ति के प्रमाण हैं उन्हें अपनी स्मरणशक्ति की दीवालों पर न लटकाएँ और न उन पर चर्चा करें तथा विलाप करें. ऐसा न हो कि हमारीआत्मांए स्वयं निराशा से भर जायं. निराश व्यक्ति अंधकार का घर है जो न केवल स्वयं परमेश्वर के प्रकाश का तिरस्कार करता है परन्तु औरों को भी उस से अलग रखता है. शैतान मानव प्राणियों को विश्वासहीन और निरुत्साह बना कर अपनी विजय के चित्रों का प्रभाव देखकर अत्यन्त हर्षित होता है.ककेप 138.2