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ख्रीष्ट का उद्देश्य पाठ

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    यात्रा के लिये खोज

    ईश्वर शब्द हमारे अध्ययन के लिये है। हम अपने बच्चों को उसमें पायी जाने वाली सच्चाईयों को शिक्षित करना चाहते है। यह एक अटूट खजाना है लेकिन पुरूष इस खजाने को पाने में असफल रहते है क्योंकि वो तब तक नहीं खोजते तब तक उनके कब्जे में नहीं है। बहत से लोग सच्चाई के सम्बन्ध में एक तर्क के साथ संतुष्ट है। वे एक सतह के काम के साथ सन्तुष्ट है यह मानते हुये कि उनके पास वह है जो जरूरी है।COLHin 76.1

    दूसरे के कहने को सत्य के लिये लेते है। खुद को परिश्रर्मी बनाना श्रम में लगाने के लिये बहुत अकर्मण्य होते है, छिपे हये खजाने के लिये शब्द के रूप में प्रतिनिधित्व करते है। लेकिन मनुष्य के आविष्कार न केवल अविश्वासनीय है, वे खतरनाक है, क्योंकि वे मनुष्य को यह स्थान देते है, जहां परमेश्वर होना चाहिये। उन्होंने पुरूषों की बाते रखी जहा, “इस प्रकार ईश्वर कहता है” होना चाहिये।COLHin 76.2

    मसीह सत्य है। उनके शब्द सत्य है और सतह पर दिखने की तुलना में उनका गहरा महत्व है। यीशु की सभी बातों का उनके स्पष्ट स्प से परे एक मूल्य है। पवित्र आत्मा द्वारा त्वरित किये जाने वाले मन इन कथनों के मूल को समझेंगे । वे सत्य के अनमोल रत्नों को समझेंगे, हालांकि ये दफन किये गये खजाने हो सकते है।COLHin 76.3

    मानवीय सिद्धान्त और अटकले कभी भी परमेश्वर के वचन की समझ में नहीं आयेंगी। जो लोग मानते है कि वे दर्श को समझते है, उन्हें लगता है कि ज्ञान के खजाने को खोलने और विधर्मियों को चर्च में आने से रोकने के लिये उनकी व्याख्या आवश्यक है। लेकिन यह इन व्याख्याओं को गलत सिद्धान्तों और विधर्मियों में लाया है। पुरूषों ने यह समझाने के लिये बेताव प्रयास किये है कि वे जटिल शास्त्र क्या समझते है, लेकिन बहुत बार उनके प्रयासों से केवल इतना ही अंधेरा होता है जिसे उन्होंने स्पष्ट करने की कोशिश की।COLHin 76.4

    याजकों और फरीसियों को लगा कि वे परमेश्वर के वचन पर अपनी व्याख्या डालकर शिक्षकों के रूप में महान काम कर रहे है लेकिन मसीह ने उनसे कहा “तुम न तो शास्त्रों को जानते हो, न ही परमेश्वर की शक्ति को” (मरकुस 12:24) उन्होंने उन पर “पुरूषों के आदेशों को सिद्ध करने के लिये शिक्षण’ के अपराध का अरोप लगाया। (मरकुस 7:7) यद्यपि वे उसके वचन को समझने वाले थे वे शब्द के कर्ता नहीं थे। शैतान ने अपनी आंखे मूंद ली थी कि उन्हें इसका सही आयात नहीं देखना चाहिये।COLHin 76.5

    यह हमारे समय में अहुतों का काम है। बहुत सी कलीसियाएं पाप की दोषी है। खतरे भयवाह खतरा है कि आज के कथित बुद्धिमान लोग यहदी शिक्षकों के अनभव को दोहराकर भविष्यवाणी की झठी व्याख्या करते है और आत्मा को दिव्य सत्य के बारे में गलत धारणा के कारण अंधकार में लाया जाता है और अंधेरे में बहा दिया जाता है।COLHin 77.1

    परंमपरा या मानवीय अटकलों के मंद प्रकाश द्वारा शास्त्रों को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। अच्दी तरह से हम मानव पंरपरा या कल्पना द्वारा शास्त्रों को समझने के लिये एक मशाल के साथ सूर्य को प्रकाश देने की कोशिश कर सकते है। परमेश्वर के पवित्र वचन को अपनी महिमाओं को अलग पहचान देने के लिये पृथ्वी की मशाल की रोशनी की आवश्यकता नहीं है।COLHin 77.2

    यह अपने आप में प्रकाश है-ईश्वर की महिमा का पता चला और इसके बगल में हर दूसरा प्रकाश मंद है।COLHin 77.3

    लेकिन बयान अध्ययन और करीबी जांच होनी चाहिये। सत्य की तीव्र स्पष्ट धारणाएं कभी भी अकर्मण्यता का प्रतिफल नहीं होगी। कोई भी सांसारिक आशीर्वाद बयाना, रोगी, प्रयास के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यदि पुरूष व्याख्या में सफलता प्राप्त करते हैं तो उन्हें परिणाम देखने के लिये इच्छा शक्ति और विश्वास होना चाहिये। और हम बयाना परिश्रम के बिना अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने की उम्मीद नहीं करते है। जो लोग सत्य के खजाने को खोजने की इच्छा रखते है, उन्हें उनके लिये खोदना चाहिये, क्योंकि खनिक धरमी में छिपे खजाने के लिये खोदता है। कोई आधा-अधूरा उदासीन काम नहीं करेगा। यह केवल परमेश्वर के वचन को पढ़ने के लिये ही नहीं, बल्कि पुराने और युवा लोगों के लिये भी आवश्यक है। इसे पूरी इमानदारी के साथ अध्ययन करने, प्रार्थना करने और छिपे हुये खजाने के रूप में सत्य की खोज करने के लिये। जो लोग ऐसा करते है, उन्हें मसीह के द्वारा पुरस्कृत किया जोयगा, समझ को जल्दी किया जायेगा।COLHin 77.4

    हमारा उद्धार शास्त्र में निहित सत्य के ज्ञान पर निर्भर करता है। यह ईश्वर की इच्छा है कि हम इसके अधिकारी हो। ढूंढो, ओ, भूखों दिलों के साथ कीमती बाईबल में खोजे । ईश्वर के वचन का अन्वेषण करे। क्योंकि सोने की खान की नसों को खोजने के लिये पृथ्वी की खोज करनी पड़ती है। जब तक आप अपने सम्बन्ध में ईश्वर और उसकी इच्छा के संबंध पता नहीं लगाते है, तब तक खोज को कभी मत छोड़े। मसीह ने घोषणा की, “जो कुछ भी तुम मेरे नाम से मांगोगे, वहीं मैं करूंगा, कि पिता पुत्र में महिमा मंडित हो सके । यदि तुम मेरे नाम में कुछ भी मांगोंगे तो मैं करूंगा।” (यहून्ना 14:13, 14)COLHin 78.1

    धर्मनिष्ठा प्रतिभा के लोग शाश्वत वास्तविक्ताओं के विचारों को पकड़ते है, लेकिन अक्सर वे समझने में असफल होते है, क्योंकि जो चीजे देखी जाती है, वे अनदेखी की महिमा के गृहण करती है, जो छिपे खजाने के लिये सफलतापूर्वक खोजेगा उसे इस दुनिया की चीजों की तुलना में अधिक खोज करनी होगी। उनके स्नेह और उनकी सभी क्षमताओं की खोज के अनुरूप होना चाहिये।COLHin 78.2

    अवज्ञा ने ज्ञान की एक बड़ी मात्रा के लिये दरवाजा बन्द कर दिया है जो शायद शास्त्रों से प्राप्त किया गया है। समझ का मतलब है ईश्वर की आज्ञाओं का पालन करना। पुरूषों के पूर्वाग्रह और ईर्ष्या को पूरा करने के लिये शास्त्रों का अनूकुलन नहीं किया जा सकता है, उन्हें केवल उन लोगों द्वारा समझा जा सकता है जो विनम्रतापूर्वक सत्य के ज्ञान की तलाश में हैं कि वे इसका पालन कर सके।COLHin 78.3

    क्या आप पूछते है, मुझ बचने के लिये क्या करना चाहिये? जांच के द्वारा आपको अपनी पूर्व निर्धारित राय अपने विधर्मी और संस्कष्त विचारों को रखना होगा। आप कभी भी सच्चाई तक नहीं पहुंचेगे। प्रभु क्या कहता है, यह जानने के लिये खोजे।COLHin 78.4

    यदि आप खोज के अनुसार दष्ढ़ विश्वास करते है, यदि आप देखते है कि आपकी पोषित राय सच्चाई के साथ नहीं है तो स्वयं के विश्वास के अनुरूप सत्य की गलत व्याख्या न करे, लेकिन दिये गये प्रकाश को स्वीकारें। खुले दिल से आप परमेश्वर के वचन से चमत्कारिक बाते देख सकते है।COLHin 78.5

    मसीह के रूप में मसीह उद्धारकर्ता के रूप में प्रबषद्ध की स्वीकारता के लिये कहता है जो एक दिल से नियंत्रित होता है, जो स्वर्ग के खजाने को समझ सकता है और उसकी सरहाना कर सकता है। यह विश्वास प्रतिपदा के परिवर्तन से अविभाज्य है। विश्वास का अर्थ है सुसमाचार की खोज को खोजने और स्वीकार करने के लिये सभी दायित्व के साथ जो इसे लागू करता है।COLHin 79.1

    जब तक एक आदमी फिर से जन्म न ले वह ईश्वर के राज्य में नहीं जा सकता। (यहून्ना 3:3) वह एक मन्दबुद्धि व्यक्ति का अनुमान देख सकता है, लेकिन विश्वास की आंख के बिना वह खजाना को सुरक्षित करने के लिये दिया। लेकिन उनके रक्त में विश्वास के माध्यम से पुर्नजन्म के बिना, पापों का कोई त्याग नहीं है, किसी भी आत्मा का खजाना नहीं है।COLHin 79.2

    हमें परमेश्वर के वचन में सत्य को समझने के लिये पवित्र आत्मा के ज्ञान की आवश्यकता है। प्राकतिक दुनिया की प्यारी चीजों की सूरत तक नहीं देखी जा सकती है, अंधेरे को तितर-वितर करते हुये उन्हें अपने प्रकाश के साथ प्रवाहित करना है। इसलिये परमेश्वर के वचन में कोषाध्यक्षों की सराहना नहीं की जाती है जब तक कि वे धार्मिकता के सूर्य के उज्जव किरणों से प्रकट से नहीं होते है।COLHin 79.3

    पवित्र आत्मा, अनन्त प्रेम के परोपकार द्वारा स्वर्ग से भेजा गया, ईश्वर की चीजों को लेता है और उन्हें हर आत्मा को प्रकट करता है जो मसीह में एक अंतनिहित विश्वास है। उनकी शक्ति से उन महत्वपूर्ण सत्यों पर जिन पर आत्मा का उद्धार निर्भर करता है, वे मन को प्रभावित करते है और जीवन का मार्ग इतना सादा बना दिया जाता है कि उसमें किसी को भी जरूरत नहीं है। जैसा कि हम इस वचन पर चमकने के लिये अध्ययन करते है कि हम इसके कोषाध्यक्षों को देख और सराह सकते है।COLHin 79.4

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